नचना कुठार का पार्वती मंदिर
( Parvati temple of nachna kuthar Panna ) :
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nachna kuthar parvati temple
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Nachna Hindu temples, also referred to as Nachana temples or Hindu temples at Nachna-Kuthara,in Panna district, Madhya Pradesh, India are some of the earliest surviving stone temples in central India along with those at Bhumara and Deogarh. Their dating is uncertain, but comparing their style to structures that can be dated, some of the Nachna temples are variously dated to the 5th- or 6th-century Gupta Empire era. The Chaturmukha temple is dated to the 9th century.
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नचना कुठार का पार्वती मंदिर पन्ना |
भारतीय इतिहास की बात करें तो भारत में पूजा स्थल के रूप में मंदिरों का निर्माण कब से शुरू हुआ यह आज भी हम ठीक से नहीं जानते हैं। पुराणों में उल्लेखित जो कथाएं हैं या प्रस्तुतियां है वह धर्म का हिस्सा बन रही थी और धीरे-धीरे उनको मंदिर और देवी देवताओं की प्रतिमा के रूप में साकार किया जाने लगा। मध्य प्रदेश का पन्ना जिला मंदिरों के मामले में किसी खजाने से कम नहीं हैं। यहाँ इतने विविध प्रकार के मंदिर हैं कि आपको समय कम पड़ जाएगा पर आपकी जिज्ञासा पूरी नहीं हो पाएगी। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना और खजुराहो के ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत को देखने और समझने का मौका मिला। ऐतिहासिक नजरिये से देखा जाए तो भारतीय इतिहास के एक बहुत बड़े समय और महत्वपूर्ण घटना चक्र को यह क्षेत्र आज भी संभाल के संजोए हुए हैं। भारतीय इतिहास में मंदिरों के क्रमिक विकास को देखना और समझना है तो पन्ना और खजुराहो की पावन धरा में ऐसे कई मंदिर आज भी अपने लगभग मूल स्वरूप में स्थित है जो आपको इस पूरे क्रमिक विकास को दिखा सकते है कि भारतीय इतिहास में इस क्षेत्र के मंदिरों ने विकास में कितना अमर योगदान दिया है। भारतीय इतिहास में मंदिरों का प्रारंभिक निर्माण गुप्त काल के समय प्रारंभ हुआ है और गुप्त काल के लगभग सभी प्राचीन मंदिर मध्यप्रदेश में मौजूद है और अधिकांशतः बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है। इसी मंदिरों में सबसे प्रमुख है नचना कुठार का पार्वती मंदिर।
भारत के प्राचीन मंदिर :
प्राचीन मंदिरों की यदि बात करें तो यकीनन स्तूपों का स्थान सर्वप्रथम आता है और दूसरी ओर हिंदू धर्म के मंदिर और प्रतिमाएं भी बनना प्रारंभ हुई। मंदिरों के पूजा गृह तीन प्रकार के होते हैं 1. संधार किस्म ( जिसमें प्रदक्षिणा पथ होता है) 2. निरंधार किस्म ( जिसमें प्रदक्षिणा पथ नहीं होता) और 3. सर्वतो भद्र (जिसमें सब तरफ से प्रवेश किया जा सकता है) । यदि भारतीय इतिहास के कुछ प्राथमिक और महत्वपूर्ण मंदिरों की बात करें तो यह मंदिर मध्य प्रदेश में एरन का विष्णु मंदिर, नचना कुठार का पार्वती मंदिर, भूमरा का शिव मंदिर और विदिशा के पास उदयगिरि और उत्तर प्रदेश में देवगढ़ का दशावतार् मंदिर पाए जाते हैं । यह मंदिर बहुत ही साधारण है और इनमें वास्तुशिल्प के नाम पर मात्र बरामदा ,एक बड़ा मंडप और पीछे एक पूजा घर है।
आज के इस ब्लॉग में हम भारत के उस प्रारंभिक मंदिर की बात करेंगे जो आज भी लगभग सुरक्षित स्थिति में है और गुप्त साम्राज्य के समय बनाए गए भारत के प्रारंभिक मंदिरों में शामिल है।
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nachna kuthar temples panna |
नचना कुठार का पार्वती मंदिर ,पन्ना (मध्य प्रदेश ): Parvati temple of nachna kuthar :
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नचना पार्वती मंदिर |
The temples are built on a raised and moulded plinth, a square plan, a square sanctum that is surrounded by a circumambulation passage with perforated screen stone windows. The entrance into the sanctum is flanked by goddess Ganga and Yamuna. The Parvati temple has an upper storey with a doorway. The temple includes both religious motifs and secular scenes.
