Ticker

6/recent/ticker-posts

kharbai : prehistoric rock shelters and rock paintings ( An archaeological treasure )

खरबई जिला रायसेन के शैलाश्रय और शैलचित्र :

An archaeological treasure: Kharbai (Raisen )


kharbai
ग्राम खरबई ( रायसेन ) में स्तिथ शैलचित्र 

        साथियो आज का ब्लॉग कुछ स्पेशल होने वाला है। विशेष इसलिए कि अभी तक जितने ब्लॉग लिखे है उनकी विषय वस्तु ऐतिहासिक तो होती ही  है और वह स्थान कुछ सैकड़ो या हजारो वर्ष पुराने होने के साथ ही उसके बारे में कही न कही जानकारी उपलब्ध होती है। पर आज का ब्लॉग जो खरबई ग्राम जिला रायसेन में स्तिथ शैलचित्रों , शैलाश्रय पर आधारित है के बारे में कही भी किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं है  और नेट पर भी फोटो उपलब्ध नहीं है। इसलिए यह विशेष है।  यह स्थान आदिमानव के समय की निवास स्थली रहा है और आदिमानव के समय में दैनिक जीवन के कार्यो को उसने अपनी चित्रकला के माध्यम से व्यक्त किया है जो आज हमें उनके बारे में जानकारी उपलब्ध करते है।  उस समय के जानवर, खानपान आदि को हम कुछ स्तर तक देख कर समझ सकते है।  

खरबई स्तिथ शैलचित्र 

       साथियों पिछले कुछ ब्लॉग में मैंने रायसेन जिले के कुछ ऐतिहासिक और पुरातत्व स्थानों क़ो कवर किया है।जैसा कि आप सभी जानते हैं रायसेन जिला प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मध्य प्रदेश के तीन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में से दो स्थान रायसेन जिले में है। विश्व प्रसिद्ध सांची स्तूप और भीमबेटका के शैलाश्रय। रायसेन के जंगल और शैल आश्रय ने मानव के सांस्कृतिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब मनुष्य ने लिखना पढ़ना नहीं सीखा था तब उससे पहले वह चित्रों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति करता था और ऐसे ही प्रारंभिक चित्र रायसेन जिले के कई पहाड़ों,जंगलों के शैलाश्रयो में पाए गए हैं। 

यदि आपने मेरा भीमबेटका का ब्लॉग नहीं पढ़ा है तो आप नीचे दी गयी लिंक पर क्लिक कर आप पुनः पढ़ सकते है और भीमबेटका के इतिहास को समझ सकते है :

Bhimbetka Rock Shelter Complex ( An archaeological treasure )


खरबई स्तिथ शैलाश्रय 

        रायसेन जिले में कई स्थानों में पाषाण कालीन शैल चित्र प्रकाश में आए हैं। इनमें विश्व विख्यात यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज भीमबेटका शैलाश्रय के बारे में आप सभी जानते हैं। परंतु इसके अतिरिक्त भी कई अन्य शैल आश्रय रायसेन जिले में उल्लेखनीय है जिनके बारे में हम लोगों को अधिक जानकारी नहीं है जैसे राम छज्जा,उर्देन , खरबई , गोहरगंज के जावरा में  आदि। ताम्र युगीन सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल पिपलिया लोरका भी रायसेन जिले में स्थित है। रायसेन जिला प्रागैतिहासिक मानव की सभ्यता का प्रारंभिक स्थल रहा है। रायसेन जिले के अनेक स्थानों से प्राप्त पाषाण युगीन उपकरण, शैल आश्रय और शैल चित्रों से इसकी पुष्टि होती है। रायसेन जिले के गोहरगंज व रायसेन किले के समीप अनेक शैल आश्रय और शैल चित्र प्राप्त हुए हैं। यहां से प्राप्त प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहां की सभ्यता अन्य सभ्यताओं से अधिक प्राचीन है। 

खरबई (रायसेन) स्तिथ शैलचित्र 

        आज के ब्लॉग का विषय है रायसेन जिले मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर भोपाल रायसेन मार्ग पर स्थित खरबई ग्राम। हालांकि देखने में यह गांव एक साधारण ग्राम जैसे ही प्रतीत होता है और हाईवे पर स्थित होने के कारण कई बार मेरा यहां से निकलना भी हुआ है।  जो लोग भोपाल रायसेन के आसपास रहते होंगे वह भी यहाँ से कई बार निकले होंगे। पर इस ग्राम के बारे में जो जानकारी आज मैं इस ब्लॉग के माध्यम से देने जा रहा हूं वह मुझे भी पहले नहीं पता थी और संभवत: आपको भी नहीं पता होगी। यहाँ मानव सभ्यता के प्रारंभिक इतिहास के साक्ष्य , बौद्ध सभ्यता से होते हुए परमार युग तक के महत्वपूर्ण अवशेष यहां मिलते हैं। जो आज हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

