Lost Temples of Raisen : Manpur Shiv Temple
मानपुर शिव मंदिर रायसेन : Unexplored Raisen
सभी साथियों को पुनः नमस्कार। साथियों आज का ब्लॉग रायसेन जिले के unexplore मानपुर मंदिर पर है। रायसेन जिला पुरातात्विक दृष्टि से मध्य प्रदेश में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है पर अभी भी यहाँ के अधिकांश ऐतिहासिक स्थान Unexplored ही है । यहां कई प्रागैतिहासिक शैलाश्रय और शैल चित्र पाए गए हैं जो हजारों साल पुराने हैं जैसे भीमबेटका , pengawan , Urden ,चिकलोद , देवरी आदि । पर इनके अलावा भी रायसेन जिले में अन्य कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मंदिर भी स्थित है। जिसमें भोजपुर क्षेत्र के अंतर्गत काफी प्राचीन मंदिर हैं। रायसेन के नजदीकी विदिशा जिले में भी कई प्राचीन मंदिर स्थित है। परंतु रायसेन जिले में भोजपुर क्षेत्र के अलावा जिले में अन्य क्षेत्रों में मंदिर कम पाये गए हैं। जब हम इसका सूक्ष्मता से विश्लेषण करते हैं तो पाते हैं कि यहां के कई ग्रामों में अभी भी मंदिरों के अवशेष विद्यमान है जिसे यह स्पष्ट है यहां भी काफी अधिक संख्या में मंदिरों की श्रृंखला रही है परंतु किन्ही कारणों से अब यह मंदिर ध्वस्त हो चुके हैं या उनके अवशेष मात्र ही शेष बचे हैं।
आज के ब्लॉग में ऐसे ही मंदिरों के बारे में विषय लिया है। रायसेन जिले के कई ग्रामो में ऐतिहासिक मंदिर जो दसवीं शताब्दी से प्रारंभ होते हैं पाए गए हैं जैसे मानपुर, भादनेर, गोरखपुर, सिलवानी ,बरेली, बाड़ी ,उदयपुरा आदि. आज के ब्लॉग का विषय है मानपुर का प्राचीन शिव मंदिर. इस महत्वपूर्ण मंदिर के बारे में नेट आदि पर कोई जानकारी , फोटो आदि भी उपलब्ध नहीं है जबकि इतिहास के नजरिये से यह बहुत महत्वपूर्ण मंदिर है।
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मानपुर मंदिर रायसेन में रखी हुई मूर्तियां |
मानपुर रायसेन से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा ग्राम है। हालांकि यह ग्राम एक छोटा सा ही साधारण ग्राम है परंतु इस ग्राम के मध्य में एक प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर स्थित है जो लगभग दसवीं शताब्दी ईस्वी का है. परन्तु दुर्भाग्य यह है कि इस मंदिर के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध ही नहीं है। नेट पर भी इस मंदिर के विषय में कोई उल्लेख नहीं है जबकि यह मंदिर इतिहास की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मंदिर है और इससे यह भी पता चलता है की 10 वी सदी में रायसेन के आसपास के ग्रामों भी मंदिरो के साथ कला का विकास हो चुका था।
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मानपुर शिव मंदिर रायसेन का शिलालेख |
मानपुर का शिव मंदिर काफी खंडित अवस्था में है और अतिक्रमण की चपेट में भी है. आसपास के ग्रामीणों ने मंदिर के चारों तरफ रहवासी क्षेत्र बना लिया है और यदि इस मंदिर का संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह विलुप्त भी हो सकता है। इस प्राचीन मंदिर को ग्राम वासियों ने अज्ञानतावश चूना आदि से पुताई कर दी है जिससे इसकी ऐतिहासिकता पर असर हुआ है और प्राचीन मूर्तियां पर भी असर हुआ है। पुरातत्व विभाग को इस मंदिर के संरक्षण की ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए। यदि मंदिर के अवशेषों को सुरक्षित कर पुनर्निर्माण किया जाए तो इसका पुनः निर्माण भी संभव है।
यह मंदिर पूर्व मुखी है. भू विन्यास में मंदिर में मुख मंडप, अर्ध मंडप महामंडप,अंतराल एवं गर्भ गृह स्थित है। मंदिर त्रिभंग योजना में निर्मित है। वेदिवंन्ध में खुर, कुम्भ, तुला पीठ, युक्त कलश अलंकृत कलश बंधन है। मंदिर के निम्न भाग में रतन अलंकरण से अलंकृत एवं चैत्य अलंकरण से अलंकृत है। कुल सात बंधन है। मंदिर का शिखर भाग भग्न है। इस कारण शिखर का अलंकरण और अस्पष्ट है।
