मालादेवी मंदिर ग्यारसपुर : Maladevi Temple Gyaraspur
ग्यारसपुर कस्बा मध्य प्रदेश में भोपाल सागर रोड पर विदिशा से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मध्यकालीन भारत में ग्यारसपुर का बहुत महत्व था जिसके प्रमाण आज कई पुराने हिंदू,जैन, बौद्ध पूजा स्थल के खंडहर और कई ऐतिहासिक धरोहर के रूप में यहां विद्यमान हैं। यहां के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों में मालादेवी मंदिर, हिंडोला तोरण,बाजरा मठ सूर्य मंदिर और ढेकी नाथ बौद्ध स्तूप शामिल है। समय के साथ साथ यह स्थान अपना महत्व खोता गया और आज एक छोटे से कस्बे में बदल गया। यक़ीनन हजारो साल पहले व्यापारिक मार्ग और विदिशा व् साँची के नजदीक होने से यह एक महत्वपूर्ण हाल्ट रहा होगा।
पिछले ब्लॉग में मैंने ग्यारसपुर के बारे में कुछ ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख किया था और ग्यारसपुर के प्रमुख मंदिर बाजरा मठ मंदिर जो कि मुख्य सड़क के पास में ही स्तिथ है , के बारे में विस्तृत चर्चा की थी, जिसका लिंक दी गयी है इसको आपको पढ़ सकते हैं।
आज इस ब्लॉग में हम यहां के प्रमुख मंदिर ऐतिहासिक मालादेवी मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे। ग्यारसपुर वह ऐतिहासिक क़स्बा है जो आपको सीधे-सीधे नवीं शताब्दी में ले जाता है । वैसे तो मध्यप्रदेश में कई ऐतिहासिक धरोहर विद्यमान है। यदि मैप में आप प्रमुख ऐतिहासिक स्थल देखेंगे तो कई प्रमुख शहर दिखाई देंगे और कुछ छोटे शहर कस्बे भी दिखाई दे जाएंगे। इन्हीं छोटे से कस्बों में एक कस्बा है ग्यारसपुर। जब आप भोपाल से सागर की ओर निकलेंगे तो विदिशा से 35 किलोमीटर की दूरी पर ग्यारसपुर कस्बा है। यहां पहुँचते ही घना जंगल और चारों तरफ पहाड़ियां आपका स्वागत करेंगे और आपको एक विहंगम दृश्य दिखाएंगे जो आप को अपनी ओर खींचने की ओर मजबूर कर देगा। हो सकता है इसी कारण से 9वीं 10वीं शताब्दी में यहां मंदिरों की एक विशाल श्रंखला बनाई गई हो जो आज भी विद्यमान है। यह सड़क ग्यारसपुर को दो हिस्सों में बांट देती है। एक तरफ बौद्ध स्मारक मौजूद है और दूसरी तरफ प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर जो पहाड़ी की ऊंचाइयों पर स्थित हैं।
माला देवी मंदिर पहाड़ के एक कोने पर स्थित है जो आपको सड़क से ही दिखाई देता है और दूसरी तरफ ढेकीनाथ बौद्ध स्तूप है वह भी सड़क से ही दिखाई देता है और बहुत ही आकर्षक दृश्य उत्पन्न करता है। अठखंबा स्मारक बीच कस्बे में ही मौजूद है।
माला देवी मंदिर ग्यारसपुर : maladevi temple
मुख्य सडक से ही मालादेवी मंदिर का शिखर दिखाई देता है और इसके भग्नावशेष दृश्य मान होते हैं। मंदिर के लिए सीधी एप्रोच रोड बनी हुई है जो आपको सीधे कस्बे से पहाड़ के ऊपर होते हुए मंदिर तक ले जाएगी और गाड़ी इत्यादि के लिए पर्याप्त पार्किंग जगह मौजूद है। पहाड़ पर जैसे ही आप गाड़ी इत्यादि से उतरेंगे तो आपको पहली नजर में ही पहाड़ी के निचले हिस्से पर मंदिर के अवशेष दिखाई दे जाएंगे जो पहली नजर में काफी आश्चर्यजनक दृश्य है। नीचे पहाड़ी की तरफ से काट के एक विशाल प्लेटफार्म बनाया गया है और इस प्लेटफार्म पर मालादेवी मंदिर का निर्माण किया गया है। कुछ-कुछ पहाड़ का हिस्सा भी मंदिर के भीतर घुसा हुआ है। पहाड़ी से सीढ़ियों के माध्यम से फिर आपको कुछ नीचे उतरना पड़ता है और फिर उतरकर आप मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंचते हैं।
