सतधारा एक ऐतिहासिक बौद्ध स्मारक समूह रायसेन :
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सतधारा मुख्य स्तूप क्रमांक 01 |
सतधारा एक प्राचीन ऐतिहासिक और बुद्धिस्ट साइट है जो अपने स्तूप और बिहार के लिए काफी प्रसिद्ध है । परतुं साँची के नजदीक होने के बाद भी एक गुमनाम साइट है। सतधारा स्तूप विश्व प्रसिद्ध सांची के पश्चिम में लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के अंदर स्थित है। सम्राट अशोक के द्वारा साँची को केंद्र में रखकर चारो तरफ बुद्ध धर्म के प्रचार प्रसार हेतु बौद्ध स्तूपों का निर्माण करवाया गया। जिसमे मुरलखुर्द, सुनारी, सतधारा प्रमुख है। सांची के 20 किलोमीटर की रेडियस में 4 बौद्ध स्तूप समूह स्थित है। भोजपुर और अंधेर दक्षिण दिशा में, सोनारी दक्षिण पश्चिम दिशा में सतधारा पश्चिम दिशा में है और दक्षिण दिशा में लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर एक अन्य समूह है जो सारू मारू नाम से प्रसिद्ध है।
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Sanchi and surrounding stupas |
इन सभी स्तूपों की प्रारंभिक खोज ब्रिटिश मेजर कनिंघम द्वारा की गई थी। उनके द्वारा लगभग सभी स्तूपों के मध्य में जो अस्थि अवशेष थे उनको निकालकर इंग्लैंड ले जाया गया और वहां पर ब्रिटिश म्यूजियम और विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम को डोनेट कर दिया गया।
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सतधारा में बने हुए अन्य छोटे स्तूप समूह |
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सतधारा मुख्य स्तूप 01 |
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सतधारा के किनारे हलाली नदी |
भोपाल विदिशा मार्ग पर यह स्थान रायसेन जिले में स्थित है और भोपाल से लगभग 1 घंटे की यात्रा कर यहां पर पहुंचा जा सकता है। सांची से लगभग 10 किलोमीटर दूर यह ऐतिहासिक स्थल स्थित है। यह बहुत ही शांत परिवेश में है। पहाड़ पर सतधारा से देखने पर हलाली नदी का दृश्य मनमोहक और बहुत ही आकर्षक है । यहाँ कई छोटे-बड़े स्तूप है जो लगभग मौर्य काल के समकालीन हैं । इन स्तूपों में स्तूप क्रमांक 1 सबसे विशाल और सबसे आकर्षक है। इस स्तूप के चारों ओर एक व्यापक परिक्रमा पथ है और बहुत ही शांतिपूर्ण है।
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सतधारा मुख्य स्तूप 01 |
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Great stupa of Satdhara , reliquary and inscriptions. |
इस स्थान को सतधारा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर हलाली नदी सात धाराओं में विभाजित होती है। सतधारा स्तूप समूह हलाली नदी के किनारे लगभग 28 एकड़ जमीन पर फैले हुए हैं। यहां लगभग 29 बौद्ध स्तूप और दो मॉनेस्ट्री है जो कि मौर्य काल सम्राट अशोक के समकालीन है। सतधारा का मतलब होता है सात धाराओं का समूह। यहाँ बना मुख्य स्तूप लगभग 2500 साल पुराना है और 13 मीटर ऊंचा है एवं 34 मीटर व्यास का है। पुरातत्व विभाग द्वारा जीर्णोद्धार के जरिए इस स्थल को पुनर्जीवित किया गया है। यहाँ एक बौद्ध बिहार भी मिला है। साँची 12 वी सदी तक जीवित साइट रही है परन्तु सतधारा किसी कारणवश चौथी सदी बाद गुमनामी में चली गयी।
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बौद्ध बिहार सतधारा |
यहाँ का मुख्य आकर्षण पहाड़ी से थोड़ा नीचे जाने पर नदी किनारे लगभग चौथी से सातवीं सदी की पुरानी गेरुए रंग से बनी भगवान बुद्ध और स्तूप की रॉक पेंटिंग है।
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रॉक पेंटिंग सतधारा |
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बुद्ध भगवान की रॉक पेंटिंग |
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स्तूप की बनी हुई रॉक पेंटिंग सतधारा |
मुख्य स्तूप क्रमांक 1 सतधारा :
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सतधारा मुख्य स्तूप 01 |
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सतधारा मुख्य स्तूप का दरवाजा |
सतधारा के मुख्य स्तूप 01 का निर्माण सम्राट अशोक के समय बड़े ईटों से करवाया गया था। बाद में शुंग शासकों के समय मुख्य स्तूप पर पत्थरों से पुनः कवर किया गया और चारों तरफ वेदिका का निर्माण किया गया। जिससे इसका आकार और भी विशाल हो गया । इस स्तूप का एक अन्य आकर्षण इसमें बना हुआ प्रवेश द्वार है , जबकि अन्य स्तूपों में इस प्रकार का कोई द्वार नहीं मिलता है।
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सतधारा मुख्य स्तूप का प्रवेश द्वार |
हालाँकि यह प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया। पत्थर से निर्मित यह स्तूप अपने रंग के कारण दूर से ही दिखाई देता है। खुदाई में मिट्टी के पात्रों के टुकड़े मिले हैं वह लगभग 500 से 200 ईसा पूर्व के हैं। बौद्ध शैलचित्र भी यहां मिलते हैं। स्तूपो को एक रेलिंग द्वारा ताज पहनाया गया था जिनमें से कई के स्तंभ आज भी यहां वहां बिखरे पड़े हैं। वर्गाकार कुछ स्तंभ भी बने हुए हैं वह पूर्ण और अर्ध कमल के फूलों के अलंकृत थे। सतधारा के शेष स्तूप अब केवल पत्थर के घेरे हैं। मुख्य स्तूप से जल निकासी हेतु भी उचित व्यवस्था की गयी थी , एक नाली द्वारा स्तूप के अंदर भरने वाले पानी को बहार तक निकाल दिया जाता था।
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सतधारा में फैले हुए पत्थरो के अवशेष |
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मुख्य स्तूप में भरने वाले पानी के निकासी हेतु बनायी गयी नाली |
सन 1989 में इस स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया था। यहाँ प्रवेश निशुल्क है। भारतीय पुरात्तव विभाग द्वारा इसे अच्छे से सरक्षित किया गया है। यहाँ प्रवेश का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक है। पहुँच रोड अच्छी है। जगह जगह मार्ग संकेतक बने हुए है।
चित्र दीर्घा ( Gallery ) :
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सतधारा स्तूप क्रमांक 04 |
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सतधारा स्तूप क्रमांक 07 |
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सतधारा के किनारे हलाली नदी |
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सतधारा समूह का एक छोटा स्तूप |
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मुख्य स्तूप का परिक्रमा पथ |
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सतधारा रॉक पेंटिंग |
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सतधारा वन्य जीव |
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सतधारा स्तूप 08 |
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सतधारा सूचना पटल |
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सतधारा पथ सूचक |
7 Comments
🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteInformative post..keep it up brother
ReplyDeleteVery informative and we'll written post along with superb photos 😊😊
ReplyDeleteVery informatively presented. Hope to see more such pieces 🙏
ReplyDeleteThank you so much😊
Deletenice information and beautiful photos.
ReplyDeleteThank you🙏
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