नचना कुठार का मंदिर जिसे नचना पार्वती मंदिर भी कहा जाता है यह मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में देवेंद्र नगर क्षेत्र में सलेहा कस्बे के गंज गांव में स्थित है। नचना कुठार क्षेत्र के मंदिरों के अलावा यहां कुछ अन्य मंदिर भी काफी प्रमुख हैं जो कुछ समय बाद के हैं इन्हीं मंदिरों में एक अन्य प्रमुख सिद्धनाथ मंदिर भी है जिसके बारे में हम अगले ब्लॉग में चर्चा करेंगे । यह भारतीय इतिहास के उन प्रारंभिक मंदिरों में शामिल है जो आज भी अपने लगभग मूल स्वरूप में स्थित हैं और इनका निर्माण पत्थरों से किया गया है। इसका वास्तुशिल्प लगभग भूमरा का शिव मंदिर और देवगढ़ के विष्णु मंदिर के समान है। हालांकि इसका निर्माण काल अनिश्चित है, परंतु इसका वास्तु शिल्प और बनावट देखकर यकीनन कहा जा सकता है कि लगभग 5 वी शताब्दी के आसपास गुप्त साम्राज्य के प्रारंभिक मंदिरों में यह शामिल है। इस मंदिर को पार्वती मंदिर नाम दिया गया और इसी मंदिर के सामने लगभग 9 नवी शताब्दी में निर्मित चौमुख नाथ मंदिर स्थित है जो कि उत्तर भारतीय वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया है। इस क्षेत्र में स्थित अन्य मंदिर अत्यंत जीर्ण शीर्ण अवस्था में है, परंतु नचना का पार्वती मंदिर को बहुत अच्छे तरीके से संरक्षित किया गया है।
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नचना कुठार की मूर्तिकला |
नचना के पार्वती मंदिर का इतिहास : ( history of parvati temple of nachna ) :
इस क्षेत्र के प्रारंभिक इतिहास के बारे में कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं मिलते हैं कनिंघम ने अपने पहले पब्लिकेशन में इस स्थल का उल्लेख किया है। नचना के मंदिरों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम की कोशिशों की वजह से ध्यान गया। कनिंघम ने 1883-84 के आसपास नचना गांव का दौरा किया था। कनिंघम ने अपने पब्लिकेशन में लिखा है कि स्थानीय व्यक्ति इन मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए आते हैं और इस क्षेत्र को जानते हैं और उन्होंने बताया कि नचना कुठार बुंदेलखंड क्षेत्र में किसी प्राचीन साम्राज्य की राजधानी रहा होगा। कनिंघम की विजिट के बाद पार्वती मंदिर का उपरी निर्माण ध्वस्त हो गया और इसको बाद में पुनर्निर्माण किया गया। जनरल कनिंघम के अनुसार यह देवी पार्वती का मंदिर है मंदिर का गर्भ गृह 15 फुट बाहर और 8 फुट अंदर है। गर्भ ग्रह के चारों ओर एक प्रदक्षिणा पथ है। दीवालों में पत्थर की खिड़कियां बनायीं। जिसमें से रौशनी और हवा आसानी से गर्भ गृह में आती। है
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Parvati temple plan |
The Nachana temple is one of the prototypal Hindu temple styles that has survived from ancient India. It includes the cubical sanctum, narrates spiritual legends with carvings of divine legends and secular themes in a certain sequence both outside and inside the temple
नचना में लगभग चौथी शताब्दी में गुप्त शासकों का शासन प्रारंभ हो गया था और उनके सामंत के रूप में उछ कल्प और परिव्राजक ने 6 वी शताब्दी तक यहां शासन किया। नचना कुठार के खंडहरों में केवल 2 मंदिर ही अच्छी हालत में है एक पार्वती मंदिर और दूसरा चौमुख नाथ मंदिर। कनिंघम अपने पब्लिकेशन में लिखते हैं " जो मंदिर मैंने देखे हैं उनमें पार्वती का मंदिर सबसे अनोखा और बहुत ही दिलचस्प मंदिर है। इस पर किया गया काम बहुत ही अलग तरीके का है, क्योंकि इसकी बाहरी दीवारों पर जो काम किया गया है वह चट्टानों पर किए गए पारंपरिक काम की नकल लगता है। कनिंघम ने अनुमान लगाए कि इस क्षेत्र की जो मूर्तिकला है उसका यकीनन अजंता की गुफाओं से कोई न कोई संबंध जरूर रहा है । दोनों स्थानों के कारीगर एक ही संस्थान से शिक्षा लिए होंगे।
Chaumukhnath trellis, possibly from the 5th century, with dancing and music-making Ganas and the river goddesses Ganga and YamunaPerforated window of nachna parvati temple :
Two of the oldest trellises (perforated windows) of the Parvati temple show ganas playing music, dancing or abstract decor. These probably date back to the third period of the 5th century.
