अंडमान और निकोबार द्वीप समूह : भारत का समुद्रों और प्रकृति का स्वर्ग
Andaman & Nicobar Islands : India's paradise of Seas and nature
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चिड़िया टापू बीच पोर्ट ब्लेयर |
साथियों आज का ब्लॉग इतिहास विषय से हटकर हमारे देश के प्रसिद्ध द्वीप समूह अंडमान और निकोबार पर आधारित होने वाला है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत का सूदूर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में हिन्द महासागर स्थित सुदूर एक केंद्र शासित प्रदेश द्वीप समूह है। इसके बारे में हम बचपन में किताबों में तो पढ़ते रहे हैं पर अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है या ऐसा भी कह सकते है कि यह हमसे इतनी दूरी पर है कि हमने अधिक जानने का प्रयास किया ही नहीं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को कालापानी के नाम से हम लोग बचपन में किताबों में पढ़कर ही नाम सुना है। आज यह कालापानी संसार भर के पर्यटकों के लिए प्राकृतिक सुंदरता का आकर्षण का बिंदु है। हाल ही में मुझे इस द्वीप समूह का भ्रमण का मौका मिला और बहुत सी नवीन जानकारी मुझे प्राप्त हुई तो मैंने सोचा कि इसे एक ब्लॉग के माध्यम से पेश किया जाए। आशा है आपको आज का ब्लॉग अवश्य पसंद आएगा।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को 1 नवंबर 1956 को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में एकीकृत किया गया था। आज के इस ब्लॉग में हम Facts About Andaman and Nicobar Islands in Hindi के बारे में जानेंगे। 13 सितंबर 2024 को, भारत सरकार ने पोर्ट ब्लेयर शहर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले 30 दिसंबर, 1943 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराया था. यह घटना स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हुई थी। इस घटना को याद करने के लिए पोर्ट ब्लेयर में संकल्प स्मारक बनाया गया है। इस जगह को फ़्लैग पॉइंट कहा जाता है।
परिचय अंडमान और निकोबार द्वीप समूह :
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हिमालय पर्वत की श्रृंखला का हिस्सा है जो उत्तरी पूर्व से दक्षिणी पूर्व बंगाल की खाड़ी में चंद्रमा की कोर की तरह फैले हुए हैं। यह सारे छोटे बड़े 572 द्वीप उत्तर पूर्व दिशा से दक्षिणी पूर्व बंगाल की खाड़ी में 8249 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं. इन द्वीप समूह को तीन जिलों में बांटा गया है
1. साउथ अंडमान
3. निकोबार .
साउथ अंडमान जिले में दक्षिणी अंडमान और लिटिल अंडमान मिला हुआ है. इसी क्षेत्र में ही अधिकांश टूरिस्ट आते हैं और यही क्षेत्र के बारे में हम लोग अधिक जानते हैं। नॉर्थ और मध्य अंडमान जिले में डिगलीपुर, मायाबंदर, रंगत, कदमतला और बाराटांग द्वीप का क्षेत्र आता है. निकोबार जिले में कार निकोबार, नानकोरी और ग्रेट निकोबार का क्षेत्र आता है। पोर्टब्लेयर अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी है जो भारत की मुख्य भूमि से 1200 km दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित है।
ग्रेट निकोबार से सुमात्रा की दूरी 137 km ही है। यह सभी द्वीप हजारों सालों से सुरक्षित वन संपदा से भरपूर है और प्राकृतिक हरियाली की चादर ओढ़े हुए हैं। इन द्वीपों की भूमि ऊंची नीची है और 85% से अधिक वन क्षेत्र है। मई से अक्टूबर के दौरान यहां भारी वर्षा होती है और इस अवधि में टूरिस्ट भी यहां कम आते हैं। एक प्रमुख बाद इसके बारे में हम लोग कम जानते हैं कि आज भी यहां के घने जंगलों में पाषाण युगीन मानव जनजातीय रहती हैं।अंडमान और निकोबार द्वीप के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मलय देश से जुड़ी हुई है। मलय भाषा में इन द्वीपों का नाम हंडूमान से चलकर हंदूमान और आगे चलकर अंडमान के नाम से प्रसिद्ध हुआ और इसका उल्लेख रामायण में मिलता है.