maladevi temple |
प्रथम दृष्टया देखने पर मंदिर काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में दिखता है। मंदिर का शिखर हालांकि सुरक्षित स्थिति में है।पर ऐसा लगता है प्राकृतिक आपदाओं से मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हुआ है और इसी कारण से मंदिर को सुरक्षा की दृष्टि से प्रवेश बंद कर दिया गया है। केवल बाहर से ही आप मंदिर को देख सकते हैं। मंदिर के नीचे की तरफ विशाल मैदान दिखाई देता है जिसमें आपको खेत ,जंगल पहाड़ का एक मनोरम दृश्य दिखता है। वर्षा ऋतु में यहां का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है जब चारों तरफ हरियाली ही दिखाई देती है। नवीं शताब्दी के कुशल कारीगरों ने पहाड़ी को काट कर जिस तरह मंदिर का निर्माण किया है और पहाड़ी में ही मंदिर को बना दिया गया है वह यकीनन उनकी वास्तुकला की श्रेष्ठता दर्शाता है। नवी शताब्दी की प्रतिहार वास्तुकला का यह एक श्रेष्ठ नमूना है।गुप्तकाल के बाद की प्रतिहार कालीन वास्तुकला का यह बेहतरीन उदहारण है। वर्तमान में यह जैन तीर्थकर भगवन आदिनाथ को समर्पित है एवं कई जैन तीर्थकरों की प्रतिमाये यहाँ मौजूद है परन्तु प्रवेश द्वार पर गरुड़ासन देवी की प्रतिमा से यह पता चलता है कि प्रारम्भ में यह किसी देवी को यह समर्पित था।
यह आज भी स्पष्ट नहीं है कि इस मंदिर का नाम माला देवी मंदिर क्यों रखा गया है, संभवतः किसी देवी के नाम पर यह नाम आधारित हो सकता है। कहीं-कहीं ऐतिहासिक तथ्य यह बताता है कि प्रतिहार राजा उदयादित्य के पुत्र मालव देव के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।उन्हीं के नाम पर इसका नाम माला देवी मंदिर है। मंदिर संधार शैली में बनाया गया है। इसमें मंडप,प्रवेश द्वार, गर्भगृह,अंतराल,प्रदक्षिणा पथ सभी मौजूद है। मंदिर के खंभे को और दीवारों को वास्तु कला से सुशोभित किया गया है। देवी, देवताओं,यक्ष, यक्षणी देवी की प्रतिमा यहां बनाई गई है।
प्रत्येक दीवाल कई देवी-देवताओं की मूर्तियों से सुसज्जित है। मंदिर का प्रवेश द्वार काफी नक्काशी दार है। गंगा यमुना की मूर्तियां बनाई गई है, द्वारपाल हैं, ऊपर नवग्रह बनाये गये है और मंदिर के ऊपर एक देवी जो गरुड़ के ऊपर विद्यमान है जिसको वैष्णवी देवी बताया गया है उनकी मूर्ति बनाई गई है जिसे देखकर यह लगता है कि यहां मंदिर संभवत किसी देवी जिसको वैष्णवी देवी कहा जाता है को समर्पित है।
संभवत है यह उस समय की किसी स्थानीय देवी का मंदिर भी हो सकता है। वर्तमान में जैन तीर्थकरो की मूर्तियां मंदिर के अंदर विद्यमान है जो संभवतः मंदिर का हिस्सा प्रतीत नहीं होता है। संभवत यही मूर्तियां इतिहासकारो को एक उलझन की की स्थिति में पैदा करती हैं जैसा कि अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस मंदिर को बौद्ध मंदिर नाम दिया था क्योंकि जैन मूर्तियों को उन्होंने बुद्ध मूर्ति समझा था। सबसे पहले 1871 -72 में जे डी बेगलर ने यहाँ का दौरा किया था और फोटो लिए थे। 1874-75 में अलेक्सडर कनिघम ने यहाँ का दौरा किया था। उन्होंने यहाँ चार महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में बताया था जिनमे अठखंबा ,मालादेवी मंदिर , हिंडोला तोरण और बजरामठ मंदिर जो कि मध्यकालीन मंदिर है।
