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Jamgarh Caves Jamvant Caves ( जामगढ़ जहां है रामायण काल के जामवंत की गुफा )

जामगढ़ की गुफाएं : jamgarh caves : 
जामगढ़ जहां है रामायण काल के जामवंत की गुफा : 

jamgarh bhagdehi shiva temple 


        रायसेन जिले से लगभग 90 किलोमीटर दूर बरेली तहसील के अंतर्गत अति प्राचीन ग्राम जाम गढ़ और भगदेई स्थित है। बरेली तहसील के करीब खरगोन से राष्ट्रीय राजमार्ग 12 से 6 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव स्थित है। कहा जाता है कि जामगढ़ त्रेता युग और द्वापर युग के प्रसिद्ध रीछराज जामवंत जी का निवास स्थान है जिन की गुफा आज भी यहां मौजूद है और इसी कारण से इस गांव को जामगढ़ के नाम से जाना जाता है। विंध्याचल पर्वतमाला की तलहटी में बसा हुआ यह क्षेत्र लाखो वर्ष प्राचीन क्षेत्र है। अनुमान है कि tarsari युग में यह क्षेत्र गोंडवाना ट्रेक के अंतर्गत आता था। लाखो वर्ष पहले भूगर्भीय हलचल के कारण नर्मदा के कछार और हिमालय पर्वत का उदय हुआ था। रायसेन जिले में बरेली से देवरी तक कई महत्वपूर्ण शैला श्रय स्थित है। यहां गुफाओं मंदिरों और शैल चित्रों की कई विस्तृत श्रृंखलाएं स्थित हैं। इस क्षेत्र को आदि मानवों की आश्रय स्थल भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण महाभारत विश्राम सागर नर्मदा पुराण प्रेम सागर इस अंचल का संबंध महाकाव्य की ओर से जोड़ते हैं। परंतु यह क्षेत्र आज शोध और संरक्षण की आवश्यकता महसूस कर रहा है। 

Jamgarh Shiva Temple 


        पाषाण काल ,रामायण काल ,महाभारत काल, मौर्य काल से लेकर 10 वीं 11 वीं शताब्दी तक के अवशेष  आज भी यहां वहां विखरे पड़े है । इस गांव के चारों ओर अनेक ऐतिहासिक अवशेष आज भी विद्यमान है जिनमें मुख्य रुप है शंकर जी की गुफा ,सुरा गऊ  की गुफा , जामवंत की गुफा ,जामवंत के पैरों के निशान और काले पत्थर का मंदिर ,भगदेहि  देवी का मंदिर और वाराही माता का मंदिर, 500 वर्ष पुराना अम्बा मंदिर, 

Jamgarh Village 

जामवंत गुफा 


        ग्राम जामगढ़ भगदेहि के बारे में कहा जाता है कि यह दोनों गांव जामवंत और उनके भाई रोडमल की कई लीलाओं  से भरा पड़ा है।  पहाड़ के ऊपर बनी एक गुफा जिसे जामवंत की गुफा कहा जाता है।  बताया जाता है कि यह वही गुफा है जहां द्वापर युग में 27 दिनों तक श्री कृष्ण और जामवंत के बीच भयानक युद्ध हुआ था। निश्चित ही यह स्थान इतिहास के कई गहरे रहस्यों को अपने अंदर समाये हुए है जिनका जानना आज भी बाकि ही है।  

जामगढ का पहाड़ 


इस सफर की शुरुआत होती है बरेली रायसेन हाईवे पर छोटी से जगह खरगोन  पास बने गांव जामगढ़ से। यह गांव विंध्यांचल राज की तलहटी में बसा हुआ बहुत ही खूबसूरत है।  गावं की शुरुआत में कुछ छोटे मंदिर और एक बड़ा तालाब बना हुआ है।  गावं से कुछ किलो मीटर दूर एक ऊँची पहाड़ी पर बना है प्राचीन शंकर जी का मंदिर।  

शंकर जी की गुफा : 

जामगढ शंकर जी मंदिर की गुफा का रास्ता 



        जामगढ़ गांव से उत्तर दिशा में पहाड़ी पर ऊंचाई पर शंकर जी की गुफा बनी है यहां चढ़ने के लिए लगभग 100 के आसपास सीढ़ियां बनी है। पहाड़ी तक पहुंचने का रास्ता उबड़ खाबड़ है और छोटी कारों का यहां तक पहुंचना आसान नहीं है। बड़े पहियों की  गाड़िया यहाँ  तक पहुंच सकती है। इस गुफा में प्राचीन काल का  शिवलिंग स्थित है। पास में ही गुफा के अंदर बावड़ी बनी है जिसमें वर्ष भर पानी बना रहता है। यहाँ एक जगह वर्ष भर पानी मूर्ति पर गिरता रहता है।  