खरबई स्तिथ बौद्ध स्तूप 

        खरबई के आसपास लगभग 60 चित्रित शैलाश्रय की खोज डा वी एस वाकनकर के द्वारा की गयी थी। पर यह स्थान आज गुमनाम और लुप्तप्राय है और इसके बारे में कहीं अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। यहां पर पुरातत्व विभाग द्वारा भी ऐसा कोई सूचना पटल दर्ज नहीं किया गया है जिससे इस स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके। हालांकि जब मैं रायसेन के इतिहास के बारे में अध्ययन कर रहा था तब मुझे इस स्थान के बारे में पता चला कि यहां पर कुछ ऐतिहासिक स्थल मौजूद है। इसके लिए मैंने विभाग से एक सेवानिवृत कर्मचारी की सेवाएं ली और जिन्होंने सहर्ष ही गाइड बनना स्वीकार किया और इस स्थान के बारे में मुझे बताया और दिखाया भी। जैसे-जैसे आप खरबई से मुख्य सड़क से गांव के भीतर की ओर जाते हैं यहां का जंगल बहुत अधिक घना होता जाता है और कोई रास्ता भी नहीं है, सिर्फ पहाड़ो और झाड़ियां में से निकलना होता है। यदि आप इस स्थान पर आना चाहते हैं तो यहां आप अकेले ना आए किसी स्थानीय व्यक्ति को ही लेकर आए क्योंकि यह स्थान घने जंगल में होने से असुरक्षित भी है। 

खरबई स्तिथ शैलचित्र 

 खरबई में स्तिथ पुरातात्विक समूह को तीन स्थान में वर्गीकृत किया जा सकता है जो मैंने अपने सुविधा से बनाया है :

1 - ग्राम में सबसे पहले आने वाला छोटे महादेव गुफा मंदिर और शैल चित्र 
2 - गुफा मंदिर से आगे पहाड़ पर चलने से मिलने वाले शैलाश्रय और शैलचित्र 
3 - शैलचित्र और शैलाश्रय के आगे जाने पर मिलने वाले दो बौद्ध स्तूप समूह 
    
मुख्य सड़क से अंदर ग्राम तक तो आप वहां से आ सकते है पर जैसे है पहाड़ी क्षेत्र शुरू होता है तो आपको वहां छोड़ना पड़ेगा और पैदल ही जाना होगा।  छोटे महादेव गुफा मंदिर तक तो सड़क का निर्माण हो गया है जिससे यहाँ तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।  

खरबई स्तिथ छोटे महादेव गुफा मंदिर 

छोटे महादेव गुफा मंदिर से ऊपर की और पहाड़ी पर चढ़ने पर शैलाश्रय समूह मिलना शुरू होते है। इन शैलाश्रयों को आप किसी स्थानीय व्यक्ति की सहायता से ही ढूंढ सकते है, क्योंकि यह आगे घने जंगल में स्तिथ है और कोई रास्ता भी नहीं है साथ ही जंगली जानवरों का खतरा भी है। यहाँ करीब 60 शैलाश्रय मौजूद है।  इन शैल आश्रय में से अधिकांश चित्र गुफाओं की छत पर बने हुए हैं जिन्हें आसानी से देख सकते हैं। यहां के चित्र पशुपालन, शिकार, नृत्य,युद्ध और मनुष्य की विभिन्न दैनिक जीवन से संबंधित है। यहां के चित्रों में बैल, हिरण, सांभर, गेंडा,हाथी घोड़े आदि बनाए गए हैं। यह भी मेरे को पता चला है कि यहां एक शैल आश्रय में सम्राट अशोक कालीन ब्राह्मी लिपि के लेख भी जमीन पर अंकित किए गए हैं हालांकि में उन्हें नहीं ढूंढ पाया। यहां के शैल चित्रों में लाल, गेरुआ, पीला, सफेद और काले रंगों का प्रयोग किया गया है। 