In the 'rocky landscape' of the platform walls several small animal reliefs (resting gazelles etc.) were created, of which only a few have been preserved.
According to Pia Brancaccio, the artists who built the Aurangabad Buddhist Caves and the Nachna Hindu temples may have come from the same school because the "visual and design elements of cave 3 at Aurangabad display surprising similarities with images and ornamental patterns", particularly when compares the sculpture on Parvati temple's window to those in Aurangabad. She states that the at least some of the 5th-century artisans building Buddhist, Hindu and Jain images in Nachna, Ajanta and Aurangabad regions may have come from the same guild or school, even though the sites are separated by a distance of about 1,000 kilometres
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चौमुखनाथ मंदिर की दीवालों पर मूर्तिकला |
दिलचस्प बात यह है कि ऐसा लगता है कि जैसे चट्टान को काटकर बनाए हुए मंदिरों की पुरानी शैली को यहाँ बरकरार रखा गया है"। यह दो मंजिल का मंदिर बनावट में बहुत ही साधारण हैं। इसमें एक मंडप, एक गर्भ गृह है और इसकी छत सपाट है। मंदिर के प्रवेश द्वार को नक्काशी से सजाया गया है। दो देवियां गंगा और यमुना की छवियां बनी हुई है और रोचक बात यह है कि प्रवेश द्वार पर छोटी मानव मूर्तियां बनाई गई है ,वह गुप्त काल के समय के लोगों की एक झलक दिखाती हैं। कनिंघम के अनुसार मंदिर में पुरुषों की मूर्तियों के बाल उस समय के सिक्कों पर अंकित गुप्त राजाओं के बालों की तरह जो घुंघराले और किसी न्यायधीश की तरह दिखते हैं।
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पार्वती मंदिर के दरवामूर्तिकला |
चौमुख नाथ महादेव मंदिर पन्ना मध्यप्रदेश : Chaumukhnath Temple Panna
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चौमुखनाथ मंदिर नचना पन्ना |
Chaumukhnath Temple or Chaturmukh Temple, dedicated to Lord Shiva, named after the huge Shivlinga, carved with four face on four cardinal side is unique temple located in small village Nachna Kuthara, near Devendra Nagar and Saleha in Panna district of Madhya Pradesh.
नचना का एक अन्य मंदिर जो पार्वती मंदिर के सामने हैं इसे चौमुख नाथ महादेव मंदिर कहा जाता है । पार्वती मंदिर पश्चिम मुखी है जबकि चौमुखनाथ मंदिर पूर्व मुखी है । पार्वती मंदिर के मुकाबले यह मंदिर लगभग 8 वी या 9 वी शताब्दी का है और वास्तुकला से यह मंदिर प्रतिहार शैली का प्रतीत होता है। वास्तुकला और शैली में यह मंदिर पार्वती मंदिर से बिल्कुल अलग है और एक ऊंचे मंच पर बना हुआ है। इसके गर्भ गृह के ऊपर एक लंबा शिखर है जो बाद के मंदिरों की वास्तुकला के विकास को दर्शाता है । दोनों मंदिरों में एकमात्र सामान्य बात प्रवेश द्वार पर बनी बारीक नक्काशी है। यह भी माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पहले से मौजूद एक छोटे मंदिर के प्लेटफार्म पर किया गया है जो कि 5 वीं सदी का हो सकता है जिसमे पुराने मंदिर का सामान प्रयोग किया गया है मंदिर का मुख्य आकर्षण गर्भ गृह के भीतर मौजूद चतुर्मुखी शिवलिंग है जिस कारण इस मंदिर को नाम चौमुख नाथ मंदिर पड़ा। लगभग 4 फुट ऊंचे शिवलिंग के चार मुख शिव के पंचमुख का प्रतिनिधित्व करते हैं। उत्तर मुख बामदेव (जल) सृजन का, पूर्व मुख्य (वायु) रखरखाव का, पश्चिम मुख्य ( पृथ्वी ) आत्म निरीक्षण का, दक्षिण (अग्नि) विनाश का प्रतिनिधित्व करता है। शीर्ष पर पांचवा मुख्य जिसे इससे पहले शायद ही चित्रित किया गया है ईशान (आकाश) के रूप में जाना जाता है। शिव के पांच मुख ब्रह्मांड के पांच पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और चतुर्भुज मंदिर में शिवलिंग के मुख खूबसूरती से उभरे हुए हैं। यह भी संभव है की मूर्तिकला का यह रूप भूमरा के एक मुखी शिवलिंग से लिया गया हो।
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चौमुखनाथ मंदिर नचना कुठार |
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चौमुखनाथ शिवलिंग |
Chaumukhnath temple represent the five aspects or Panchmukha aspect of Lord Shiva, North faces represent Water (Vamadeva), East face represent Air (Tatpurusha),South faces represent Fire (Aghora), Top faces represent space (Isana) and west faces represent Earth (Saytajota). Basically these are symbolized as creation, maintenance, protection and destruction.
