Gyaraspur Part 3 : Hindola Toran, Athkhamba, Dhekinath Stupa
Hindola toran Gyaraspur |
ग्यारसपुर भाग 3: अठखंबा, हिंडोला तोरण और ढेकीनाथ स्तूप :
Athkhamba Gyaraspur |
Dhekinath Stupa |
मित्रों ग्यारसपुर सीरीज के पिछले ब्लाग के दो भागों में ग्यारसपुर पर लिख चुका हूं और यह तीसरा और संभवतः ग्यारसपुर पर अंतिम भाग है। इस भाग में मैं ग्यारसपुर के बचे हुए तीन मुख्य स्मारक जिसमें हिंडोला तोरण, अठखम्बा और ढेकीनाथ स्तूप है उसको कवर करूँगा और यदि मौका मिला तो एक ब्लॉग और अलग से लिखूंगा जिसमें मानसरोवर ताल व ग्यारसपुर किले के बारे में भी चर्चा करने का प्रयास करूंगा क्योंकि यह दोनों स्थान अभी तक मैं नहीं देखा हूँ। अतः मैं अभी उसको इस ब्लॉग में शामिल नहीं करूंगा। यदि आपने अभी तक पिछले दो ब्लॉग नहीं पढ़े है तो लिंक नीचे दे रहा हूँ क्लिक कर पढ़ सकते है :
पिछले ब्लॉगों में मैंने यह बताया है कि ग्यारसपुर क़स्बा मध्य प्रदेश के विदिशा के पास स्थित बेहद ही खूबसूरत लेकिन उपेक्षित पुरातत्व स्थलों का एक बहुत बड़ा खजाना है । इस स्थान को अभी तक उस मुकाम से वंचित रखा गया है जो इसको पुरातत्व के हिसाब से मिलना चाहिए था।
चलिए हम शुरू करते हैं आज के ब्लॉग का पहला स्मारक हिंडोला तोरण :
मालादेवी मंदिर के बाद ग्यारसपुर को जो सबसे मुख्य स्थान है वह यही स्थान है। मूलतः यह किसी भव्य मंदिर का एक मुख्य प्रवेश द्वार प्रतीत होता है। मंदिर की विशालता का अनुमान यहां चारों तरफ बिखरे हुए अवशेषों को देखकर लगाया जा सकता है संभवतः यह एक दसवीं शताब्दी के आसपास का गुर्जर प्रतिहार कालीन भव्य विष्णु मंदिर रहा होगा । वर्तमान में केवल एक मुख्य प्रवेश द्वार और मंडप के अवशेष ही सुरक्षित बचे हुए हैं।
हिंडोला तोरण मुख्यतः अपने अलंकृत तोरण और इस पर चित्रित विष्णु के 10 अवतारों के लिए विख्यात है। 2 स्तंभों से निर्मित यह सरचना देखने में एक हिंडोले के समान लगती है। इस भव्य द्वार के स्तंभों पर मत्स्य, कच्छप, बराह, बामन, नरसिंह, परशुराम, बुद्ध , भगवान कृष्णा ,भगवान राम, कल्कि सभी 10 अवतारों की मूर्तियों का अंकन किया गया है। दोनों स्तंभों पर पांच पांच अवतारों का वर्णन किया गया है। इसके अलावा अन्य देवी-देवताओं, यक्ष, अप्सरा नर्तक, संगीतकार,फूल पत्ती, आदि का चित्रण भी किया गया है। पूर्वी स्तंभ पर मत्स्य और कच्छप अवतार का चित्रण किया गया है।
वराह अवतार में भगवान को भूदेवी को अपने कंधे पर उठाए हुए समुद्र से बाहर निकलते हुए दिखाया गया है।
वराह अवतार हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
वामन अवतार के अलावा भगवान परशुराम को अपनी कुल्हाड़ी और अंकुश को लिए हुए दिखाया गया है।
भगवान राम को अपने धनुष को अपने कंधे पर लिए हुए और दो हाथों में तीरों को लिए हुए हनुमान के साथ चित्रित किया गया है। भगवान कृष्ण, भगवान बुद्ध और अंतिम कल्कि अवतार को घोड़े पर आते हुए भी दिखाया गया है।
मत्स्य और कच्छप अवतार हिंडोला तोरण |
वामन अवतार हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
भगवान बुद्ध और कल्कि अवतार हिंडोला तोरण |
भगवान कृष्ण अवतार हिंडोला तोरण |
स्तंभों के ऊपर एक ही पत्थर से बनाए हुए पैनल के मकर तोरण को दिखाया गया है,जिस पर कई देवी-देवताओं और यह अप्सराओं को चित्रित किया गया है।
इससे कुछ दूरी पर ही चार अलंकृत स्तंभ और खड़े हुए हैं जो संभवतः उस मंदिर का मंडप हो सकता है। इस मंडप को एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बनाया गया है जिसमें चारों तरफ से सीढ़ियां दी गई हैं। स्तंभों की चारों दिशाओं में मूर्तियों का सजीव चित्रण किया गया है। इसके चारों तरफ इतनी भारी मात्रा में पत्थर और मंदिर के अवशेष फैले हुए हैं जिसे देख कर ऐसा लगता है कि किसी आक्रमणकारी के द्वारा इस मंदिर को बहुत ही बेरहमी से नष्ट किया गया है। हिंडोला तोरण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रोटेक्टेड साइट में शामिल है।
