Bhojeshwar Shiv Temple : An unfulfilled dream of King Bhoj
प्रतापी परमार राजा भोज का एक अधूरा सपना : भोजेश्वर शिव मंदिर
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भोजेश्वर शिव मंदिर (रायसेन) |
आज के ब्लॉग विषय है भोपाल के नजदीक भोजपुर में एक विशाल पर अधूरा भोजेश्वर मंदिर और मंदिर के निर्माता महान परमार वंश के शासक राजा भोज :
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भोजेश्वर शिव मंदिर |
भोजेश्वर मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित है भारतवर्ष के विशालकाय मंदिरों में और विशालकाय शिवलिंग में इस मंदिर का नाम आता है। राजा भोज जो स्वयं एक कुशल वास्तुकार थे और जिन्होंने इमारत और मंदिरों के निर्माण पर एक ग्रंथ समरांगण सूत्रधार भी लिखा है में इस मंदिर का स्वप्न देखा और इसको निर्माण कार्य शुरू करवाया। यह विशाल शिवलिंग और मंदिर का निर्माण उनकी महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा था परंतु यह स्वप्न कभी पूरा नहीं हो सका और यह मंदिर आज भी अधूरा ही है ।
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भोजपुर शिव मंदिर |
भोजेश्वर मंदिर भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले के भोजपुर में स्थित है और यह मंदिर बेतवा नदी और प्राकृतिक पहाड़ियों से घिरा हुआ है जो इसके बहुत ही सुगम्य वातावरण उपलब्ध कराता है. इस मंदिर को उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है। परमार वंशीय राजाओं ने मालवा के नगर धार को अपनी राजधानी बनाते हुए आठवीं सदी से लगभग 13वीं सदी तक राज्य किया था. इसी वंश में हुए महान अधिपति महाराजा भोज ने धार में 1000 ई से 1055 ई तक शासन किया। महाराजा भोज से संबंधित कई ताम्र पत्र शिलालेख और मूर्ति लेख ,महाराजा भोज से संबंधित कई ताम्र पत्र शिलालेख और मूर्ति लेख प्राप्त होते हैं। राजा भोज को उनके कार्यों के कारण उन्हें नव साहसाक अर्थात नव विक्रमादित्य भी कहा जाता था। महाराजा भोज इतिहास प्रसिद्ध मुंजराज के भतीजे व सिंधु राज के पुत्र थे।
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भोपाल स्तिथ बड़ी झील में राजा भोज की मूर्ति |
शिव मंदिर भोजपुर भव्य शिव मंदिर है जो दक्षिण पूर्व में बेतवा नदी के दाहिने तट पर एक ऊंची चट्टान पर बना हुआ है, पर यह मंदिर आज भी अपूर्ण है और इसका निर्माण पूर्ण नहीं हो सका. इसके निर्माण का श्रेय मध्य भारत के परमार वंशीय राजा भोज देव को दिया जाता है जो कला स्थापत्य विद्या के महान ज्ञाता थे और संरक्षक भी थे। राजा भोज एक प्रसिद्ध लेखक भी थे और उन्होंने 11 से अधिक पुस्तक भी लिखी है।
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भोजपुर मंदिर स्तिथ शिवलिंग |
राजा भोज ने भोजपुर के आसपास के क्षेत्र में बांधो की शृंखला बनाने के लिए स्थान को चुना था। बांधो के निर्माण के पहले क्षेत्र में कोई गांव शहर नहीं था। भोजपुर गांव और भोजेश्वर मंदिर सभी एक समय में ही बनना शुरू हुए थे। इस मंदिर की प्रेत्यक चीज विशालता का अहसास कराती है चाहे वह मंदिर का प्रवेश द्वार हो या मंदिर के विशाल स्तम्भ या शिवलिंग। कहा जाता है कि 15 वी सदी में मालवा के सुल्तान हुसैन शाह ने भोजपुर बाँध को तुड़वा दिया जिससे तीन साल तक पानी निकलता रहा और जमीन सूखने पर मंडीदीप अस्तित्व में आया।
इस क्षेत्र में कई स्थानीय जन श्रुतियां भी इस संबंध में प्रचलित है जिसमें एक मुख्य जन श्रुति के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने वनवास काल में करवाया था और कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि कुंती ने यहीं कहीं बेतवा नदी के किनारे कर्ण को छोड़ दिया था। पर यह मात्र एक किवंदिती है।
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मंदिर के पुननिर्माण से पूर्व का दृश्य ( गूगल) |
