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महलपुर पाठा (रायसेन) का गुमनाम इतिहास और प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर: Historical Radha Krishna Temple of Mahalpur Patha (Raisen ) and lost heritage of Mahalpur Patha


Historical Radha Krishna Temple of Mahalpur Patha (Raisen ) and lost heritage of Mahalpur Patha 

महलपुर पाठा ग्राम और गढ़ी का दृश्य 

" यदि हम अपना इतिहास नहीं जानेंगे तो खुद को कैसे पहिचानेगें "

        साथियों सभी को नमस्कार, आज के रविवार के साप्ताहिक ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है, जैसा कि आप पिछले ब्लॉग से देख रहे हैं मैं रायसेन जिले के उन मंदिरों और स्थानों को कवर करने का प्रयास कर रहा हूं जो ऐतिहासिक रूप से तो कभी बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहे है पर आज लगभग गुमनामी की स्थिति में है और यहां के ऐतिहासिक मंदिर आज लगभग जीर्ण शीर्ण अवस्था में है और सिर्फ ग्राम वासियों के विशेष सहयोग से यह मंदिर आज भी अपने वर्तमान स्वरूप में मौजूद हैं और उन्हीं के सहयोग से इन मंदिरों और उनके आसपास बहुत मूल्य प्रतिमाओं और हमारे इतिहास को सहेज रखा गया है। वैसे तो संपूर्ण रायसेन जिला में ही प्रागेतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरों से लेकर वर्तमान तक कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक ऐतिहासिक धरोहर मौजूद है.

महलपुर पाठा ग्राम में मंदिर के नीचे रखी हुई प्राचीन प्रतिमाये 

यदि आपने पिछले ब्लॉग नहीं पढ़े है लिंक को  नीचे दे रहा हूँ आप क्लिक कर पुनः पढ़ सकते है :





महलपुर पाठा ग्राम में प्राचीन गढ़ी का बुर्ज 

        पर दुर्भाग्य की बात यह है कि इन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों और मंदिरों या स्थानों को आज बिल्कुल भूला दिया गया है और यदि हम अपना इतिहास ही नहीं जानेंगे तो हम अपने को कैसे पहचानेंगे। यह वह स्थान है जो ऐतिहासिक रूप से तो बहुत महत्वपूर्ण है पर आज गुमनामी में होने के कारण हम में से अधिकांश लोगों को उनके बारे में नहीं पता है और यदि इन्हें आज सुरक्षित नहीं किया गया तो आगे आने वाले पीढ़ी भी इनके बारे नहीं जान पाएगी। 

महलपुर ग्राम में पेड़ नीचे रखी हुई ऐतिहासिक प्रतिमाये 


        आज के ब्लॉग का विषय है रायसेन जिले से 35 km की दूरी पर स्थित एक छोटा सा ग्राम महलपुर पाठा : महलपुर पाठा आज एक बहुत छोटा सा ग्राम है और रायसेन सागर मुख्य सडक से अंदर की ओर लगभग 10 km की दूरी पर स्तिथ है। यह गैरतगंज तहसील में आता है। यहां आने से पहले मुझे भी नहीं पता था कि यह स्थान इतना महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है और यहाँ इतिहास का एक खजाना छुपा हुआ है और  बहुत कम लोगो को इसके बारे में पता है। यहाँ किस शासक का शासन था , किस भगवान् का देवालय यहाँ बना हुआ था , श्री राधा कृष्ण मंदिर यहां कब बना , यहाँ की गढ़ी या किला कब बना और किस प्रकार यहाँ के ऐतिहासिक स्थान समय की धूल में नीचे दब गए आदि ऐसे सवाल है जिनका उत्तर हम नहीं जानते। 

श्री राधा कृष्णा मंदिर में एक पैनल पर लिखा अभिलेख जिस पर सिन्दूर लगाने से अपठनीय है 

