पेनगवां रायसेन के शैल चित्र और शैलाश्रय :
Pengwan rock shelters and rock paintings ( raisen )
रायसेन जिला ऐतिहासिक दृष्टि से देश में नहीं अपितु दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मानव जीवन के सांस्कृतिक विकास की यह प्रारंभिक क्रीड़ास्थली रहा है। रायसेन क्षेत्र विंध्य की श्रेणियां एवं वन्य क्षेत्र से भरपूर है। इसी क्षेत्र में आदिमानव ने अपनी कला के प्रारंभिक अभिव्यक्ति व्यक्त की है और उसे चित्रों के माध्यम से गुफाओं में उकेरा है। रायसेन क्षेत्र के शैलाश्रयो की दीवारों पर प्रथम बार मानव ने चित्रों के माध्यम से अपनी कला को अभिव्यक्त किया। रायसेन जिले के भीमबेटका के उत्खनन से प्रागेतिहासिक काल से गोंडकाल तक के अनवरत अवशेष और साक्ष्य प्रकाश में आए हैं। ताम्र युगीन सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल पिपलिया लोरका भी रायसेन जिले में स्थित है। नर्मदा नदी घाटी में मानव सभ्यता ने शुरुआती कदम लिए है जिसके प्रमाण भी यहाँ मिलते है।
जैसा कि मैंने अपने पिछले ब्लॉग में भी बताया है कि रायसेन जिले में दुनिया के सबसे अधिक शैलचित्र और शैलाश्रय पाए गए है जिसमे भीमबेटका शैलाश्रय को यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल किया गया है। इसके अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण शैलाश्रय भी रायसेन जिले में पाए गए है जैसे खरबई के शैलचित्र, पेन गवां शैलचित्र , रामछज्जा जो रायसेन किले के पास ही स्तिथ है, सतकुंडा , नागोरी पहाड़ी जो साँची के पास है , सतधारा के शैलचित्र , उदयपुरा देवरी के पास पहाड़ी में बने शैलचित्र , गोहरगंज के पास जावरा ग्राम के शैलचित्र आदि और भी कई स्थानों पर है। यदि सभी को जोड़ा जाये तो यह संख्या पचास तक पहुँच सकती है।
पिछले ब्लॉग में मैं भीमबेटका और खरबई के शैलचित्रो और शैलाश्रय पर ब्लॉग लिख चुका हूँ। यदि आपने नहीं पढ़े है तो लिंक दे रहा हूँ आप पुनः इसे पढ़ सकते है। अब इस कड़ी में अगला ब्लॉग पेनगँवा रायसेन के शैलाश्रय पर लिख रहा हूँ।
kharbai : prehistoric rock shelters and rock paintings
Bhimbetka Rock Shelter Complex ( An archaeological treasure )
आज के ब्लॉग का विषय है रायसेन जिले मुख्यालय से मात्र 15 km की दूरी पर स्तिथ पेनगँवा रायसेन के शैलाश्रय शैलचित्र। यह स्थान रायसेन के इतने नजदीक होने के बाद भी उतना ही अनजान और गुमनाम है। गुमनाम इतना की रायसेन में जिस से भी इस स्थान से बारे में पूछा सटीक जानकारी नहीं मिल सकी। यहाँ पेनगँवा ग्राम रायसेन में रहने वाले भी इसके बारे में नहीं बता सके। फिर इस स्तिथि में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले एक ग्रामीण चरवाहे ने जो यहाँ अपने मवेशी चराने जाते है सटीक जानकारी दी और मेरा कार्य आसान बनाया और गाइड का कार्य भी किया। यदि आप भी यहाँ जाने की योजना बनाये तो अकेले बिलकुल भी नहीं जाये। किसी स्थानीय व्यक्ति को अवश्य साथ ले जाये। यह क्षेत्र घने जंगल में है और दुर्गम भी है। मैंने इस साइट को जितना छोटा समझा था पर उसके विपरीत यह उतनी बड़ी साइट है। गाइड ने बताया कि यहाँ के शैलाश्रय लगभग 4 km के दायरे में फैले हुए है और पूरा दिन चाहिए इसे कवर करने में फिर भी जितना संभव हुआ उतना मैने इसको कवर किया और अधिक से अधिक फोटो लेने का प्रयास किया जिसे आज ब्लॉग के माध्यम से लिख रहा हूँ। अगला काम इन फोटो को एडिट करने का था जिसमे अधिक समय लगा क्योंकि बिना एडिट किये अधिक क्लियर फोटो समझ नहीं आती।
