Kagpur Historical Village of Vidisha :
कागपुर गांव विदिशा |
साथियों आज के ब्लॉग का विषय विदिशा के प्राचीन गांव पर नयी सीरीज की शुरुआत है। इस सीरीज का आज का पहला ब्लॉग गांव कागपुर पर आधारित है।
जैसा कि आप जानते है विदिशा प्राचीन भारत के प्रमुख नगरों में से एक है और विदिशा जिले का इतिहास मौर्य युग से स्पष्ट रूप से प्रारम्भ हो जाता है और इसके बाद कई दशकों तक विदिशा बौद्ध , जैन, ब्राम्हण साहित्य कला का प्रमुख केंद्र बना रहा। जिले में यहाँ वहां बिखरे पड़े इतिहासिक और पुरातात्विक भवन ,इमारते बताती है कि यह कभी भारतवर्ष का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। प्राचीन इतिहासिक शहर बेसनगर आज के विदिशा से सिर्फ 03 km की दूरी पर है। सन 1904 में विदिशा एक जिला बना जिसमे दो तहसील विदिशा और बासोदा थी। यह स्तिथि 1948 तक रही। जिले का विस्तार वर्ष 1949 में फिर हुआ जब कुरवाई स्टेट को भी इसमें शामिल किया गया। बाद में सिरोंज सब डिवीज़न जो कि राजस्थान के कोटा जिले का हिस्सा था और पीकलोन जो भोपाल स्टेट का छोटा परगना था वह भी विदिशा में शामिल हुआ। सिरोंज का इतिहास भी बहुत अनूठा और रोचक है इस पर भी एक ब्लॉग लिखूंगा।
विदिशा जिले में कई प्रमुख इतिहासिक स्थान है जिसमे पठारी, ग्यारसपुर , बेसनगर , बड़ोह , उदयपुर मुख्य है। पर कुछ स्थान और भी है जो है तो बहुत प्राचीन पर जनता को और टूरिस्टो को अधिक जानकरी नहीं होने के कारण यहाँ तक नहीं पहुँच पाते है।
ऐसे ही स्थानों पर अब एक श्रंखला शुरू कर रहा हूँ जिसमे ऐसे छोटे और गुमनाम से स्थानों को शामिल करने और आपके सामने लाने का प्रयास किया है। यदि आपको यह अच्छा लगे तो कमेंट में अवश्य बताये और नए स्थान जो आप जानते है उनके बारे में भी बताये उन्हें भी कवर करने का प्रयास करूँगा।
आज का विषय है विदिशा जिले का गांव कागपुर। हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते कि कागपुर गांव 10 वीं सदी के परमार कालीन मंदिरो और मूर्तियों का खजाना है। कागपुर गांव या काकपुर एक प्राचीन गाँव का नाम है, जो विदिशा से लगभग 28 कि.मी. की दूरी पर अशोकनगर मार्ग स्थित है। हालांकि यह गांव एक साधारण गांव जैसा हीं है पर जब ऐतिहासिक नजरिये से इसे देखेंगे तो इस गाँव के विषय में कहा जाता है कि यह लगभग ईसा की प्रथम सदी से ही बसा हुआ है। यहाँ से मिले मंदिर के अवशेषों से पता चलता है कि कागपुर गांव में बने मंगला देवी मंदिर और खेड़ापति माता मंदिर 9वीं-10वीं सदी में परमार राजाओं के शासन काल में बने थे । काकपुर गाँव के उत्तर की तरफ़ बाँह नदी बहती है। बाँह नदी के निकट बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित पुल के निशान मिले हैं। माना जाता है कि मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने अपनी सेना को दक्षिण की ओर जाने के लिए यह पुल बनवाया था।
Kagpur village is full of ancient monuments. We know of the Kakas, an autonomous community mentioned in the Allahabad Inscription of Samudragupta. Kakapura or Kagpur on a river and a hill opposite the village by the road has two square temples and a few Gupta Sculptures. A large number of pillars and Sati memorials cover the plain in front of the temple hill. Medieval inscriptions are also in evidence. These archaeological findings with the temples testify to the continued importance of the place, from the Gupta to the medieval period.
