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Sonari Stupas : A Gateway to Buddhist Heritage

Sonari Stupas  : A Gateway to Buddhist Heritage 

 
सोनारी स्तूप समूह 

साथियों जैसा कि आप जानते है कि अभी मैं साँची बौद्ध स्तूप समूह और बुद्धिस्ट सर्किट को कवर कर रहा हूँ।  पिछले ब्लॉग में मैंने रायसेन स्तिथ अंधेर बौद्ध स्तूप समूह को कवर किया था जो साँची बौद्ध सर्किट का यह एक हिस्सा है और सभी स्तूप समूह में सबसे ऊँची पहाड़ी पर है । जैसा कि पूर्व के ब्लॉग्स में मैं लिख चुका हूं सांची के चारों ओर 20 किलोमीटर के दायरे में चार बौद्ध स्तूप समूह है : दक्षिण पूर्व में भोजपुर या मुरलखुर्द और अंधेर स्तूप समूह, दक्षिण पश्चिम में सोनारी और पश्चिम में सतधारा समूह । यह सभी स्थल मैं कवर कर चुका हूँ यदि आपने अभी तह नहीं पढ़ा है तो लिंक नीचे दे रहा हूँ आप क्लिक कर पढ़ सकते है।  

Sanchi and surrounding stupas, including Sonari southwest of Sanchi.

सोनारी स्तूप 





इस श्रंखला में अब केवल सोनारी बुद्ध स्तूप समूह ही बचा हुआ है जिस पर आज ब्लॉग लिख रहा हूँ और इसके साथ ही यह सीरीज पूर्ण हो जायगी। हालाँकि साँची के नजदीक कुछ अन्य साइट भी पता चली है जैसे नागोरी पहाड़ी जहा एक विशाल मानव नाग मूर्ति पायी गयी है जो यहाँ नागवंश होने का प्रमाण देती है।  नागोरी पहाड़ी को भी कवर कर लिया है।  इस पर भी एक ब्लॉग लिखूंगा।  अब आज के विषय सोनारी स्तूप के बारे में चर्चा करते है।  

सोनारी स्तूप से विहंगम दृश्य 

        सुनारी या सोनारी गांव रायसेन जिले में एक छोटा सा गांव है। अन्य गाँवो जैसा यह भी एक साधारण गांव है।  पर जो विशेषता इसे अन्य से अलग करती है वह यहाँ ईसा पूर्व के बने हुए बौद्ध स्तूप।  

        सोनारी बौद्ध स्तूप परिसर एक पुरातात्विक स्थल है। यहां मौजूद बौद्ध स्तूप ईसा पूर्व सदियों में बने हुए हैं। सोनारी बौद्ध स्तूप सांची से लगभग 10 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम दिशा में है और भोपाल से लगभग 39 km की दूरी पर है। यहाँ का  नजदीकी रेलवे स्टेशन सलामतपुर है। इन स्तूपों के excavation का कार्य वर्ष 1850 के आसपास सर अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा किया गया था जिन्होंने relics से भरे दो बक्सों की खोज की थी और जो अब विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम में है। स्तूप नंबर 2 के अवशेषों में ब्राह्मी भाषा में शिलालेख इनस्क्रिप्शन था जिसमें बौद्ध भिक्षुओं के नाम लिखे हुए थे ,जो वही नाम है जो सांची के स्तूप संख्या दो और अंधेर के स्तूपों में भी लिखे हुए थे:  Kasapagota, Majjhima, Kosikiputa, Gotiputa और Apagira अतः ऐसा प्रतीत होता है कि इन monks के अवशेषो को तीन हिस्सों में बांटा गया और  इन boxes  के relics को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया था। अतः सोनारी स्तूप एक और स्तूप दो के निर्माण की तारीख सांची स्तूप दो के बराबर होना चाहिए अर्थात ईसा पूर्व 125 से 100  BCE . 

सोनारी स्तूप समूह 

स्तूप क्रमांक 01  सोनारी : Stupa No 01 Sonari : 

सोनारी स्तूप 01 और पीछे मोनेस्ट्री 


        Alexander Cunningham और FC Maisey  ने वर्ष 1851 में सोनारी के स्तूप एक की खोज की थी।The stupa contained a miniature soapstone reliquary.

