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shri jagdish swami mandir manora : श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा

श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा  : Shri Jagdish Swami Mandir Manora Vidisha 


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Shri Jagdish Swami Mandir Manora


        विदिशा जिले के ग्यारसपुर तहसील में  ग्राम मानोरा में भगवान जगदीश स्वामी का मंदिर लगभग 300 साल प्राचीन है। इस प्राचीन मंदिर में भगवान जगन्नाथ, श्री बलभद्र और देवी सुभद्रा के श्री विग्रह विराजमान हैं। यहां के सभी लोग एकजुट होकर भगवान का रथ खींचते हैं और मिलजुल कर इस उत्सव को मनाते हैं।  सुबह 6:00 बजे भगवान रथ में विराजित होते हैं और लगभग 7:00 बजे रथ मंदिर से रवाना होता है। रथ यात्रा से एक दिन पहले शाम को आरती के बाद भोग लगाकर भगवान को शयन कराते हैं और मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। अगले दिन सुबह जब मंदिर खुलता है तो पट अपने आप थोड़े खुले पाए जाते हैं और जब रथ पर भगवान को सवार कराया जाता है तो उसमें अपने आप कंपन होता है। यही प्रतीक है कि भगवान  जगन्नाथ स्वामी मानोरा पधार गए हैं। 

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जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ, जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ..... इसी मान्यता के अनुसार भगवान जगदीश स्वामी को मीठे पीले भात का भोग चढ़ाया जाता है जिसे अटका कहते हैं। यह भोग पूरे विधि-विधान और शुद्धता के साथ मिट्टी की सात हांडियो में तैयार किया जाता है और भगवान को अर्पित करने के बाद यही प्रसाद के तौर पर भक्तों को वितरित किया जाता है । हालांकि ग्राम मानोरा एक छोटा सा ग्राम है लेकिन रथयात्रा के दिन यहां लाखों की तादात में भारी जन सैलाब उमड़ता है जो भगवान जगदीश स्वामी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 

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श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा 

 भगवान श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा का इतिहास : 

        लगभग 300 वर्ष पूर्व  ग्राम मनोरा के तरफदार मानिक चंद्र और देवी पद्मावती की आस्था का यह मंदिर बनाया गया था। दंपत्ति भगवान के दर्शन की आकांक्षा में जगन्नाथ पुरी की ओर जा रहे थे। दुर्गम रास्तों के कारण उनका शरीर लहूलुहान हो गया ,लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। तब भगवान स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने वचन दिया कि वह प्रतिवर्ष मानोरा आएंगे और इसी वचन को निभाने हर साल आषाढ़ सुदी दूज को रथयात्रा के दिन भगवान जगदीश स्वामी मानोरा आते हैं। जब मंदिर बना तो जगन्नाथ पुरी उड़ीसा से भगवान श्री जगदीश स्वामी, श्री बलदाऊ जी और देवी सुभद्रा की प्रतिमा लायी गयी थी।

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श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा 


मिनी जगन्नाथपुरी के नाम से प्रसिद्ध मानोरा में  भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा के परंपरा लगभग 200 वर्षों से चल रही है।

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श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा 



रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है : 

        जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व प्रमुख त्योहारों में एक हैं. इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून को निकाली जाएगी. 

जानें जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़े परंपरा के महत्व और इतिहास

      रथ यात्रा भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही प्रसिद्द पर्व है।  लेकिन बाकी पर्वों और रथ यात्रा में बहुत फर्क है, क्योंकि रथ यात्रा घरों अथवा मंदिरों में पूजा पाठ या व्रत करके मनाया जाने वाला पर्व नही है. इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाया जाता है. इस पर्व में रथ यात्रा निकाली जाती है। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है. इसलिए यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र (बलराम) को समर्पित है. रथयात्रा में लाखों भक्त जूलूस में शामिल होते हैं और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। विशेषकर उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है ,लेकिन इसके साथ ही देश के अलग-अलग शहरों में भी रथ यात्रा निकाली जाती है.

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श्री जगदीश स्वामी मंदिर मानोरा 

        जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. जगन्नाथ दो शब्दों के मेल से बना है।  इसमें जग का अर्थ ब्रह्मांड और नाथ का अर्थ भगवान से है।  भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का ही रूप है, जो कि भगवान विष्णु के अवतारों में एक हैं।  स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्म पुराण में भी रथ यात्रा का वर्णन मिलता है। 

        मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में जुलूस के दौरान रथ को खींचना शुद्ध भक्ति से जुड़ा है.पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई. तब भगवान जगन्नाथ और भगवान  बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े. इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे. तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है।  मान्यताओं के मुताबिक, मौसी के घर पर भाई-बहन के साथ भगवान खूब पकवान खाते हैं और फिर वह बीमार पड़ जाते हैं. भगवान को ठीक करने के लिए उन्हें पथ्य का भोग लगाया जाता है और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही भगवान भक्तों को दर्शन देते हैं. इसके बाद जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। मौसी के घर ठहरने के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है।  इन दिनों में नारियल, मालपुए, लाई, गजामूंग आदि के महाप्रसाद का भोग जगन्नाथ जी को लगाया जाता है।  इसके बाद भगवान वापस अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर चले जाते हैं। 

        भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए तीन रथ तैयार किये जाते हैं. रथ यात्रा में सबसे आगे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का रथ रहता है जिसमें 14 पहिये रहते हैं और इसे तालध्वज कहते हैं, दूसरा रथ 16 पहिये वाला श्रीकृष्ण का रहता है जिसे नंदीघोष या गरूणध्वज नाम से जाना जाता है और तीसरा रथ श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का रहता है जिसमें 12 पहिये रहते हैं और इसे दर्पदलन या पद्मरथ कहा जाता है। रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अन्त में गरुण ध्वज पर या नन्दीघोष नाम के रथ पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं

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श्री जगदीश स्वामी मानोरा 



मानोरा तक पहुंचे कैसे : How to reach Manora , Vidisha  :  


ग्राम मानोरा भोपाल सागर हाईवे पर विदिशा से लगभग 25 km की दूरी पर स्तिथ है और आसानी से यहाँ तक पहुंचा जा सकता है।  नजदीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है।  बस , ऑटो आदि आसानी से उपलब्ध है।  

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16 Comments

  1. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने हमे आपने इतिहास के बारे में पता होना चाहिए 👍👍

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  2. Great knowledge for new generations excellent sir🙏🙏👌👌jai shri krishana

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  3. Manoj kumar kismatJune 20, 2023 at 11:46 PM

    बहुत बहुत धन्यवाद सर जी जानकारी प्रदान के लिए🙏

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  4. Hum gye rath yatra me bhut acha lga...bhut achi jgh he

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  5. This comment has been removed by the author.

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    1. Pramod Sharma
      July 7, 2024 at 10:52 PM
      श्रीजगदीश धाम, मानोरा का यह 'दुर्लभलेख' पढ़ कर बहुत बढ़िया लगा साथ ही अच्छी और महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई जिसके लिए सर का बहुत-बहुत आभार 🙏🙏🙏🙏

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  6. Excellent Blog, Next Year Jana pdega ab yahan

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