खरबई स्तिथ शैलचित्र 

        इन गुफाओं को देखते समय हमारे साथ तिवारी जी ने बताया कि यहां से कुछ दूरी पर पहाड़ के ऊपर दो पत्थर के ढेर है जिन्हें बैठका कहा जाता है। यहां स्थानीय ग्रामीण क्षेत्र में बौद्ध स्तूपों को बैठका शब्द से संबोधित किया जाता है और जब दो स्तूप होते हैं तो उन्हें सास बहू का बैठका कहा जाता है। इसीलिए बैठका शब्द सुनते ही यह मैं समझ गया कि यहां निश्चित ही स्तूप भी होंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी रास्ता उपलब्ध नहीं है कुछ समय बाद वहां चलकर देख सकते हैं परंतु मेरे निवेदन करने पर उन्होंने पहाड़ी की तराई में से एक रास्ते में से होते हुए वहां हमें पहुंचा दिया। यहां पर दो बौद्ध कालीन स्तूप बने हुए हैं। परंतु इन बौद्ध स्तूपों के बारे में यहां कोई सूचना पटल नहीं है ना ही कोई रास्ता है और ना ही कहीं उपलब्ध कोई जानकारी है कि यह कब बनाए गए। एक स्तूप बहुत छोटा है और दूसरा आकार में बड़ा है जिसकी दिवार भी बनायीं गयी है पर इनके इतिहास के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है कि यह कब बनाये गए। संभवतः यह स्तूप भी साँची के नजदीक सोनारी , अंधेर , मुरलखुर्द और सतधारा  के समकालीन प्रतीत होते है। 

खरबई (रायसेन) स्तिथ बौद्ध स्तूप 

        यही हमारे इतिहास का दुर्भाग्य है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी हम लोगों को हमारे इतिहास के जो नजदीक में स्थल है उनके बारे में ही जानकारी नहीं है। रायसेन जिले में पुरातत्व के इतने अनमोल स्थान मौजूद है कि हम में से अधिकांश लोग उनके बारे में जानते ही नहीं है। निश्चित ही खरबई के शैल चित्र किसी भी प्रकार से भीमबेटका यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज से कम नहीं है और हम लोग भीमबेटका के बारे में जानते हैं , वहां घूमने जाते हैं परंतु रायसेन तहसील के नजदीक में ही समकालीन शैल चित्रों के बारे में हमें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। 

खरबई स्तिथ शैलाश्रय 

        हालांकि मैंने एक छोटा सा प्रयास किया है कि मैं इन सभी स्थानों को कवर करूं और आप सबके सामने लाने का प्रयास करू. हालांकि खरबई में शैल चित्रों के लिए मैं नहीं गया था मैं यहां पर एक गुफा मंदिर है छोटे महादेव नाम से जिसके दर्शन के लिए गया था। पर तब ही पता चला की यहाँ शैलचित्र और शैलाश्रय  भी मौजूद है। 

खरबई स्तिथ छोटे महादेव गुफा मंदिर 

 खरबई स्तिथ छोटे महादेव गुफा मंदिर :

       यह गुफा मंदिर भी एक पहाड़ के शैलाश्रय में यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा बनाया गया है और  बहुत ही आकर्षक स्थल है। इस गुफा में भी प्राचीन शैल चित्र मौजूद है और एक लाल और पीले कलर के बॉक्स के माध्यम से कुछ चित्रित करने का प्रयास किया गया है। यहां की पहाड़ी पर स्थानीय निवासियों द्वारा 1977 में भारत के संविधान को लिखा गया है। यहां के मंदिर का जो शिवलिंग है वह परमार कालीन प्रतीत होता है और उसको नवीन निर्माण किया गया है। इस गुफा में भी लाल गेरूए रंग से एक लंबी लाइन खींची गई है जो यहां के स्थानीय निवासी गुफा का रास्ता बताते हैं। गुफा के अंदर कई अन्य छोटी गुफाये भी है जिन्हे सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है। प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर यहाँ मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

छोटे महादेव मंदिर के अंदर गुफा में गेरुए रंग की रेखा 

साथियो आपको आज का ब्लॉग कैसा लगा। कमेंट कर अवश्य बताये और शेयर भी करे।  रायसेन जिला ऐसे ही अद्भुत स्थानों से भरा हुआ है।  अगले ब्लॉग में रायसेन किले नजदीक ही स्तिथ राम छज्जा , सीता तलाई, उरदेन के शैलाश्रय आदि को कवर करने का प्रयास करूँगा।  यदि आपके नजदीक भी कोई ऐसा ऐतिहासिक स्थान मौजूद है जिस पर ब्लॉग लिखा जा सकता है या explore किया जाना है , कमेंट कर अवश्य बताये जिससे उस पर भी ब्लॉग लिखा जा सके। 

खरबई ग्राम तक कैसे पहुंचे  How to reach Kharbai (Raisen ) :

