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Barsur : An archaeological treasure and The lost capital city of the Chhindaka-Nagas

Barsur : An archaeological Treasure & 

lost capital city of the Chhindaka Nagas 


barsur
मामा भांजा मंदिर बारसूर 


बारसूर Barsur   : बारसूर यह शब्द सुनते ही किसी पौराणिक काल की कथाओं का दृश्य मन के सामने प्रकट हो जाता है। आज का ब्लॉग मध्यप्रदेश के बाहर दूरस्थ एक ऐसे क्षेत्र से संबंधित है जो छत्तीसगढ़ के दूरस्थ दक्षिण अंचल में स्थित है और आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और तेलंगाना राज्य की सीमा से सटा हुआ है। आज के ब्लॉग का विषय है बारसूर। बारसूर छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राचीन गांव है। यह स्थान जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां हर जाति ,धर्म, पंथ को मानने वाले लोग अपने पूर्वजों की अमूल्य धरोहर, सांस्कृतिक स्थापत्य को सुरक्षित रखे हुए है जिसको देखने के लिए आज पूरे विश्व से लोग यहां आते है। 

बारसूर सड़क 

        एक समय में यह नाग राजाओं और काकतीय शासकों की राजधानी रहा है। यहां का इतिहास बहुत ही अविरल है। यहां के बारे में कई पौराणिक मान्यताएं और किवदंतिया प्रचलित हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस नगरी को भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के वंश से जोड़कर देखा जाता है। राजा बलि भक्त प्रहलाद के पौत्र थे। राजा बलि के अहंकार को तोड़ने के लिए जब भगवान विष्णु ने वामन रूप का अवतार धारण कर दान में धरती को मांग कर राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया था, उसी वक्त उनके पुत्र बाणासुर ने दंडकारण्य के इस क्षेत्र को अपनी राजधानी बनाया था।  बाणासुर राक्षस कुल से आता था और उसी के नाम से इसका नाम बारसूर पड़ा।

बारसूर सड़क मार्ग 

        बारसूर को तालाबों और मंदिरों की राजधानी कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर इतिहासकारों के अनुसार 8वीं इसवीं से पहले यह गंगवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसे नागवंशी राजाओं ने बनाया था। पहले यहां 11वीं और 12वीं शताब्दी के 147 मंदिर और तालाब स्थित थे। यहां के मुख्य मंदिरों में बत्तीसा मंदिर, मामा भांजा मंदिर, चंद्रादित्य मंदिर, युगल गणेश भगवान मंदिर, आदि मुख्य है।  सन 1060 ईस्वी में छिंदक नागवंशी राजा जगदेकभूषण धारावर्ष के सामंत चंद्रादित्य ने शिव मंदिर का निर्माण करवाया और तालाब खुदवाया था। 

बारसूर 

बारसूर के मुख्य मंदिरों का विवरण : 

यहां के मुख्य मंदिरों में बत्तीसा मंदिर, मामा भांजा मंदिर, चंद्रादित्य मंदिर, युगल गणेश भगवान मंदिर, दंतेश्वरी माता मंदिर आदि मुख्य है। कई मंदिर अब नष्ट हो चुके है। इस ब्लॉग में केवल प्रमुख मंदिरो के बारे में ही लिखूंगा और बारसूर के इतिहास के बारे में अलग से ब्लॉग लिखूंगा क्योंकि दोनों एक साथ लिखने से यह कुछ लम्बा  हो जायगा। 

मामा भांचा मंदिर बारसूर  :  Mama Bhanja Temple Barsur 


मामा भांजा मंदिर बारसूर 

इस मंदिर के नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह मंदिर कहीं ना कहीं मामा और भांजे के संबंध को स्थापित करता है। बारसूर के सभी मंदिरों में यह सबसे सुंदर, कलात्मक शैल चित्र से परिपूर्ण  बलुआ पत्थर से निर्मित और लगभग 2 मंजिल ऊंचाई का है। इस मंदिर के निर्माण में कई लोक कथाएं सुनने को मिलती हैं।  प्रस्तर निर्मित भगवान् शिव को समर्पित मंदिर का निर्माण छिन्दक नागवंशी शासन के समय हुआ है।  बारसूर के सभी मंदिरो में यह सबसे सुरक्षित और सुन्दर मंदिर है। मंदिर की ऊंचाई 15 मीटर के लगभग है। मंदिर पंचरथ योजना पर आधारित है। मंदिर के बाहर प्राप्त तेलगु शिलालेख के आधार पर इस मंदिर का निर्माण काल लगभग 13 वी शताब्दी ईस्वी है। मंदिर की दीवाले मूर्ति विहीन है।  

