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Javari Temple : Khajuraho ( जवारी मंदिर -खजुराहो )

जवारी मंदिर खजुराहो : 

Javari Temple Khajuraho


    आज की पोस्ट में हम खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर जवारी मंदिर के बारे में विस्तृत जानकारी समझेंगे। जैसा कि पहले इन पोस्टों में हम बता चुके हैं कि खजुराहो के मंदिरों को तीन समूहों में बांटा गया है पूर्वी समूह, पश्चिमी समूह और दक्षिणी समूह। जवारी मंदिर पूर्वी समूह में शामिल है और पूर्वी समूह का एक प्रमुख मंदिर है और खजुराहो के सबसे सुंदर मंदिरों में शामिल है। हालांकि यह आकार में अन्य मंदिरों की अपेक्षा ज्यादा विस्तृत नहीं है परंतु साज सज्जा और शैली में बहुत ही अद्भुत है। यह मंदिर ब्रह्मा मंदिर के आगे की ओर और वामन मंदिर के लगभग 200 मीटर के नजदीक स्थित है । यह भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है।  
                                                     

मंदिर की विशेषता एवं मूर्तिकला:  

Javari Temple Khajuraho


    यह अपनी शिल्प उत्कृष्टता के लिए खजुराहो में प्रसिद्ध मंदिर है।यह निरंधार शैली का मंदिर है इसमें अर्ध मंडप ,मंडप , अंतराल और गर्भ गृह है हालांकि इसमें प्रदक्षिणा पथ नहीं है।वास्तु और शिल्प के आधार पर इस मंदिर का निर्माण काल 1075 ईसवी से 1100 ईसवी के मध्य माना जाता है। इस प्रकार यह  मंदिर आदिनाथ और चतुर्भुज मंदिरों के मध्य माना जा सकता है। इस मंदिर की बनावट चतुर्भुज मंदिर से मिलती जुलती है।  इस मंदिर का सबसे प्रमुख है इसका अलंकृत मकर  तोरण है। यह एक पत्थर से बना हुआ है एवं बहुत ही महीन नक्काशी से तराशा हुआ है। 

Makar Toran

 मंदिर के शिखर की बनावट बहुत सुंदर और बहुत ही सुसज्जित है। संभवत यह खजुराहो का एकमात्र मंदिर है जिसका नामकरण किसी देवी देवता के नाम के आधार पर ना होकर अन्य नाम पर है। ऐसा माना जाता है कि इसका नाम भूमि मालिक के नाम पर किया गया है एवं यह ज्वार की फसल होती थी इस आधार पर यह जावरी मंदिर कहलाया ।            

 गर्भ गृह : 

Lord Vishnu At Javari Temple


    मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा है  परंतु प्रतिमा का मस्तक तथा चारों हाथ खंडित हैं। प्रतिमा अलंकारों से अलंकृत है। प्रतिमा भगवान विष्णु के बैकुंठ रूप को प्रदर्शित करती है। गर्भ ग्रह में अनेक मूर्तियां जिसमें देवी देवता यक्ष आदि  देखने को मिलती हैं । मूर्तियां बहुत ही अलंकरण से सुसज्जित हैं। गर्भ ग्रह की छत  प्रतिमाओं का अलंकरण किया गया है। चतुर्भुज देवी कुबेर पत्नी के रूप में अंकित हैं। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है।                                   

 मंदिर तक पहुंचा कैसे जाए : 

    यह मंदिर पूर्वी समूह में शामिल है। यहां पर आसानी से किसी भी साधन से पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर, एयरपोर्ट से लगभग 9 किलोमीटर और बस स्टैंड से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुख्य मार्ग पर स्थित है, आसानी से यहां तक किसी भी साधन से पहुंचा जा सकता है। प्रवेश निशुल्क है।  मंदिर की देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जाती है। 


चित्र दीर्घा : 


Javari Temple




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