पेनगँवा रायसेन से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र अंकित है। यहां के शैल चित्रों में प्रारंभिक काल के गोलाशम उपकरणों का और प्राकृतिक शिलाखंडो का अंकन है। यहां के शैलाश्रय में कबीले की लड़ाई रेखाओं में है। यहां के चित्रों में लोगों के हाथ में लकड़ी के हथियार दिखाए गए हैं। यहां से प्राप्त क्षेत्र में कई जानवरों जैसे बारहसिंघा, मोर,शतुरमुर्ग शेर, तेंदुए, नीलगाय आदि का भी चित्रण मिलता है। यहां के कुछ शैला श्रय में शंख लिपि का भी अंकन हुआ है। इसके अलावा यहां से प्राप्त चित्रों में रथ का दृश्य, युद्ध, अश्व आदि का भी अंकन हुआ है। यहां एक पैनल में सूर्य का भी चित्रण है। यहाँ के चित्र देखने के बाद यह तो स्पष्ट है कि पेनगँवा रायसेन के शैलाश्रय को यदि शैलचित्र का स्कूल भी कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि यहाँ के शैलचित्रो में प्रारंभ से लेकर बिलकुल स्पष्ट चित्रों की श्रंखला मिलती है।
हालाँकि आज का ब्लॉग बहुत छोटा है पर बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ के बारे में कुछ भी जानकारी नेट भी उपलब्ध नहीं है। यदि भीमबेटका को छोड़ दिया जाये तो रायसेन के किसी अन्य शैलाश्रय के बारे में अधिक जानकरी उपलब्ध नहीं है। इसलिए मेरा प्रयास है की इन सभी स्थानों के बारे में ब्लॉग लिख कर अधिक से अधिक फोटो शेयर करू जिससे आप सभी भी इन स्थानों के बारे में जान सके।
पेनगँवा रायसेन तक पहुंचे कैसे : How to reach pengawan village
रायसेन जिला मुख्यालय से यहाँ की दूरी 15 km लगभग है। रायसेन के नजदीकी रेलवे स्टेशन भोपाल और विदिशा है। विदिशा और भोपाल से रायसेन बस सर्विस से जुड़ा हुआ है। यहाँ तक आप आसानी से आ सकते है। रायसेन से निजी ऑटो या टेक्सी के द्वारा आप यहाँ पेनगँवा रायसेन तक आ सकते है।
18 Comments
Amazing👍
ReplyDelete🙏
DeleteGreat writing, awesome pictures, unexplored place, thanks for your blog ❤️ sir
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery very nice sir
ReplyDeleteGreat sir
ReplyDeleteGreat compilation
ReplyDeleteVery Nice
ReplyDeleteUnrecognised Place but amazing History of the nearest place in raisen
ReplyDeleteAmazing vlog , thank for sharing such a beautiful hidden place near Raisen 👏 💝
ReplyDeleteNice Blog
ReplyDeleteThis is great work. I didnt know about these sites. It widens the glory of Raisen as an important Paleo site. Really incredible. Its very unfortunate that it remains hidden, unexplored, unrecognized till now. Again it's an excellent work of preservation of ancient historical sites by the blogger.
ReplyDeleteAmazing knowledge sirji🙏
ReplyDeleteWonderful! Who ever thought we could get to see this amazing place in a vast raisen.
ReplyDeleteGreat work👌
Brilliant 👏🏻👏🏻
ReplyDeleteUnbelievable and Wonderful I don't no great historical monuments near raisen in hidden site congratulations 🎉👏 to you sir for great historical achievement
ReplyDeleteऐतिहासिक शिलाओं पर आरेखित चित्र भारत की कलात्मक विरासत को प्रमाणित करता है
ReplyDeleteDecember 23, 2024 at 8:47 AM
ReplyDeleteVery good blog written by you photography is very good that is realy hard work .....