Adinath Temple- Khajuraho
( आदिनाथ मंदिर - खजुराहो )
खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा सा ऐतिहासिक शहर है जो अपने अभूतपूर्व मंदिरों के लिए जो विशेष बनावट से बनाए गए हैं , पूरे संसार भर में प्रसिद्ध है। खजुराहो के मंदिरों को 3 ग्रुपों में बांटा गया है पूर्वी ,पश्चिमी और दक्षिणी समूह मंदिर। इन मंदिरों में मुख्यतः हिंदू धर्म और जैन धर्म के मंदिर स्थित हैं। पूर्वी ग्रुप समूह में अधिकांशतः जैन मंदिर स्थित है जिनमें मुख्यत है पार्श्वनाथ और आदिनाथ मंदिर ऐतिहासिक है और भव्य बनावट के लिए जाने जाते है। यह सभी मंदिर चंदेला राजाओ के समय निर्मित है। जैन मंदिर समूह में कई मंदिर है जो की जैन धर्म को समर्पित है एवं unesco world heritage में शामिल है। इनकी देखभाल का जिम्मा भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है।
आदिनाथ मंदिर खजुराहो |
आज की पोस्ट में हम आदिनाथ मंदिर के बारे में जानेंगे।
आदिनाथ मंदिर जैन मंदिर है जो कि जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह मंदिर भी यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है और अन्य खजुराहो ग्रुप मंदिरों की तरह सुरक्षित है। आदिनाथ मंदिर संभवत 11 वीं शताब्दी के लगभग निर्माण किया गया है और संभवतः बामन मंदिर के कुछ समय बाद ही बनाया गया है।
भगवान् आदिनाथ |
आदिनाथ मंदिर खजुराहो का इतिहास :
गर्भ ग्रह में काले पत्थर से निर्मित भगवान आदिनाथ की मूर्ति प्रतिस्थापित है। प्रतिमा की विशेषता है भगवान आदिनाथ के लंबे बाल जो उनके कंधों पर आते हैं और एक विशिष्ट तरीके से उनको लॉक किया गया है।भगवान आदिनाथ जैन तीर्थंकरों के प्रथम तीर्थंकर भगवान हैं।
भगवान् आदिनाथ खजुराहो |
तीर्थ का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें। जो भी संसार सागर से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करते है वह तीर्थ कर कहलाते है। भगवान आदिनाथ का पूरा नाम ऋषभ नाथ है।वैदिक दर्शन में ऋग्वेद अर्थवर्वेद 18 पुराण, मनुस्मृति जैसे अधिकांश ग्रंथों में ऋषभदेव का वर्णन आता है वर्तमान में दो महत्वपूर्ण भाग ही इस मंदिर के बचे हुए हैं। इस मंदिर का पोर्च देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इसका निर्माण बाद में किया गया है। हालांकि यह एक जैन मंदिर है फिर भी मंदिर के बाहर की दीवारों पर अत्यंत सुंदर नक्काशी की गई है और हिंदू देवी प्रतिमाओं को एवं अन्य मूर्तियों जिसमें सुंदर अप्सराएं नृत्य करती हुई एवं शार्दुल भी शामिल है, को चित्रित किया गया है।
एक महत्वपूर्ण विशेषता इस मंदिर के शिखर है जो कि बहुत ही संतुलित तरीके से बनाया गया है इसको देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अवश्य ही इसका निर्माण बामन मंदिर के कुछ समय बाद किया गया होगा। यह मंदिर पार्श्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है एवं जैन मंदिर समूह का एक प्रमुख मंदिर है।यह निरंधार शैली का मंदिर है जिसमें मंडप तथा मुख्य मंडप रहा होगा।
4 Comments
Good 👍
ReplyDeleteSplendid sir
ReplyDeleteThanks 👍
DeleteNice sir
ReplyDelete