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भोजपुर शिव मंदिर |
भोजेश्वर शिव मंदिर की स्थापत्य कला :
पश्चिम दिशा की ओर सम्मुख यह विशाल मंदिर 106 फीट लंबा, 77 फीट चौड़ा 17 फीट ऊंचे ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है इसके गर्भगृह की अपूर्ण क्षेत्र 40 फीट ऊंचे विशालकाय चार स्तंभ और बाहर अर्थ स्तंभों पर आधारित है । मंदिर की योजना में वर्गकार गर्भ गृह में चमकदार पॉलिश युक्त एक विशाल शिवलिंग प्रतिस्थापित है। इसमें पश्चिम दिशा से प्रवेश हेतु सीढ़ियां बनी हुई है जिसका श्री गणेश चंद्रशिला से होता है। गर्भ गृह की द्वारा शाखाएं दोनों और नदी देवी गंगा और यमुना की प्रतिष्ठा प्रतिमाओं से सुसज्जित है। गर्भ गृह के विशाल शीर्ष स्तंभ उमा महेश्वर,लक्ष्मी नारायण, ब्रह्मा सावित्री एवं सीता राम की प्रतिमा से अलंकृत है। अलंकार की दृष्टि से मंदिर के अग्रभाग को छोड़कर शेष भाग सादा है। मंदिर का जो आज भाग देखते है वह वास्तव मंदिर का गर्भगृह है और मंदिर का अन्य भाग बनना था पर वह कभी बन ही नहीं पाया और हमें भारतीय पुरातत्व विभाग का विशेष आभार देना चाहिर जिसने इस मंदिर को पुननिर्माण कर सुरक्षित किया और छत्त की रिपेयरिंग के कठिन कार्य को पूर्ण किया।
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शिव मंदिर के बाहर मूर्तिकला |
भोजेश्वर मंदिर का पट्ट सहित 22 फीट ऊंचा यह शिवलिंग दुनिया का सबसे ऊंचा और विशालतम शिवलिंग में से एक है। एक ही पत्थर से बने विशालकाय पट्ट के ऊपर छत का एक बड़ा पत्थर गिरने से यह दो भागों में टूट गया था और इस प्रकार सदियों तक इस मंदिर की टूटी हुई पट्ट एवं छत आकाश की ओर खुली रही।
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भोजपुर मंदिर की छत्त |
भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा सावधानी पूर्वक इसको जोड़ दिया गया है एवं छत्त का खुला हुआ भाग अधो कमल से अलंकृत फाइबर ग्लास की चादर से ढक दिया गया है। यह मंदिर आज भी अधूरा है जिसका प्रमाण मंदिर के पृष्ठ भाग में एक रपटा विद्यमान है जिसका उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को बढ़ती हुई ऊंचाइयों तक ढोने के लिए किया गया था. विश्व में कहीं भी पत्थर के विशाल खंडो की संरचना को ऊपर तक पहुंचाने के लिए ऐसी प्राचीन भवन निर्माण तकनीकी विद्यमान नहीं है। यदि इस ढलान का आज अस्तित्व में नहीं होता तो यह तथ्य एक रहस्य ही रह जाता कि कैसे मंदिर निर्माण कर्ताओ ने इतने बड़े पत्थर के शिला खंडो को जो 10 टन भार वाले हैं मंदिर के शीर्ष तक पहुँचाया।
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मंदिर के पीछे पत्थरो का रैंप जिसे स्थानीय लोगो ने छतिग्रस्त कर दिया है |
यह मंदिर आज भी अपूर्ण है इसका सबसे बड़ा प्रमाण है मंदिर के पीछे के भाग में बनाया गया रैंप जो आज भी बना हुआ है और जिसको आप मंदिर के पीछे जाकर देख सकते हैं। इसी ढलान या रैंप के माध्यम से विशाल पत्थर के खंडो को मंदिर के शिखर तक ले जाया गया था और मंदिर बनने के बाद इस ढलान को हटा दिया जाता था, क्योंकि यह मंदिर बन ही नहीं पाया इसलिए ढलान भी नहीं हटाया गया है। मंदिर की छत गुंबद आकार की है और यह इस बात का प्रमाण है कि गुंबद का निर्माण इस्लाम के आगमन से पहले ही भारत में किया जाता रहा है।
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मंदिर की दीवार में उत्कीर्ण शिलालेख |
भोजेश्वर मंदिर से कुछ दूरी पर पार्वती मंदिर नाम से शैलाश्रय है जो बेतवा नदी के किनारे पर है। यहाँ पर कुछ परमारकालीन मूर्तियां रखी हुई है और पास में ही कई शिलाखंड आदि रखे हुए है जिससे यह पता चलता है कि इस मंदिर निर्माण अचानक रोक दिया गया और फिर कभी यह मंदिर पूरा नहीं सका। इतिहासकारो का मानना है यदि यह मंदिर अपना वास्तविक रूप साकार कर लेता तो यह भारत के सबसे विशाल मंदिरों में होता। पर यह मंदिर क्यों पूरा नहीं बन सका यह आज भी रहस्य ही है और कोई सही और स्पष्ट जानकारी इस विषय पर उपलब्ध नहीं है।