शिखर के ऊपर आमलक शिला विराजमान है. ऐसा प्रतीत होता है कि मंदिर का शिखर सप्ता अंडक था। मंदिर सामान्य जगती पर बना है. मंडप का एक भाग मलबे में दबा हुआ है, जिससे उसका अलंकरण पूरी तरह अस्पष्ट है। महामंडप में कुल स्वतंत्र रूप से नौ स्तंभ एवं आसान पट्टीका पर 12 स्तंभ एवं लगभग 10 सप्त मातृका का पट हैं. स्तंभ के नीचे घट पल्लव अलंकरण है। मंदिर का वितान सादा है. गर्भगृह में दोहरा प्रवेश द्वार में कुमुद पुष्प स्तंभ अलंकृत है।
एक स्तम्भ पर परमारकालीन लेख भी लिखा हुआ है। मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां भी है। पर सभी को चूने आदि से पुताई करने से मंदिर की प्राचीनता पर असर हुआ है। स्तंभ अलंकृत शाखा के निम्न भाग में दाएं बाएं गंगा यमुना नदी देवियों का उपासक उपासकों सहित प्रदर्शन है। नदी देवियां अपने वाहनों सहित दिखाई गई हैं। अलंकृत निचले खंड में बीच में नृत्यरत शिव नटराज, दाएं ओर चामुंडा और बाई ओर काली का प्रदर्शन है। कला दृष्टि से मंदिर लगभग दसवीं शताब्दी का प्रतीत होता है। मंदिर में प्राचीन प्रतिमाएं भी प्राप्त हुई है जिसमें गणेश, उमा महेश्वर, महिषासुर मर्दिनी आदि मुख्य है.
आज के समय में इस मंदिर को सरंक्षण की अति आवश्यकता है और पुरातत्व विभाग को तत्काल मंदिर को अपने सरंक्षण में लेकर इसका पुनः निर्माण करवाना चाहिए और इसके आसपास उत्खनन भी करवाना चाहिए जिससे इसका दबा हुआ हिस्सा भी सामने आ सके। रायसेन के स्थानीय लोगों को भी आगे आकर इस प्राचीन मंदिर को सहेजने का प्रयास करना चाहिए जिससे हमारे इस प्राचीन इतिहास को सुरक्षित कर आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित किया जा सके।
साथियो आपको आज का यह ब्लॉग कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताये और यदि आपके आसपास भी कोई इस प्रकार का ऐतिहासिक स्थान है जिसके बारे में जानकारी कम उपलब्ध है तो कमेंट कर अवश्य बताये जिससे ब्लॉग लिखने का प्रयास किया जा सके।
मानपुर मंदिर रायसेन तक कैसे पहुंचे : How to reach Manpur Temple Raisen :
मानपुर रायसेन जिला मुख्यालय से 21km की दूरी पर स्तिथ है और रायसेन से निजी टैक्सी या ऑटो के माध्यम से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह एक है और कोई होटल आदि यहाँ नहीं है। रायसेन भोपाल के नजदीक होने से यहाँ सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
चित्र दीर्घा मानपुर मंदिर रायसेन : Photo Gallery Manpur shiv Temple Raisen
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मानपुर ग्राम |
13 Comments
Har har mahadev
ReplyDeleteसुंदर एवं रोचक
Thanks anurag
Deleteबहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी सर👍
ReplyDeleteThanks a lot
Deleteबहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी हे sir
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteHamare aas pass ki bilupat ho rahi historical dharohar ki khoj kar aaj ki yuva peedi ke samakcha ujagar krne ke liye aapke duwara jo athak pryash kiya ja rha hai useki ham savi prasansha krte hai aur aapka aavvar mante hai great work thanks sir👍👍👍👌👌👌. . ..
ReplyDeleteThanks a lot sahu ji
Deleteसर इतिहास वर्तमान को वनाता है और वर्तमान भविष्य को। जिस तरह वर्तमान कार्य शैली में जिम्मेदारि से भरे उत्तरदायित्व को निभाते हुए भी आप इतिहास के प्रति अपनी पूरी ऊर्जा के साथ जो कार्य कर रहे है यह हम सब के लिए प्रेरणा दायक है। ईश्वर से प्रार्थना है सर आप सदा स्वस्थ रहे एवं सदैव अपने पैशन को फॉलो करते हैं।
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Deleteधन्यवाद सचिन, यह हम सब का दायित्व हैं कि जो भी पुरा संपदा हमारे नजदीक है उसको हम सुरक्षित करें और अपनी आगे आने वाले पीढ़ी को सुपुर्द करें.
DeleteSuper research and presentation
ReplyDeleteThanks a lot
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