मामा भांजा मंदिर गर्भगृह 

चंद्रादित्य मंदिर बारसूर  :  Chandraditya Temple Barsur 


चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर 

        यह मंदिर स्थापत्य कला में बारसूर के सभी मंदिरों से बिल्कुल अलग है। इस मंदिर की दीवारों में कई कलात्मक मूर्तियां स्थित है जिस कारण इसे बस्तर का खजुराहो भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के किनारे यहां का विशाल सदियों पुराना तालाब है जिसे बूढा सागर कहा जाता है। भगवान् शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण छिन्दक नागवंशी शासक जगदेव भूषण के सामंत महामंडलेश्वर चन्द्रादित्य द्वारा करवाया गया था। यह जानकारी शक संवत 983  ( 1061 ईसवी ) के एक तेलगु अभिलेख से मिलती है। भूमिज शैली में इस मंदिर की संयोजना पंचरथाकार गर्भगृह चतुष्कोणीय आकार में है। मंदिर की दीवारों में विभिन्न देवी देवताओं जैस ब्रम्हा, विष्णु की दशावतार प्रतिमाये ,प्रजापति दक्ष ,उमा महेश्वर के साथ युगल प्रतिमाये अंकित की गयी है।  कला के आधार पर इस मंदिर का निर्माण काल लगभग 11 वी शताब्दी ईस्वी है। 


चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर 

चन्द्रादित्य मंदिर गर्भगृह 

बत्तीसा मंदिर बारसूर  : Battisa Temple Barsur

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

        यह मंदिर प्राचीन वास्तु कला का एक नायाब  उदाहरण प्रस्तुत करता है । यह मंदिर दो गर्भगृह वाले प्राचीन जोड़ा मंदिर का सुन्दर नमूना है।  32 पाषाण स्तंभों पर स्थिति होने के कारण ही यह मंदिर बत्तीसा मंदिर कहलाता है।  यह ऐतिहासिक मंदिर 11वीं 12वीं सदी में तत्कालीन छिंदक नागवंशी राजा सोमेश्वर देव की रानी गंग महादेवी ने बनवाया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर में दो गर्भगृह का निर्माण करवाया गया है जिसमें 2 शिवलिंग स्थित है और दोनों गर्भगृह के सामने सुंदर नंदी की कलात्मक मूर्ति स्थापित है। एक शिवालय अपने नाम पर और दूसरा शिवालय अपने पति महाराज सोमेश्वर देव के नाम पर नामकरण किया। ऐसे मंदिर अधिकांशतः महाराष्ट्र एवं आंध्रप्रदेश में प्राप्त हुए है। 

नंदी मूर्ति 

बारसूर बत्तीसा मंदिर गर्भगृह 


छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग का यह इकलौता मंदिर है जिसके दो गर्भ गृह है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि यहां के दोनों शिवलिंग सभी दिशाओं में आसानी से घूम सकते हैं। मंदिर प्रांगण में दोनों गर्भगृह से बाहर उत्तर दिशा की ओर मुंह किए हल्की सी मुढ़ी हुई अवस्था में नंदी की प्रतिमाएं है जो काले ग्रेनाइट से निर्मित हैं।  बतीसा मंदिर के अलावा 16 खंभा और आठ खंबा मंदिर भी बने थे जो अब लगभग नष्ट हो चुके हैं। 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