बाद के इतिहासकारों ने स्थापित किया कि मूल मंदिर ब्राह्मण हिन्दू धर्म से संबंधित था । वर्ष 1930 में ग्वालियर स्टेट के समय में इस मंदिर में तत्कालीन पुरातत्व अधीक्षक द्वारा कई सुधारों और मरम्मत का कार्य यहां करवाया गया और एडिशनल दो खंभों का सपोर्ट दिया गया छत के लिए। मंदिर अंदर से काफी क्षतिग्रस्त अवस्था में है और चमगादड़ का काफी संख्या में बसेरा है। अतः मंदिर के अंदर ज्यादा सुरक्षित नहीं है। मंदिर के अंदर कई जैन मूर्तियां रखी हुई है। आज का ब्लॉग यही समाप्त करते है। अगले ब्लॉग में हिंडोला तोरण, अठखंबा और ढेकीनाथ स्तूप को शामिल करूँगा और संभव हुआ तो एक ब्लॉग मानसरोवर तालाब जो लगभग 17 वी सदी क्व आसपास का है और ग्यारसपुर किले पर भी लिखूंगा जिसका अभी हाल ही में मुझे पता चला है।
how to reach maladevi temple : मालादेवी मंदिर तक कैसे पहुंचा जाये :
ग्यारसपुर विदिशा से 35 km की दूरी पर स्तिथ है। यहाँ तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर कस्बे से लगभग 2 km की दूरी पर पहाड़ी पर स्तिथ है। नजदीकी रेलवे स्टेशन भी विदिशा है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल है।
मालादेवी मंदिर चित्र दीर्घा : photogallery maladevi temple
14 Comments
Very very interesting knowladge sir🙏
ReplyDeleteबहुत ही शानदार आदरणीय सर जी
Deleteऐसी जगहों की जानकारी जैसा की श्रीमान जी द्वारा गाइड किया गया है इसके अनुसार जाकर घूमना आसान हो जाता है और एक बार ऐसी जगहों पर घूमने से अपना और बच्चो का नालेज बढ़ता है क्युकी बुक्स वेबसाइट्स पर तो बहुत जानकारी मिल सकती है पर बिरली स्थान जाकर घूमने का अहसास अनुभव ही अलग होता है। और फिर स्वयं घूमे हुए नजारे कभी भी हमारी स्मृति से नही हटता ।बहुत खूब सर जी इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए🙏👌
DeleteGreat pictures of Great place sir, thanks for your collective information
ReplyDeleteVery nice click sir ji बहुत ही सुंदर फोटो 🙏🙏🙏
ReplyDeleteअति शुन्दर
ReplyDeleteExcellent knowledge sir 👌👌🙏🙏
ReplyDeleteKitna kathin hota hoga sir ki pahle spot ka pata krna fir jaker uska Avloken krna history ko samjhna fir sabdo ka chayan kar ek krambadh tareeke se likhkar aassan avam saral topic taiyar krna
Adabhut sir it is God gifted to you🙏🙏🙏
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteExcellent Sir ji
ReplyDeleteBeautiful pictures with excellent description 👍
ReplyDeleteVery nice 👍 & valueble information.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति information and photograps all of material very nice and useful
ReplyDeleteValuable information with beautiful pictures 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteग्यारसपुर के प्रसिद्ध मालादेवी मंदिर की शैली, वास्तुकला,मूर्तियों का विस्तृत विवरण,मंदिर के आस पास के दृश्यों का सजीव चित्रण के साथ ही लगभग सभी महत्वपूर्ण चित्रों के साथ शानदार प्रस्तुति ,साधुवाद,
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