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मंदिर समाने का दृश्य |
भोजेश्वर मंदिर तक पहुंचे कैसे : How to reach Bhojeshwar Temple
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक होने के कारण यह सभी परिवहन माध्यम से जुड़ा हुआ है। भोपाल के एयरपोर्ट का नाम भी राजा भोज के नाम पर ही है और राजा भोज एयरपोर्ट इस मंदिर से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भोपाल शहर से यहां के लिए आसानी से सभी साधन उपलब्ध हो जाते हैं। रेल और सड़क मार्ग से देश के सभी शहरों से भोपाल जुड़ा हुआ है।
चित्र दीर्घा भोजेश्वर मंदिर रायसेन :
Photo Gallery of Bhojeshwar Temple
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भोजपुर शिव मंदिर |
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भोजपुर शिव मंदिर प्रवेश द्वार |
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भोजेश्वर शिव मंदिर |
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मंदिर के बाहर का दृश्य |
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भोजपुर शिव मंदिर |
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भोजपुर शिव मंदिर का विशालकाय शिवलिंग |
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मंदिर के प्रवेश द्वार की मूर्तिकला |
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शिव मंदिर की छत्त |
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मंदिर का प्रवेश द्वार |
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मंदिर की छत्त के भारवाहक |
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मंदिर के विशालकाय स्तम्भ |
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शिव मंदिर भोजेश्वर |
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मंदिर के प्रवेशद्वार का दृश्य |
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मंदिर के बाहर का दृश्य |
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मंदिर के पीछे बना हुआ रैंप |
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मंदिर के बाहर का दृश्य |
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मंदिर का गर्भगृह |
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भोजेश्वर शिव मंदिर |
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मंदिर पर लिखा हुआ शिलालेख |
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शिव मंदिर |
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शिव मंदिर के बाहर का दृश्य |
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मंदिर का मार्ग |
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मंदिर के बाहर मकर आकृति |
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शिव मंदिर का मार्ग |
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शिव मंदिर की दीवार |
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पार्वती मंदिर से भोजेश्वर दृश्य |
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पार्वती मंदिर भोजपुर |
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पार्वती मंदिर भोजपुर |
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बेतवा नदी से मंदिर दृश्य |
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मंदिर का फोटो पुननिर्माण से पहले (गूगल) |
3 Comments
Shandar jankari
ReplyDeleteअतभुत वर्णन,, मानवर जी,,
ReplyDeleteDetailed information with great pictures 🙏🙏
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