पुरातत्वविदों द्वारा 1933 में एक महिला की मूर्ति जिसे शालभंजिका का नाम दिया गया, यहीं से प्राप्त की गई थी। बाद मे यह मूर्ति ग्यारसपुर लेडी के नाम से भी विख्यात हुई। यह मूर्ति वर्तमान में ग्वालियर के म्यूजियम में सुरक्षित रखी हुई है।
अठ खम्बा ग्यारसपुर : Athkhamba Gyaraspur
8 स्तंभों का यह समूह एक चबूतरे पर बना हुआ है इसी कारण इसे अठखंबा नाम दिया गया है। यह स्तम्भों का समूह किसी शिव मंदिर का अवशेष प्रतीत होता है और वर्तमान में मुख्य सड़क के किनारे पर ही स्थित है। संभवतः यह किसी शिव मंदिर का मंडप भी हो सकता है इस के स्तंभ पर उत्कीर्ण अभिलेख सन 982 ईसवी का है जो किसी यात्री द्वारा लिखा गया था । यह पूर्वमुखी मंदिर था और मंडप, अंतराल, गर्भगृह अभी भी सुरक्षित है। द्वार का मकर तोरण एक ही पैनल का बना हुआ है। मुख्य द्वार पर मध्य में भगवान शिव को दर्शाया गया है इसलिए इसे भगवान शिव को समर्पित मंदिर माना गया है। एक तरफ भगवान ब्रम्हा और दूसरी तरफ भगवान विष्णु को दर्शाया है। स्थापत्य कला के आधार पर 9 वीं सदी के प्रारंभ के समय का माना जा सकता है पर यह किसने बनवाया ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
ढेकीनाथ स्तूप ग्यारसपुर : Dhekinath stupa Gyaraspur
ग्यारसपुर के उत्तर की ओर पहाड़ों पर स्थित कई पत्थरों के चबूतरे पर स्थित इस स्तूप को देखकर लगता है कि यह स्थान छटवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा होगा। स्तूप की वर्तमान हालत को देखकर लगता है खजाने की खोज में लोगों ने उसको पूरा खोल दिया बाद में पुरातत्व विभाग ने इसे अच्छे से रिस्टोर किया है । इस स्तूप का आकार hemispherical Dome है जिसकी ऊंचाई 2 .74 मीटर है व्यास 3. 41 मीटर है। यहाँ प्रदक्षिणा पथ बना हुआ है और कभी प्रस्तर रेलिंग भी बनी हुई थी जो अब नष्ट हो स चुकी है हालाँकि रेलिंग के अवशेष अभी यहाँ वहां बिखरे हुए है। मुख्य सड़क से इसकी दूरी एक km लगभग होगी और स्तूप तक सड़क बनी हुई है। पहाड़ी और हरियाली के बीच बहुत ही मनोरम दृश्य है यहाँ का.
सातवीं सदी की यहाँ से प्राप्त भगवान बुद्ध की प्रतिमा वर्तमान में संग्रहालय में रखी हुई है। यह प्रतिमा भूमिस्पर्श मुद्रा में बनी हुई है।
11 Comments
Intresting knowledge 🙏
ReplyDeleteExcellent sanklan 👌👌🙏🙏mere jaise kai logo ko pata hi nhi hoga ki gyaraspur ek important historical place v hai aapne blog me photo gallery ke madhyam se and rochak lekhni se bahut achhe se introduce kra diya. Thanks sir🙏
ReplyDeleteExcellent Sir ji
ReplyDeleteNice information...thanks for sharing such a historical info...
ReplyDeleteगहन आश्चर्य है कि हमारी पुरातन संस्कृति के अवशेषों की अमूल्य संपदा को ऐसे ही उपेक्षित छोड़ रखा गया है। आपके माध्यम से अपनी संस्कृति के छिपे हुए इतिहास को पढ़ने और समझने का अवसर मिल रहा है। इसके लिए आपका साधुवाद🙏🏻 मानसरोवर ताल और ग्यारसपुर पर ब्लॉग की प्रतिक्षा रहेगी
ReplyDeleteVery deep and detailed information 🙏🙏🙏
ReplyDeleteWhat a brilliant deep knowledge, search and analysis of our ancient treasure. Kudos to such devotion.
ReplyDeleteExcellent 👍
ReplyDeleteअद्भुत जानकारी एवं विलक्षण प्रयास
ReplyDeleteGreAt legend of Indian Culture 👌🙏🏻
ReplyDelete🙏
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