खरबई ग्राम रायसेन जिला मुख्यालय से करीब 17 km की दूरी पर भोपाल रायसेन हाइवे पर  स्तिथ है। यहाँ तक आसानी से बस से पहुंचा जा सकता है। ट्रैन से नजदीकी रेलवे स्टेशन भोपाल है जो 35 km की दूरी पर है। नजदीकी एयरपोर्ट  भोपाल एयरपोर्ट है जो 45 km की दूरी पर स्तिथ है। रायसेन से आसानी से बस ऑटो उपलब्ध है। 

चित्रदीर्घा खरबई शैलाश्रय और शैलचित्र :
Photogallery of Kharbai rock Shelters and rock paintings :


खरबई शैलाश्रय जाने का रास्ता 


खरबई स्तिथ शैलाश्रय 


खरबई गुफा मंदिर 

खरबई  स्तिथ गुफा मंदिर लिखित संबिधान 

छोटे महादेव स्तिथ गुफा मंदिर शिवलिंग 

गुफा मंदिर अंदर स्तिथ शैलचित्र 

खरबई रायसेन जंगल 


खरबई छोटे महादेव मंदिर 


छोटे गुफा मंदिर शैलचित्र 

खरबई शैलचित्र 

खरबई छोटे महादेव मंदिर 

खरबई जंगल शैलाश्रय जाने का रास्ता 


खरबई जंगल में 





खरबई शैलाश्रय 

खरबई रायसेन स्तिथ शैलाश्रय 

खरबई रायसेन शैलाश्रय 

श्री शालिग राम शर्मा  के साथ में  

खरबई स्तिथ स्तूप के अवशेष 

खरबई शैलाश्रय 

खरबई स्तिथ मानव आकृति का शैलचित्र 

खरबई स्तिथ शैलाश्रय एवं शैलचित्र 

खरबई स्तिथ शैलचित्र 



खरबई स्तिथ शैलाश्रय 



खरबई जंगल 


खरबई स्तिथ शैलचित्र 

खरबई स्तिथ पत्थरो का ढेर 

खरबई स्तूप जाने का रास्ता 


खरबई बौद्ध स्तूप 






Post a Comment

22 Comments

  1. Excellent Blog on an unexplored place

    ReplyDelete
  2. महोदय जी
    बहुत ही ज्ञान वर्धक जानकारी संग्रहण यह जानकारी विरले ही मिलती है बहुत ही शानदार ब्लॉग लगा ।
    आशा है ऐसे और भी ब्लॉग हमको मिलेंगे आपके द्वारा

    ReplyDelete
  3. Wonderful ,amazing and absolutely very interesting blog . 👌👌👍👍

    ReplyDelete
  4. Excellent information

    ReplyDelete
  5. Incredible and informative Blog Sir 👌

    ReplyDelete
  6. Excellent blog this is the special blog no doubt and photography is unique very nice 👍👍👏👏

    ReplyDelete
  7. Photography outstanding

    ReplyDelete
  8. Very nice👌 it's really amazing to know Madhya Pradesh have such a wonderful place in a village, which was not known by anyone.
    Thank you for this wonderful hardwork and knowledge.

    ReplyDelete
  9. बहुत ही रोचक जानकारी , आज से पहले कही भी इसका उल्लेख प्राप्त नहीं हुआ।

    ReplyDelete
  10. शानदार जानकारी सर
    उत्तम छायाचित्र

    ReplyDelete
  11. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  12. शानदार बहुत ही रोचक जानकारी एवं छायाचित्र।

    ReplyDelete
  13. आदर्निय...इतिहास की द्रष्टि से बहुत ही रोचक जानकारी आपके द्वारा एकत्रित कर उक्त स्थान को प्रकाश मे लाया गया है आपके इस जोखिम भरे प्रयास से इस गाँव को एक नई पहचान मिल सकेगी 🙏

    ReplyDelete
  14. विश्व बन्धु सोनीNovember 17, 2024 at 8:58 PM

    यह ब्लॉग आपकी सबसे बेहतरीन खोज होगी क्योंकि इस पर अभी तक निजी रूप से और पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कोई लेख नहीं आया है आपको बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  15. Bahut hi badiya vivaran ke sath sath chitran sir

    ReplyDelete
  16. Amazing 🤩information about our historical heritages 🙏

    ReplyDelete
  17. A truely Amazing work !!

    ReplyDelete
  18. बहुत ही रोचक और दिलचस्प एतिहासिक जानकारी जो कहीं और उपलब्ध नही है।

    ReplyDelete
  19. बहुत अच्छा ब्लॉग सर जी🙏🙏

    ReplyDelete
  20. शैलाश्रयों के आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक रहस्य👌🏻🙏🏻

    ReplyDelete