        दरअसल मैं गया था एक अन्य प्रागेतिहासिक स्थल को देखने जिसका नाम है टिकोदा और पुतली करार को देखने पर यहां जाने में और सटीक स्थान तक नहीं पहुँच पाने पर ग्राम में मौजूद एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि गैरतगंज के पास में एक ग्राम है महलपुर जहां एक प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर मौजूद है और कुछ अन्य पुरातात्विक ऐतिहासिक मूर्तियां भी मंदिर परिसर में रखी हुई है तो जिज्ञासा वश महलपुर की तरफ गया और यहां आने पर मैंने पाया कि जैसा मैं सोचता हूं और पाया भी है कि रायसेन और विदिशा के ग्राम ग्राम में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान और मंदिर रहे हैं जो आज किसी कारणवश नहीं है पर उनके साक्षी और पुरातात्विक अवशेष आज भी गवाही देते हैं कि यह स्थान कभी अपने समय में बहुत महत्वपूर्ण स्थल रहे होंगे. 

महलपुर ग्राम में मंदिर के पीछे रखी वराह प्रतिमा 

        आज के ब्लॉग के विषय पर चर्चा करते हैं जिसका नाम है महलपुर पाठा। हालांकि ग्राम एक छोटा सा साधारण है और अन्य ग्राम जैसा ही है। पर यहां एक प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर मौजूद है. हालांकि मंदिर का बनावट और वास्तु कला से देखकर बहुत अधिक प्राचीन नहीं लगता पर इसकी जो विशेषता है वह यहां की भगवान राधा कृष्ण और रुक्मणी जी की प्रतिमा है. मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही पेड़ के नीचे कई प्राचीन प्रतिमा रखी हुई है जो प्रथम दृष्टि से ही दसवीं शताब्दी के आसपास ही प्रतीत होती हैं और यह पुष्टि करना प्रतीत होता है कि यहां एक परमार कालीन मंदिर रहा होगा जो आज किसी कारणवश मौजूद नहीं है. 

महलपुर पाठा स्तिथ ऐतिहासिक श्री राधा कृष्ण मंदिर 


        महलपुर पाठा ग्राम (रायसेन) का 728 वर्ष प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर : रायसेन जिले अंतर्गत गैरतगंज तहसील में ग्राम महलपुर पाठा में एक प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर स्थित है। यह मंदिर 700 वर्ष से अधिक प्राचीन है। इस मंदिर में लगे एक शिलालेख अनुसार इसके संवत 1354 यानी वर्ष 1297 में निर्माण की जानकारी दी गई है। मंदिर में एक हनुमान जी का भी मंदिर बना हुआ है। 

महलपुर स्तिथ ऐतिहासिक श्री राधा कृष्ण मंदिर 

         श्री राधा कृष्ण मंदिर की विशेषता :  इस मंदिर में भगवान राधा कृष्ण और रुक्मणी जी की प्रतिमा एक ही पत्थर पर ऊपरी गई है जो बहुत ही दुर्लभ है। यह स्थान एक प्राचीन स्थल है मंदिर के पास ही प्राचीन बावड़ी और एक विशाल तालाब और तालाब के पास में एक किले के निर्माण के अवशेष अभी भी मौजूद हैं और कई प्राचीन मूर्तियां जो दसवीं से 11वीं शताब्दी के प्रतीत होती हैं चारों तरफ फैली हुई है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह स्थान हजारों वर्ष प्राचीन है रायसेन की सांस्कृतिक धरोहर है।

महलपुर ग्राम में स्तिथ ऐतिहासिक बावड़ी 


        श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर के पीछे ही एक प्राचीन आकर्षक बावड़ी मौजूद है जो स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है और वर्गाकार आकार में है इसकी सीढ़ियां आज भी सुरक्षित है और बावड़ी में आज भी पानी मौजूद है. बावड़ी के बगल में ही एक अन्य मंदिर स्थित है जहां भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग है और बहुत अधिक मूर्तियां पेड़ के नीचे रखी हुई है जिससे यह स्पष्ट यहां कभी विशालकाय मंदिर रहा होगा। बावड़ी के एक तरफ से जंगल में जाने का रास्ता बना हुआ है यदि हम रास्ते से आगे बढ़ते हैं तो एक प्राचीन गढ़ी को पाते हैं जिसके बुर्ज अभी भी सुरक्षित अवस्था में है. 

