भीमकुंड एक रहस्यमई कुंड:
Bhimkund |
वैसे तो इस धरती पर कई रहस्यमय स्थान है जिनके बारे में वैज्ञानिक और अन्य लोग कई शोध कर चुके हैं पर उनका रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाया है। ऐसे ही एक रहस्यमई स्थान के बारे में हम आज के ब्लॉग में जानेंगे। इस स्थान का नाम है भीमकुंड। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसकी गहराई का पता आज तक कोई भी आदमी नहीं लगा पाया है। यह कुंड मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर बड़ामलहरा तहसील के ग्राम बाजना में स्थित है। यह एक प्राकृतिक पानी का कुंड है और एक धार्मिक स्थल भी है। यहां पर प्राचीन काल से ऋषियों ,संत ,तपस्वी आदि लोगों ने निवास किया है। यह पानी का एक प्राकृतिक सोर्स है और इसके बारे में मान्यता यह है कि यह महाभारत के समय से स्थित है।
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बाहर से जब इसकी तरफ जाते हैं तो समझ में नहीं आता कि यहां कोई इस तरह का एक बहुत बड़ा कुंड हो सकता है पर जैसे ही सीढ़ियों के माध्यम से हम कुंड की तरफ चलते हैं और भीतर थोड़ा गहराई में उतरते हैं तो इसको देखते ही आंखे विस्मृति से एकदम चकित हो जाती है और इसको देखकर आदमी हतप्रभ रह जाता है। चारों तरफ पथरीली चट्टान है और उसके बीच में यह एक पानी का स्रोत है जो ऊपर से खुला हुआ है और चारों तरफ से पहाड़ों के पथरीले पत्थरों से घिरा हुआ है। पानी में सूर्य की किरणें एकदम प्रवेश करती हैं और दिन के प्रकाश में यह बिल्कुल नीले रंग का दिखाई देता है। पानी बिल्कुल साफ है और इसकी गहराई में आसानी से देखा जा सकता है।
भीमकुण्ड कुंड के रहस्य :
इस कुंड के बारे में यह माना जाता है कि कई वैज्ञानिक एवं गोताखोर पानी की गहराई को नापने की कोशिश कर चुके हैं परंतु इस कुंड की गहराई कितनी है यह आज तक कोई भी नहीं सही सही नहीं बता पाया है। यह ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड में डूबने वाले व्यक्ति का मृत शरीर कभी भी ऊपर नहीं आता जबकि वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि पानी में डूबने वाले व्यक्ति का शव बाद में पानी के ऊपर आ जाता है। यदि कोई इस कुंड में डूब जाए तो वहां सदा के लिए गायब हो जाता है और उसका फिर कभी कोई पता नहीं लगता। इस कुंड की एक विशेषता और है जिस पर वैज्ञानिक भी हैरान है कि जब भी कोई प्रलय आने वाला होता है या प्राकृतिक आपदा घटित होने वाली होती है तो इस कुंड का जलस्तर अपने आप बढ़ने लगता है। कहा जाता है कि वर्ष 2004 में जब एशिया महाद्वीप में सुनामी आई थी तब इस कुंड ने सुनामी के संकेत पहले ही दे दिए थे और यहां का जलस्तर कई फीट अचानक बढ़ गया था। जब यह खबर सब जगह फैली तब कई वैज्ञानिकों ने यहां शोध भी किया कि यहां पानी का स्तर क्यों बढ़ता है लेकिन सटीक कारण आज तक कोई भी नहीं बता पाया है।इसकी गहराई नापने के सारे प्रयास असफल हो चुके हैं। वर्तमान समय में यह स्थान पर वैज्ञानिक शोध का केंद्र भी बना हुआ है। यह कुंड अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हुए हैं।
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भीम कुंड की ऐतिहासिक मान्यता:
इस कुंड की ऐतिहासिक मान्यता महाभारत के समय से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि जब पांडव अज्ञातवास में यहां भटक रहे थे और उन्हें पानी की प्यास लगी तो आसपास कहीं पानी नहीं मिला। तब भीम ने अपनी गदा जमीन पर जोर से मारी तो धरती फट गई और यह कुंड बन गया । इसीलिए इस स्थान को भीमकुंड कहा जाता है। यह कुंड देखने में बिल्कुल गदा के जैसा लगता है। देखने में ऐसा लगता है कि चट्टानों को किसी ने गोल आकार में काट दिया है। यहां जोर से बोलने पर इको साउंड निर्मित होता है।
सुनामी के समय उठी थी ऊंची लहरें :
वर्ष 2004 में जब सुनामी आई थी तब उस आपदा के समय इस कुंड में कई फीट तक की लहरें उठी थी। इसकी चर्चा तब सब जगह फैली और उसके बाद यह स्थान सुर्खियों में आया। वैज्ञानिक ऐसा बताते हैं कि इस कुंड से निकली जलधारा , अंदर ही अंदर किसी बड़े पानी के स्रोत में मिलती है। यहां का पानी बिल्कुल साफ और नीले रंग का है जिसकी वजह से कुंड की गहराई में बहुत अंदर तक देखा जा सकता है और एक विशेषता और यहां का पानी मिनरल वाटर जैसा है । पूरे वर्ष इस कुंड में पानी का जलस्तर कम नहीं होता। प्रत्येक मकर संक्रांति पर यहां मेले का आयोजन होता है जिसमें हर साल हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। यदि कभी आप छतरपुर की तरफ आए या छतरपुर से सागर की तरफ से जाए तो इस कुंड को अवश्य देखे। यह बहुत ही मनमोहक स्थान है और प्राकृतिक रूप से अद्भुत स्थान है।
भीमकुंड तक पहुंचे कैसे :
नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है और नजदीकी रेलवे स्टेशन छतरपुर है। ट्रेन के माध्यम से छतरपुर कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। छतरपुर से या खजुराहो से आप टैक्सी या कैब के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं ।
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