प्रसिद्ध रोमन ज्ञाता टॉलमी ने पहली बार संसार के मानचित्र में दूसरी शताब्दी में इन टापूओं का चित्रण किया था। प्रसिद्ध चीनी यात्री इत्सिंग ने इन द्वीपों की 672 इसवीं में एक पर्शियन जहाज से यात्रा की थी। सन 1260 में प्रसिद्ध नाविक मार्कोपोलो ने इन द्वीप का भ्रमण किया था। बहुत समय तक ईस्ट इंडिया कंपनी ने इन द्वीपों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया परंतु बाद में यहां के दीपों के बारे में दिलचस्पी लेना शुरू की। तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस ने आदेश दिया कि इन द्वीपों का सर्वे किया जाए और यह काम लेफ्टिनेंट Archibald Blair और लेफ्टिनेंट R H koolbrook ने सन 1789 में शुरू किया।
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Chart of Great Andaman showing parts surveyed by Blair in 1788-1789, including Barren Island and Invisible Bank |
आगे कई सालो तक Archibald Blair यहां सर्वे पार्टियों को लेकर आते रहे और पहली बार एक बस्ती चाथम द्वीप पर सन 1789 में बसाने की सिफारिश की. इन्हीं Archibald Blair के नाम पर इस द्वीप की राजधानी का नाम पोर्ट ब्लेयर घोषित किया गया। Archibald Blairने अपने सर्वे के दौरान बैरन द्वीप को ज्वालामुखी के रूप में देखा था और मिडिल स्ट्रैट के पास limestone की गुफा भी खोजी थी और 1793 में पहली कैदी बस्ती चाथम द्वीप पर बसाई गयी थी. पोर्ट ब्लेयर शहर का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश औपनिवेशिक नौसेना अधिकारी कैप्टन आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। 13 सितंबर 2024 को, भारत सरकार ने शहर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया है।
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हेवलॉक अंडमान |
अंडमान का नाम कालापानी क्यों हुआ :
यह द्वीप आम जनता में काला पानी के नाम से जाने जाते हैं इसके पीछे दो मुख्य कारण है पहले यह कि अंडमान समुद्र के गहरे नीले पानी से इसका नाम कालापानी पड़ा दूसरा यह की अंग्रेजों द्वारा उस समय के कैदियों और क्रांतिकारियों को सजा सुनाई जाती थी सजा के रूप में इस कालापानी से संबोधित किया जाने लगा और इस रूप में आम प्रचलन कालापानी नाम पड़ा अर्थात जहां से वापस आना मुश्किल हो। ब्रिटिश शासन के दौरान 14 अप्रैल 1788 में लेफ्टिनेंट Archibald Blair को यहां बस्ती बनाने और स्वतंत्रता सेनानियों को यहां लाने के लिए लाया गया. 25 अक्टूबर 1789 क़ो सबसे पहले कैदियों का एक दल इन द्वीपों के लिए लाया गया. सन 1789 में कैदियों की संख्या 820 के लगभग पहुंच गई और इन कैदियों को वाईपर द्वीप पर खुला छोड़ दिया जाता था जहां बाद में पहली जेल का निर्माण हुआ था। क्योंकि वाईपर द्वीप चारों ओर समुद्र और घने जंगल से घिरा हुआ था इसलिए यहां से किसी के भागने का कोई खतरा नहीं था।
अंडमान और निकोबार दीप समूह के विवरण को एक ब्लॉग में कवर करना संभव नहीं है इसलिए मैं इस पर आगे तीन या चार अलग-अलग पार्ट और लिखूंगा। जिसमें मुख्य रूप से शामिल रहेंगे अंडमान में पैनल सेटलमेंट का दौर 10 मार्च सन 1858, क्रांतिकारियों का इन द्वीपों में प्रवेश, अंडमान तथा निकोबार द्वीपों की आदिम जनजातियों का विवरण, पोर्ट ब्लेयर का प्रमुख आकर्षण और राष्ट्रीय पहचान राष्ट्रीय स्मारक सेल्यूलर जेल, वीर सावरकर एक बहु आयामी व्यक्तित्व और प्रसिद्ध अन्य क्रांतिकारी, अंडमान द्वीप समूह में जापानी प्रशासन सन 1942 से 1945, वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या 08 फरवरी 1872, aberdeen का युद्ध, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अंडमान यात्रा और अंडमान निकोबार दीप समूह में पर्यटन के प्रमुख केंद्र और द्वीप. यह सभी बिंदु आगे आने वाले भागों में कवर करूंगा और सबका अलग अलग विस्तृत विवरण लिखूंगा. आज के पहले भाग में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्रमुख बिंदुओं के बारे में वर्णन करूंगा.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बारे में कुछ रोचक तथ्य :
1 : अंडमान का नाम मलय भाषा से लिया गया ही - ऐसा माना जाता है कि अंडमान नाम हनुमान से लिया गया था, जिन्हें मलय लोग हंडुमन के नाम से जानते थे। निकोबार नाम दक्षिण भारतीय शब्द 'नक्कावरम' (नग्नों की भूमि) का अपभ्रंश प्रतीत होता है, जैसा कि 1050 ई. के महान तंजौर शिलालेख में दर्शाया गया है।