महलपुर ग्राम में जंगल में मूर्तियां 

        तालाब से इस गढ़ी के बुर्ज दिखने लगते है। तालाब के किनारे किनारे कई मूर्तिया रखी हुई है। इससे यह स्पष्ट है कि यह स्थान  एक प्राचीन महल या गढ़ी रहा है और हो सकता है उसी के नाम पर इस ग्राम का नाम महलपुर ग्राम हो गया हो. पर जंगल अधिक होने और शाम का समय होने से मैं इस किले के अंदर प्रवेश नहीं कर पाया पर यदि भविष्य में संभव हुआ तो इस गढ़ी या किले नुमा सरंचना के बारे में भी अधिक खोजने का प्रयास करूंगा. यह गढ़ी गोंड कालीन भी हो सकती है. पर यहां मौजूद मूर्तियों को देखकर या तो स्पष्ट है कि यहां एक परमार कालीन मंदिर रहा होगा और उन्हीं के अवशेष यहां सहेज कर रखे गए हैं। यहाँ के मंदिर और मकानों में भी इन प्राचीन पत्थरो और पैनल का इस्तेमाल हुआ है। 

महलपुर ग्राम का तालाब 

         पर वही हमारा दुर्भाग्य कि हम लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और जिन ऐतिहासिक प्रतिमाओ और अवशेषो को सुरक्षित म्यूजियम या संग्रहालय में होना चाहिए वह आज खुले आकाश में पेड़ो के नीचे लावारिस ग्राम वासियों की सुरक्षा में रखी हुई है। स्थानीय लोगों और पुरातत्व विभाग को निश्चय ही यहां एक विशेष सर्वे की आवश्यकता है जिससे यहां के इतिहास के बारे में अधिक जानकारी प्रकाश में आ सके और यहां मौजूद पुरातात्विक अवशेषों को सुरक्षित किसी संग्रहालय में रखा जा सके जिससे आगे आने वाली पीढ़ी भी यहां के इतिहास के बारे में अधिक जान सके.

महलपुर ग्राम के मकानों में लगी हुई प्राचीन प्रतिमाये 

        यहाँ नजदीकी में अन्य कई महत्वपूर्ण प्रागेतिहासिक स्थल मौजूद है जिसमे सबसे मुख्य है टिकोदा  और पुतलीकरार जहां मिसोलिथिक समय से शैलचित्र बने हुए है और टिकोदा जहाँ मानव के प्राचीन प्राचीन बस्तियों के और प्रारंभिक tools के अवशेष मिले है।  15 लाख साल पहले के प्रारंभिक मानव गतिविधियों के प्रमाण  है। इस स्थान की जल्द ही कवर कर एक ब्लॉग लिखने का प्रयास करूँगा।  आपको आज का ब्लॉग कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताये और यदि आपके आसपास भी ऐसा कोई गुमनाम ऐतिहासिक स्थान हो तो अवश्य सूचित करे जिससे उसको भी कवर किया जा सके  ब्लॉग के माध्यम से सबके सामने लाया जा सके।  

महलपुर पाठा तक कैसे पहुंचे : How to reach Mahal pur Patha 


महलपुर पाठा गैरतगंज तहसील का ग्राम है और रायसेन जिला मुख्यालय से लगभग 37 km की दूरी पर है और रायसेन सागर हाइवे पर मौजूद है मुख्य सड़क से लगभग 10 km अंदर होने से ऑटो या निजी वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है। रायसेन से आसानी बस यहाँ के लिए मिल जाती है.

चित्र दीर्घा महलपुर पाठा :Photo Gallery Mahalpur Patha 







भगवान् गणेश की प्रतिमा 

मंदिर के पीछे बाबड़ी की सीढ़ी पर स्तिथ नक्काशी 




































जंगल में प्राचीन प्रतिमाये 

जंगल में पेड़ के नीचे रखा हुआ प्राचीन शिवलिंग 


भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा 

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9 Comments

  1. Aap bahut mehnat karte hai sir satik jankari

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  2. Apke prayaso se hame bahut se etihasik sthano ko janne or samajhne ka avsar milta h
    You are so Inspirational for us🙏

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  3. Unexplored place 👍👌👌👌

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  4. प्राचीन दुर्लभ और रोचक जानकारी।

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  5. राधे राधे 🙏🙏

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