तिगवा का विष्णु मंदिर : Tigawa Vishnu Mandir
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तिगवा विष्णु मंदिर |
तिगवा मध्य प्रदेश के कटनी जिले का एक गांव है जहां कई प्राचीन पुरातात्विक स्थल विद्यमान है जिसमें हिंदू मंदिरों के अवशेष आज भी हैं । यह माना जाता है कि यहाँ 36 हिंदू मंदिरों के अवशेष स्थित है। इनमें से अब सिर्फ विष्णु भगवान का मंदिर ही सुरक्षित स्थिति में बचा हुआ है जिसे अब कंकाली देवी मंदिर नाम से जाना जाता है। यह मंदिर गुप्तकालीन वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। तिगवा गुप्त काल के समय जैन सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र था। एक अभिलेख से ज्ञात होता है की कन्नौज से आये एक जैन यात्री उभदेव ने पार्श्वनाथ का मंदिर यहाँ बनवाया था।
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Tigawa Temple
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औपनिवेशिक समय में रेलवे परियोजना के दौरान इन हिंदू मंदिरों को बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त किया गया जब एक ठेकेदार ने रेलवे परियोजना के निर्माण सामग्री के लिए इन मंदिरों को ध्वस्त किया और खुदाई की। स्थानीय ग्रामीणों ने बाद में जबलपुर में ब्रिटिश अधिकारियों को एक याचिका लगाई फिर बाद में 1870 में आदेश द्वारा इस साइट को संरक्षित किया गया। पत्थर का एक मंदिर जो अछूता रह गया जिसे स्थानीय लोग कंकाली देवी मंदिर कहते हैं और आगे यह मंदिर गुप्त युग के सबसे पुराने हिंदू मंदिरों में से एक पहचाना गया। अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1873 में यहां का दौरा किया। मंदिर 4 फुट वर्ग से लेकर 15 फुट वर्ग तक विभिन्न आकारों में थे। गुप्त काल के प्रमुख मंदिरों में तिगवा का विष्णु मंदिर एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर जबलपुर के नजदीक बहोरीबंद नामक स्थान से पास में स्थित है। यह मंदिर मूलतः पत्थरों से बना हुआ है।
तिगवा के विष्णु मंदिर का इतिहास :
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tigawa vishnu mandir |
यह मंदिर लगभग 4 या 5 वी शताब्दी के समय बनाए गए थे। श्री राखल दस बनर्जी के अनुसार इस मंदिर में एक वर्गाकार केंद्रीय गर्भगृह है जिसके सामने एक छोटा सा मंडप है। मंडप के स्तम्भों के शीर्ष भारत पर्सिपोलिस शैली हुए है जिससे यह मंदिर गुप्त काल के पूर्व का प्रतीत होता है। यह कभी मंदिरो का गावं था। गंगा और यमुना की प्रतिमाएं मुख्य मंदिर के द्वार के दोनों ओर स्थित हैं जो कि गुप्त शैली के निर्माण की प्रमुख विशेषता है। मंदिर की छत सपाट है। मंदिर का गर्भगृह आठ फुट व्यास का है। मंदिर सांची के गुप्त काल के मंदिर के साथ तुलनीय है। सांची की तरह स्तंभों के ऊपर शेरों को तराशा गया है। इस मंदिर को वर्तमान में कंकाली देवी का मंदिर कहा जाता है क्योंकि मंदिर के मुख्य द्वार पर बाएं तरफ ऊपर कंकाली देवी की मूर्ति है।
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tigawa vishnu mandir |
कंकाली देवी के नीचे सर्प पर लेटे हुए विष्णु की शेषसाई प्रतिमा है जिनकी नाभि से निकले हुए कमल पर ब्रह्मा जी है।मंदिर की संरचना में ऐसा प्रतीत होता है कि समय-समय पर परिवर्तन किया गया है। दूसरी तरफ दीवाल में जैन तीर्थ कर की पत्थर की मूर्ति स्थित है। मंदिर के अंदर दीवाल पर विष्णु के नरसिंह अवतार की मूर्ति दीवाल में है।
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tigawa vishnu mandir |
इस मंदिर के निकट एक दूसरा मंदिर है जो दुर्गा का मंदिर कहा जाता है जिसका निर्माण पुराने मंदिरो के अवशेषों से किया गया है। इसमें अष्टभुजी दुर्गा माता की मूर्ति है स्थानीय लोग इसको शारदा माता मंदिर भी कहते हैं। मंदिर के परिसर में पुराने मंदिरों के खंडित अवशेष और मूर्तियां रखे हुए हैं।भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इसे पुरातत्व महत्व का स्थल घोषित किया गया है एवं संरक्षित किया गया है। यह मंदिर कटनी जिले में बहोरीबंद कस्बे के उत्तर में तिगवा नामक गांव में है। यह स्थल कैमूर पर्वत माला के पास एक पठार पर चट्टानों में स्थित है।
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tigawa temple |
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tigawa temple |
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तिगवा मंदिर |
तिगवा विष्णु मंदिर तक कैसे पहुंचे :
हवाई मार्ग से नजदीक में जबलपुर हवाई अड्डा है। ट्रेन से जाने के लिए मंदिर से 30 किलोमीटर की दूरी पर सिहोरा रेलवे स्टेशन नजदीक है। सड़क मार्ग से बहोरीबंद के पास लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
चित्र दीर्घा :
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मंदिर परिसर तिगवा
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2 Comments
Nice information
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी सर जी🙏🙏🙏🙏
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