हजारिया महादेव मंदिर मंडी बामोरा :एक हजार वर्ष से अधिक प्राचीन शिव मंदिर जहां एक बार में एक हजार शिव के दर्शन होते है
Hajariya Mahadev Mandir Mandi Bamora |
Hajariya Mahadev Mandir |
आज के ब्लॉग में हम विदिशा जिले के मंडी बामोरा में स्तिथ एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे जो एक हजार वर्ष से अधिक प्राचीन है और जहां एक बार में ही एक साथ एक हजार शिव लिंग के दर्शन होते है। मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्वविख्यात है। इसी क्षेत्र में एक छोटा सा क़स्बा है मंडी बामोरा जो की विदिशा और सागर जिले की सीमा पर स्तिथ है। मंडी बामोरा ऐतिहासिक एरण से मात्र 12 km की दूरी पर स्तिथ है। अतः यक़ीनन यह क्षेत्र अति प्राचीन है। नौवीं -दसवीं शताब्दी में परमार शासकों के समय यह क्षेत्र महत्वपूर्ण था।
हजारिया शिव मंदिर का इतिहास :
मंदिर में ऐसा कोई लेख या बोर्ड उपलब्ध नहीं है जिससे मंदिर के बारे में कोई जानकारी मिल सके। फिर भी मंदिर की शिल्पकला को देखकर आसानी से यह अंदाज लगाया जा सकता है कि यह मंदिर लगभग 1200 वर्ष पूर्व के आसपास परमार शासको के समय बना होगा। कुछ इतिहासकार इसे सातवीं सदी में कलचुरी शासको के समय का भी बताते हैं। इस मंदिर में ऐसी शिवलिंग प्रतिमा है, जिसमें एक साथ एक हजार शिवलिंग के दर्शन होते हैं और इस कारण इस मंदिर को हजारिया महादेव मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।
हजारिया महादेव |
मंदिर का अधिकांश हिस्सा अब खंडित हो चुका है फिर भी मूल मंदिर अभी भी सुरक्षित स्तिथि में खड़ा है। मंदिर का प्रवेश द्वार में चार पिलर है। सभी में ऐतिहासिक नक्काशी है। मंदिर का शिखर सुरक्षित है। मंदिर का निर्माण बलुए पत्थर से किया गया है। सम्भतः ब्रिटिश खोजकर्ताओं द्वारा 1885 के आसपास ही जब एरण की खोज और अन्वेषण किया जा रहा होगा उसी समय ही इस मंदिर को भी देखा गया हो।
स्रोत : ब्रिटिश लाइब्रेरी |
किवंदती है कि मथलापुर की बाउली, भोजपुर के खंभ, उदयपुर के देहरा और मढ़बामोरा का मढ़ एक ही रात में बने थे। इसके बाद यहां मढ़बामोरा गांव बसा था। मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं भी स्थापित हैं। मंदिर के पीछे पेड़ के नीचे कई ऐतिहासिक प्रतिमाये रखी हुई है।
मंदिर परिसर में पेड़ के नीचे रखी कई प्राचीन मूर्तियां |
सती का अभिलेख :
मंदिर परिसर में सती का अभिलेख |
हजारिया महादेव मंदिर में पीछे की तरफ ऐतिहासिक सती का अभिलेख आज भी मौजद है। इस शिलालेख में सूर्य, चन्द्रमा, तारे एवं आर्शीवाद देते हुए हाथ और महिला पुरुष को दर्शाया गया है एवं नीचे कुछ लिखा हुआ है। विदिशा के आसपास क्षेत्र में इस प्रकार के कई अभिलेख आज भी मौजूद है जो सरक्षण के अभाव में नष्ट हो रहे है। किसी ब्लॉग में सती शिलालेखों पर विस्तृत लेख लिखने की कोशिश करूँगा।
मंदिर तक पहुंचे कैसे :
मंडी बामोरा रेलवे स्टेशन से पूर्व दिशा में महज आधा किमी दूर पर यह प्राचीन मंदिर स्तिथ है। रेलवे स्टेशन से आसानी से पैदल यहाँ पहुंचा जा सकता है।
चित्र दीर्घा :
हजारिया महादेव |
2 Comments
Nice information
ReplyDeleteThanks
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