जामगढ़ का शिव मंदिर 


जामगढ़ शिव मंदिर 

जामगढ़ की प्राचीन गुफा 


शंकर जी की गुफा के पास ही एक पहाड़ के अंदर एक गुफा में छोटा दरवाजा बना है जिसे सुरा गऊ की गुफा कहते हैं। किवदंती है कि इस गुफ़ा में ऋषि मुनि की तपस्या करते थे और और भगवान शंकर की पूजा करने के लिए गुफा से बाहर आते थे और वापस गुफा में चले जाते थे। वर्तमान में इस गुफा में प्रवेश कर पाना बहुत मुश्किल है।  मंदिर परिसर में कई प्राचीन मूर्तियां भी रखी हुई हैं जिसमे गणेश जी की मूर्ति  मुख्य है।  

जामगढ़ शंकर जी का मंदिर 



सुरा गऊ की गुफा : 

सुरा गऊ की गुफा 


        शंकर जी की गुफा के पास में ही सुरा गऊ की गुफा है। वर्तमान में इसरो द्वारा लगभग बंद हो चुका है और इसमें चमगादड़ वगैरह जंगली जानवर इस में घुसे हुए हैं अतः इसमें प्रवेश करना  लगभग असम्भव है। ग्रामीण बताते है कि पहले इसका प्रवेश द्वार इतना बड़ा था कि एक व्यक्ति इस में आराम से प्रवेश कर अंदर तक जा सकता था। कहते हैं  कि किसी समय एक गाय इसमें जाया करती थी इसलिए इसका नाम सुरा गऊ की गुफा है।  

जामगढ़ गुफा 


भगदेही शिव मंदिर : 

भगदेहि शिव मंदिर 


        जामगढ़ के नजदीक ही ग्राम भागदेही स्थित है। यहाँ लगभग 10 वीं शताब्दी के समय का एक  प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। इस मंदिर की शैली कुछ-कुछ खजुराहो के मंदिरों से मिलती है ऐसा माना जा सकता है कि इस युग की प्राथमिक मंदिरों के रूप में यह मंदिर स्थित है।  परमार काल में निर्मित इस मंदिर के पास कई सती स्तंभ और प्राचीन मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई है। शिव लिंग को अब नया रूप दे दिया गया है।   बताते है कि प्राचीन शिवलिंग अब नए शिवलिंग के नीचे है। मंदिर का शिखर एवं मूल बनावट अभी भी सही है।  चारो दीवालो में एक मूर्ति लगी है।  मंदिर के पीछे एक विशाल तालाब बना हुआ है।  

प्राचीन शिलालेख 


        मंदिर की एक दीवाल  नीचे पत्थर पर एक प्राचीन शिलालेख लिखा  है। मंदिर के पास ही कुछ दूरी पर पहाड़ी पर किसी व्यक्ति के पैर के निशान बने हुए है जो की काफी रहस्मयी लगते है। इन कदमो के निशान के पास एक शिलालेख लिखा है जो अब धीरे धीरे क्षरण  है।  

जामगढ़ पर पहाड़ पर शिलालेख 

शिलालेख के पास बने पैर के निशान 

jamgarh foot mark 



पास के तालाब में जो की अब पूरी तरह सूखा है एक पत्थर की लाट लगी है जो की एक ही पत्थर से बनी है। शायद यह पानी के लेवल को नापने के लिए इस्तेमाल होता होगा।  तालाब के किनारे पत्थर की बनी हुई सीढिया आज भी है परन्तु अब लगभग अतिक्रमण के कारण विलुप्ति की तरफ है।  

जामगढ़ की लाट 

जामगढ प्राचीन तालाब 

जामवंत की गुफा : 


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जामगढ़ की गुफा 


        जामगढ़ में ऊंचे पहाड़ पर एक गुफा स्थित है माना जाता है की महाभारत काल में श्री कृष्ण जामवंत का युद्ध यही गुफा में हुआ था इस कारण इस जगह को जागरण कहा जाता है। अर्थात जामवंत का गढ़ । प्रेम सागर में उल्लेख है की जामवंत की गुफा में सुमन तक मणि की चोरी का कलंक मिटाने के लिए श्री कृष्ण में 27 दिन जामवंत से युद्ध किया था भागवत पुराण में भी यह उल्लेख है कि 27 दिन के युद्ध उपरांत जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्री कृष्ण से किया और semantak मणि उपहार में श्रीकृष्ण को दी थी।

यक़ीनन यह क्षेत्र अति प्राचीन है।  यहाँ विस्तृत अन्वेषण और रिसर्च की आवश्यकता है।  जिससे बहुत से यहाँ छुपे हुए रहस्य की पड़ताल हो सके।  

फोटो गैलरी :













 

















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15 Comments

  1. धार्मिक मान्यता का एक अनूठा उदाहरण
    🙏🏻🙏🏻

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  2. Bahut hi sundar 🙏🙏

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  3. Very informative sir.

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  4. अति सुंदर

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    1. बहुत ही सुंदर एवं अनोखा मंदिर🙏🙏🙏🙏

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  5. काफी रोचक और ज्ञानप्रद जानकारी
    सब से सुन्दर तशवीर है

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  6. आप बहुत ही रोचक ढंग इतिहास से जोड़ते हैं सर 🙏

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