2 : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा अंडमान और निकोबारी नहीं है : द्वीपों पर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बंगाली है, उसके बाद हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम हैं। अंडमान क्रियोल हिंदी अंडमान द्वीप समूह में व्यापारिक भाषा के रूप में भी व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
3 : कच्छल द्वीप पर इस सहस्राब्दी का पहला सूर्योदय हुआ : निकोबार के पास एक छोटा सा द्वीप कच्छल तब तक लगभग अज्ञात था जब तक रॉयल ग्रीनविच प्रयोगशाला ने घोषणा नहीं की कि यह सहस्राब्दी के पहले सूर्योदय की किरणों को छूने वाला पृथ्वी पर पहला निवास स्थान होगा। वर्ष 2000 के पहले डाक अंक में, इंडिया पोस्ट ने कच्छल में सहस्राब्दी के पहले सूर्योदय को दर्शाते हुए एक स्मारक टिकट जारी किया।
4 : दुनिया के सबसे बड़ी समुद्री कछुए यहाँ ही अपने घोंसला बनाते है : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में समुद्री कछुओं की तीन प्रजातियों - हॉक्सबिल, हरा कछुआ और दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री कछुआ, लेदरबैक (डर्मोचेलिस कोरियासिया) के लिए भारत के सबसे अच्छे समुद्री तट हैं। निकोबार में लेदरबैक कछुओं की घोंसले वाली आबादी उन कुछ कॉलोनियों में से एक है जो इंडो-पैसिफिक में 1,000 से अधिक कछुओं की है, और इसलिए यह वैश्विक महत्व का स्थान भी है।
5 : नॉर्थ सेंटिनल द्वीप दुनिया की सबसे पृथक पुरापाषाणिक जनजातियों में से एक का घर है :नॉर्थ सेंटिनल द्वीप दुनिया की सबसे अलग-थलग मानव आबादी में से एक है। माना जाता है कि सेंटिनलीज़, जिनकी संख्या लगभग 50 से 300 के बीच हो सकती है क्योंकि इनकी कभी गिनती नहीं हो सकी है , ने आधुनिक दुनिया के साथ सभी संपर्कों को अस्वीकार कर दिया है और जो भी सीमा के भीतर आता है, उस पर अपने तीर चलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि वे सीधे अफ्रीका से उभरी पहली मानव आबादी के वंशज हैं, और संभवतः 60,000 वर्षों तक अंडमान द्वीप समूह में रहे हैं।
6 : भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु, इंदिरा पॉइंट, 2004 की सुनामी के दौरान 4.25 मीटर नीचे डूब गया था। भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु, पोर्ट ब्लेयर से 966 किमी दक्षिण में है। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में समुद्र तटों पर आई सुनामी ने न केवल भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हजारों लोगों की जान ले ली, बल्कि इसने देश की सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण हिस्से को भी नुकसान पहुँचाया। प्रशासनिक रूप से यह लक्ष्मीनगर पंचायत के अधीन है। 30 अप्रैल 1972 को यहाँ लाइट हाउस का उद्घाटन हुआ था।
7 : अंडमान में बाराटांग भारत का एकमात्र स्थान है जहां मिट्टी के ज्वालामुखी हैं : उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, पहली बार मिट्टी के ज्वालामुखी का विस्फोट मार्च 1983 में बाराटांग द्वीप के नीलांबुर गांव में देखा गया था। मिट्टी के ज्वालामुखी का निर्माण भूमिगत रूप से सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों से दबावयुक्त छिद्रित पानी और प्राकृतिक गैसों के उत्सर्जन, तेज विस्फोटों और आग की लपटों के साथ होता है। यह धीरे-धीरे शीर्ष पर समृद्ध, मलाईदार मिट्टी के गड्ढे वाला एक लघु ज्वालामुखी बनाता है।
8 : 20 रुपये के पुराने नोट पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का दृश्य दर्शाया गया है : क्या आपने कभी पुराने 20 रुपये के नोट पर दृश्यावली देखी है? लाल रंग के नोट पर हरी-भरी हरियाली से सजी एक सुरम्य खाड़ी की छवि नॉर्थ बे द्वीप की है और यही दृश्य माउंट हैरियट के रास्ते में भी देखा जा सकता है। माउंट हैरियट अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।
9 : भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरेन द्वीप अंडमान द्वीप समूह में मौजूद है : बैरेन द्वीप में न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। पोर्ट ब्लेयर से लगभग 135 किमी उत्तर पूर्व में स्थित, 3 किमी चौड़े इस छोटे से द्वीप में 1.6 किमी चौड़ा गड्ढा है जो आंशिक रूप से एक सिंडर शंकु से भरा हुआ है जो 1787 में पहली बार दर्ज किए जाने के बाद से लगातार विस्फोट का स्रोत रहा है।