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चौमुखनाथ शिवलिंग नचना पन्ना |
Huge Shivlinga of Lord Shiva with around 4.67 feet high with four faces with decorative hair style is placed here in Garbhgriha. As faces are carved over Shivlinga, its known as Mukharkinga as well. Three faces looks calm with closed eye, but the fourth face of Shiva with wide open mouth and eyes, looks like Vishpan mundra of Lord Shiva or showcase the dreadful aspect in his form as Bhairava.
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चौमुखनाथ शिवलिंग नचना कुठार पन्ना |
The fourth face of Shiva is shown as energized and in action, with wide open mouth, raised nostrils and slightly bulging open eyes likely the terrible aspect in his form as Bhairava. Stella Kramrisch dates the linga inside this temple to the 8th century.The faces of the mukhalinga represent the Panchamukha aspects of Shiva iconography, where Tatpurusha, Aghora (Bhairava, Rudra), Vamadeva and Sadyojata face the four cardinal directions, while Ishana the fifth is beyond space, all directions and time as the formless absolute in Hindu theology. They symbolize the creation (Vamadeva), maintenance (Tatpurusha), destruction (Aghora), and introspective subtle reflective Sadyojata aspects of Shiva as the metaphysical Brahman.नचना से प्राप्त अभिलेख: inscriptions of nachan
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Nachna unfinished inscription of Vyaghradeva |
नचना कुठार के मंदिरों पर कोई भी अभिलेख नहीं मिला है, लेकिन नचना के पास एक चट्टान पर पांचवी शताब्दी का एक अभिलेख मिला है जो कि अधूरा था और इस पर केवल एक व्याघ्र देव नामक व्यक्ति का उल्लेख था जिसने इसे लिखवाया था। व्याघ्र देव पृथ्वी सेन का सामंत था। हालांकि इस शिलालेख पर कुछ विवाद भी है। कुछ विद्वानों का मानना है कि जिन राजाओं का इसमें उल्लेख किया गया है वह वाकाटक राजवंश के पृथ्वी सेन और उछ कल्प राजवंश के व्याघ्र हैं जिन्होंने पांचवी छठी शताब्दी के दौरान मध्य भारत के कुछ हिस्सों पर राज किया था। शिलालेख के आधार पर विद्वानों का मानना है कि पांचवी शताब्दी में नचना एक बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा था। आज मध्य भारत के इस क्षेत्र के अन्य लोकप्रिय स्थलों के बीच इन सबसे प्राचीन मंदिरों को भुला दिया गया है। यह दोनों मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आते हैं और संरक्षित स्मारक है।
Most scholars such as Radhkumud Mookerji place the Parvati Nachna temple in the Gupta Empire era, more specifically the second half of the 5th century).Michael Meister, an art historian and professor specializing in Indian temple architecture, places it more specifically to 465 CE.George Michell, another professor specializing in Indian temple architecture, states that dating this temple is difficult and places it a few decades later in the 6th century
8 Comments
Very descriptive and very helpful for preparation in psc and other competitive exams sir🙏🙏🙏
ReplyDeleteThanks hemant
Deleteप्राचीन आर्किटेक्ट और मूर्तिकला से हमारी प्राचीन वैभव से गर्वित महसूस कर रहे हैं, आज हम ऐसा।क्या कर रहे हैं की हमारी आने वाली पीढियां हमारे ऊपर गर्व कर सके, मूर्खता और विनाशकारी हथियार ही हमारी पहचान होंगी, बेजोड़ जानकारी प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद श्रीमान
ReplyDeleteNice sir ji
ReplyDeleteExcellent collection and most descriptive knowledge sir ji
ReplyDeleteMandiro ki planning aur saari jaankari bahut gyaanvardhak h..sari jankariyo ko bhut prabhavi dhang se smakit kiya gya h...ese uttam gyaan ko batane ke liye aapka dhanyavaad🙏🏻
ReplyDeleteVisited many times this place but never knew the history of this place.thanks for sharing such a wonderful information.
ReplyDeleteI have come to this temple but I did not have so much information about its history and things related to it.
ReplyDeletespecial thnx sir jii.