खेड़ापति स्मारक कागपुर : Kherapati Monument Kagpur Vidisha :
यह चौकोर प्रस्तर निर्मित स्मारक है यह मंदिर खेड़ापति स्मारक कहलाता है। कालांतर मेंमंदिर के किसी कारणवश ध्वस्त होने के बाद यहां के ग्राम वासियों द्वारा मंदिर का पुनः निर्माण किया गया है। मंदिर की छत पर पत्थर से निर्मित शिखर विहीन देवालय है, जिसके गर्भगृह में माँ दुर्गा देवी की प्रतिमा विद्यमान है। मंदिर से लगा हुआ वर्गाकार बरामदा है जिसके समीप ही मंदिर में अनेकों अलंकृत मूर्तियां,खंड-द्वारा, स्तंभ अर्थ स्तंभ, कोष्टक तथा गांव के आसपास से संग्रहित परमार कालीन प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया है यह सभी प्रतिमाये 10वीं 11वीं शताब्दी ईस्वी की है।
Mangla Devi Temple Kagpur Vidisha मंगला देवी मंदिर कागपुर विदिशा :
यह मंदिर पूर्व मुखी है जिसकी अलंकृत द्वार शाखा विद्यमान है। ललाटबिम्ब पर देवी की प्रतिमा है बाई एवं दाएं द्वार शाखा में नागकन्या के रूप में त्रिभंग मुद्रा में खड़ी प्रतिमा है इसके समीप समपाद मुद्रा में अन्य देवी को carved किया गया है। दोनों ओर भारवाहक के शीर्ष पर तीन-तीन मानव आकृतियों को चार स्तरों में आलिंगन मुद्रा में दर्शाया गया है। अन्य पलंकरण में बेल बूटा, लता तथा विभिन्न स्वरूपों का शिल्पांकन किया गया है। मंदिर के बाहरी अलंकरण प्राय नष्ट हो चुके हैं।
मंगला देवी मंदिर के निकट ही 12 स्तंभों से बना हुआ सपाट छत का मंडप विद्यमान है। यह मंदिर 10वीं- 11वीं सदी की परमार कालीन कला को प्रदर्शित करता है। वर्तमान में मंदिर बहुत जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। मंदिर को बहुत ही maintenance की आवश्यकता है। जगह जगह से मंदिर के पत्थर निकल रहे है। यदि समय रहते इसकी सुरक्षा नहीं की गयी तो यह भी हमारे इतिहास का भाग हो जायगा।
कागपुर ग्राम में इतनी पुरासम्पदा फैली हुई है कि इसे heritage village भी घोषित किया जा सकता है क्योंकि अभी कई स्थान ऐसे है जो सामने आना बाकि है और सुरक्षित भी किया जाना है। एक विस्तृत सर्वे की भी आवश्यकता है।
आपको यह ब्लॉग कैसा लगा कमेंट के द्वारा अवश्य बताये। यदि आप भी किसी हेरिटेज स्थान के बारे में जानते तो अवश्य बताये जिससे उस स्थान को सबके सामने लाया जा सके।
कागपुर तक पहुंचे कैसे : How to reach Kagpur Village :
कागपुर गांव विदिशा से 28 km की दूरी पर अशोकनगर मार्ग पर स्तिथ है। यह मुख्य सड़क पर स्तिथ है. आसानी से यहाँ पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है।
16 Comments
Nice
ReplyDeleteThanks 🙏
DeleteBahut hi badhiya jaankari hai aadarniya
ReplyDeleteIs type ke jaankari birle hi milti hai.
Aur yah historic jaankari sabhi ke liye achi hai.saath hi is jankari se bacho ka knowledge bhi badta hai
Bahut hi upyogi hai.
Dhanyawad
This comment has been removed by the author.
DeleteVery Nice blog
ReplyDeleteThanks 🙏
DeleteNice
ReplyDeleteThanks 🙏
DeleteBilupt ho rhi anuthi historical virasat ko ujagar krne ka jo kam aapke duwara kiya gya vo adbhut avm sarahniya hai.
ReplyDeleteHmare aas pass hi etni mahtvpurna historical spot hai hamko pata hi nhi tha aur kavi hamne kalpna v nhi ki thi ki hamare ass pass kae spot aise v ho sakte hai.
"Realy great, amazing research"
I heartly shelut you .....
Thanks for unique and important blog..... No dought.
धन्यवाद साहू जी 🙏
DeleteNice blog 🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
Delete🙏
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteDetailed blog with nice picture 🙏🙏
ReplyDeleteऐतिहासिक धरोहर👌
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