गणेश मंदिर बारसूर  : Ganesh Statues Barsur 

युगल गणेश मंदिर बारसूर 

बारसूर स्तिथ इस भगवान गणेश के इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां विशाल ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित दो प्रतिमाएं स्थित है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान गणेश जी दो युगल मूर्तियां स्थापित है। एक मूर्ति की ऊंचाई 7 फीट तथा चौड़ाई 17 फीट  और दूसरी की ऊंचाई  5 फिट है। इन दोनों मूर्तियों की खास विशेषता यह है कि एक ही चट्टान पर बिना किसी जोड के यह बनी हैं। इस मंदिर परिसर में कई शिव मंदिरों के अवशेष विखरे हुए नजर आते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि गणेश मंदिर के चारों तरफ कई छोटे छोटे मंदिर स्थित थे। इन दोनों प्रतिमाओं  का निर्माण लगभग 11 वी शताब्दी ईस्वी में छिन्दक नागवंशी शासको के समय हुआ है। छोटी प्रतिमा द्विभुजी है जिसमे दायें हाथ में परशु और बायें हाथ में मोदक का अंकन है। जबकि बड़ी प्रतिमा चतुर्भुजी है और बायें निचले  हाथ में मोदक और ऊपरी हाथ में टूटे हुए दांत का अंकन है। दाये ऊपरी हाथ का आयुध खंडित है तथा निचले हाथ में अक्षमाला का चित्रण है। 

युगल गणेश मंदिर 

माँ दंतेश्वरी मावली माता  मंदिर बारसूर  : Danteshwari Temple Barsur 


दंतेश्वरी मंदिर बारसूर 

इस प्राचीन पुरास्थल पर तीन अलग अलग कोष्ठो में विष्णु भगवान् की दो और महिषासुर मर्दिनी की दो प्रतिमाये प्रदर्शित है।  विष्णु भगवान् की दोनों प्रतिमाये स्थानक मुद्रा में निर्मित हैं तथा उनके हाथो में आयुध के रूप में शंख, चक्र, गदा को दिखाया गया है। महिषासुर मर्दिनी  का निर्माण बहुत ही कुशलता से किया गया है। प्रतिमा पूर्ण अलकरणं के साथ सुसज्जित है। इसे महिषासुर राक्षस का दमन करते हुए प्रदर्शित किया गया है।  निर्माण कला के आधार पर यह सभी मूर्तिया 11 वी -12  वी शताब्दी ईसवी के मध्य छिन्दक नाग कला शैली की प्रदर्शित करती है।  


बारसूर तक पहुंचे कैसे : How to reach Barsur :


बारसूर जगदलपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा मार्ग पर स्थित है। गीदम से बारसूर लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जगदलपुर, दंतेवाड़ा और गीदम से बारसूर तक आसानी से बस सर्विस उपलब्ध है। नजदीकी एयरपोर्ट रायपुर और विशाखापत्तनम है जो लगभग 400 km की सडक मार्ग की दूरी पर स्तिथ है।

चित्र दीर्घा : Photo Gallery 



बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

बारसूर बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर नंदी 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर 

मामा भांजा मंदिर शिलालेख 

mama bhanja mandir 

मामा भांजा मंदिर बारसूर 

मामा भांजा मंदिर 

मामा भांजा मंदिर 

मामा भाँजा मंदिर बारसूर 

मामा भांजा मंदिर 

दंतेश्वरी मंदिर बारसूर 

दंतेश्वरी मंदिर बारसूर 

दंतेश्वरी माता मंदिर बारसूर 

दंतेश्वरी मंदिर बारसूर 

दंतेश्वरी मंदिर भगवान् विष्णु 

दंतेश्वरी मंदिर बारसूर 

दंतेश्वरी मंदिर बारसूर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

बत्तीसा मंदिर बारसूर 

बत्तीसा मंदिर 

बत्तीसा मंदिर 



मामा भांजा मंदिर बारसूर 


चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर 

चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर 



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7 Comments

  1. Har har mahadev 🙏🙏

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  2. सुंदर चित्रात्मक विवरण। बधाई।

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  3. Superb untouched information and nice pics 👌 Har Har mahadev 🙏

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  4. Important knowledge sirji🙏

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  5. सादर प्रणाम मातश्री🙏🏻
    अदभुत अलंकारात्मक वर्णन🙏🏻

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  6. Very usefully and important knowledge at our historical places thnks sir great blogs by you🙏🙏🙏👌👌👌

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