10 : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में व्यावसायिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध है : अंडमान द्वीप समूह के आसपास 4 दशकों से अधिक समय से वाणिज्यिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।अपने समृद्ध समुद्री भंडार के साथ डुगोंग और विशाल समुद्री कछुओं जैसे समुद्री जीवन सहित पानी के नीचे की वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के प्रयास में, अंडमान द्वीप समूह के आसपास के पानी में वाणिज्यिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
11 : जारवा आदिवासियों से बातचीत करना गैरकानूनी है : दक्षिण और मध्य अंडमान द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में जारवा एक संरक्षित जनजाति हैं , जिनकी आबादी 250-400 व्यक्तियों के बीच है। यह एक पृथक जनजाति है जो स्वयं बाहरी लोगों से संपर्क से बचते हैं, के साथ बातचीत करने का कोई भी प्रयास अवैध माना जाता है।
12 : द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ये द्वीप एक सक्रिय युद्ध क्षेत्र थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंडमान द्वीप समूह की शांति भंग हो गई थी, जब 1945 में अंग्रेजों को सौंपने से पहले जापान ने इस क्षेत्र को नियंत्रित किया था। पोर्ट ब्लेयर में जापानी कब्जे का संग्रहालय उस समय सक्रिय युद्ध क्षेत्र की घटनाओं का दस्तावेजीकरण करता है।
साथियो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पहले ब्लॉग को अब यही समाप्त रहा हूँ क्योंकि अब यह कुछ लम्बा हो रहा है और हो सकता है की इससे विषय में नीरसता आ सकती है। आगे अब दूसरे पार्ट में साउथ अंडमान के टूरिस्ट स्थानों का विवरण शामिल करूँगा कि कितने दिनों में साउथ अंडमान को घूमा जा सकता है और किस प्रकार स्थानों को देखा जाये।
आपको आज का ब्लॉग कैसा लगा कमेंट के माध्यम से अवश्य बताये और यदि पसंद आये तो आगे अपने मित्रो और सोशल मीडिया में भी शेयर करे। इसका अगला भाग II जल्दी ही पोस्ट करूँगा। सभी को धन्यवाद।
अंडमान और निकोबार तक कैसे जाये : How to reach Andaman & Nicobar Islands :
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह चारो तरफ से पानी से घिरा हुआ है इसलिए यहाँ केवल शिप या फ्लाइट के माध्यम से आया जा सकता है। विशाखापत्तनम , चेन्नई , कोलकाता से नियमित शिप पोर्ट ब्लेयर के लिए चलती है और इस यात्रा में दो से तीन दिन का समय। पोर्ट ब्लेयर के एयरपोर्ट वीर सावरकर अंतरार्ष्ट्रीय एयरपोर्ट पर देश के अधिकांश बड़े शहरो जैसे बैंगलोर, हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई ,कोलकाता और चेन्नई से नियमित फ्लाइट है और यह सबसे आसान तरीका है अंडमान और निकोबार आने का। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से मार्च के मध्य का है।
चित्र दीर्घा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह :
Photo Gallery of Andaman & Nicobar Islands
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सेलुलर जेल रात्रि दृश्य |
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Natural Bridge |
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राधानगर बीच |
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काला पत्थर बीच |
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नार्थ बे लाइट हाउस |
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काला पत्थर बीच |
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नार्थ बे आइलैंड |
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हेवलॉक आइलैंड |
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नील आइलैंड |
13 Comments
👌👌👌very nice pictures with enormous knowledge 😊
ReplyDeleteTremendous Blog, Complete Details With Outstanding Photography👌🏻
ReplyDeleteबहुत ही रोचक जानकारी सर ,outstanding फोटोग्राफी ❤️
ReplyDeleteIncredible information sir
ReplyDeleteGreat information and photos
ReplyDeleteबहुत ही तथ्यात्मक एवं रोचक जानकारी
ReplyDeleteSooo Beautiful Place & Amazing Information 😍👌👏👏👏
ReplyDeleteUnbelievable Information sir
ReplyDeleteSir ji esme saddle peak Bindu 732Miter
बहुत ही रोचक और प्रतियोगिता परीक्षा सम्बन्धित जानकारी सर जी
ReplyDeleteयहां पर सबसे ऊंची चोटी है
सैंडल पिक
आदरणीय..इस जगह के बारे मे बहुत विस्तृत जानकारी आपके द्वारा एकत्रित कर हमे दी गयी है उक्त जानकारी ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है🙏
ReplyDeleteSir ji nice photo
ReplyDeletebeautifully written with enormous knowledge 🙏🙏
ReplyDeleteExcellent and very useful blog 🙏🙏✌✌
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