        यह चौकोर जगह के बीच में स्थित है। इसका व्यास 48 फिट है जो सूखे पत्थरों का बिना सीमेंट और मिट्टी का बना हुआ है। इसके चारों तरफ भी रेलिंग बने थे जिनमें केवल अवशेष ही बचे हैं. रेलिंग पर कनिघम को इंस्क्रिप्शन मिले थे। 

Decorated pillar of Sonari stupa No.1


स्तूप क्रमांक दो सोनारी  : Sonari Stupa 02 : 

सोनारी स्तूप 02 


        Alexander Cunningham और FC Maisey  ने वर्ष 1851 में सोनारी के स्तूप क्रमांक दो की खोज की थी। इस स्तूप में तीन लघु अवशेष पाए गए। दो सोपस्टोन में और एक रॉक क्रिस्टल में। साथ में निश्चित मात्रा में राख और लकड़ी का एक टुकड़ा पाया गया। 

The main reliquary of Stupa No.2 at victoria and albert museum 

        The main reliquary is shaped to resemble a lotus bud, with incised petals decorating the lower half of the reliquary. It was turned on a lathe and then carved in bas-relief. The reliquary of Stupa No.2 presents has inscriptions in Brahmi mentioning the names of Buddhist monks also appearing in the reliquary of Sanchi Stupa No.2 and Andher Stupas: Kasapagota, Majjhima, Kosikiputa, Gotiputa, and Apagira. It would seem, then, that the ashes of these monks were divided between these three stupas.

Relics of Stupa No.2.


Relics of Stupa No.2.


सोनारी नाम के पीछे संभवतः स्वर्णरी शब्द है जिसका अर्थ सोने का पहिया होता है, बौद्ध धर्म में यह पहिया बहुत पवित्र माना जाता है वह भगवान बुद्ध का प्रतीक है।  The village’s name, Sonari, is believed to be derived from Suvarnari, meaning the “golden wheel” – a revered symbol in Buddhism. 

Monastery Sonari :

मोनेस्ट्री सोनारी 

स्तूप 02 की तरफ जाते हुए एक मोनेस्ट्री है जो ऐच्छिक हालत में है और ऊंचाई पर है।  जिससे उस समय रात्रि में बुद्धिस्ट भिक्षु यहाँ निवास करते होंगे.  सोनारी में अन्य छोटे स्तूप भी बने हुए है।  जैसे स्तूप 05 . कुछ अन्य अवशेष भी रखे है और कुछ स्तूप अभी छतिग्रस्त अवस्था में है। 

    आपको यह ब्लॉग कैसा लगा।  कमेंट कर अवश्य बताये।  विदिशा या रायसेन के किसी स्थान पर आप ब्लॉग चाहते तो अवश्य कमेंट कर बताये जिससे उसे भी कवर करने का प्रयास किया जा सके. आज का ब्लॉग यही समाप्त करता हूँ।  पढ़ने के लिए धन्यवाद।  

सोनारी तक पहुंचे कैसे : How to reach Sonari :

यदि आप विदिशा तरफ से आते है तो सलामतपुर में मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा एक सोनारी बोर्ड लगाया गया है पर यह सिर्फ पैदल रास्ता है जो लगभग 03 km का है और आपको पहाड़ पर पैदल चल कर आना होगा।  वहां से आते समय बेरखेड़ी चौराहे से कुछ आगे से कर्क रेखा से पहले मोड़ है जो आपको सीधा सोनारी तक पहुंचा देगा। यहाँ से आपको कुछ पैदल चलना होगा और आप यहाँ पहुँच जायँगे।  यहाँ आने का सबसे अच्छा समय अगस्त से मार्च तक का है।  

Photo Gallery Sonari Stupa : सोनारी स्तूप चित्र दीर्घा : 


सोनारी स्तूप 02 

सोनारी स्तूप समूह 

सोनारी मोनेस्ट्री 

सोनारी स्तूप 02 

सोनारी स्तूप 

सोनारी स्तूप 

सोनारी स्तूप 

सोनारी मोनेस्ट्री 

सोनारी स्तूप समूह 

सोनारी स्तूप 

सोनारी स्तूप 

सोनारी स्तूप जाने का पैदल रास्ता 

सोनारी स्तूप का रास्ता 

सोनारी स्तूप का बोर्ड 

सलामतपुर में लगाया गया बोर्ड 

सोनारी छतिग्रस्त स्तूप 

सोनारी छतिग्रस्त स्तूप 

सोनारी अन्य छोटे स्तूप 

सोनारी स्तूप 05 

सोनारी स्तूप की रेलिंग्स 






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6 Comments

  1. खूबसूरत ,अतिसुन्दर ,अतिसूक्ष्म वर्णन👌👌

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  2. बहुत ही शानदार वर्णन

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  3. Deep description sir we can't explain experience bt your word and hard word behind it is unspeakable.

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