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Chanderi - a town of forts and art चंदेरी : किलों और कला का शहर

chanderi
chanderi 


 

Chanderi - a town of forts and art   

चंदेरी : किलों और कला का शहर


चंदेरी : जी हाँ चंदेरी ,हम में से अधिकांश लोगों ने यह नाम कई बार सुना होगा। चंदेरी साड़ी अपने इसी नाम के  विशेष फेब्रिक के कारण पूरी दुनिया में विख्यात है। पर अधिकांश लोग चंदेरी की ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में नहीं जानते। चंदेरी मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले में एक प्राचीन ऐतिहासिक कस्बा है । यह शिवपुरी से 127 किलोमीटर, ललितपुर से 37 किलोमीटर और अशोकनगर से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  चंदेरी का इतिहास महाभारत समय से मिलना शुरू होता है।  शिशुपाल महाभारत काल में यहाँ के राजा हुआ करते था। यहाँ का किला कीर्तिदुर्ग चंदेरी का सबसे प्रमुख आकर्षण है। 

    मैं यहाँ यह बता देना चाहता हूँ कि चंदेरी क़स्बा भले ही एक छोटा सा क़स्बा है परन्तु यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों और प्रकृति से इतना परिपूर्ण है कि इसे एक लेख या दो लेख में लिखना असंभव है।  इस प्रथम ब्लॉग में केवल चंदेरी का प्रारंभिक इतिहास और प्रमुख कीर्ति दुर्ग पर ही लिखूंगा और अगले ब्लॉग में अन्य स्मारकों और बुनकर कला पर भी लिखूंगा जिसमे चंदेरी साडी प्रमुख है। यहाँ 350 से अधिक छोटे बड़े स्मारक हैं। 


कीर्ति दुर्ग चंदेरी 

        बहुत समय से चंदेरी जाने की इच्छा थी और कई बार मेरे गृह नगर ग्वालियर  जाते हुए सड़क मार्ग से चंदेरी से जाना हुआ पर कभी भी इतना समय नहीं मिला की यहाँ कुछ समय रुक कर इस खूबसूरत शहर को देखा जा सके और कुछ फोटो स्मृति के तौर पर ले लिए जा सके। हालाँकि विदिशा से चंदेरी लगभग 150 km की सड़क मार्ग की दूरी पर है। एक दिन कुछ नजदीकी परिजनों को कही घुमाने का प्लान बना रहा था तो चंदेरी को ही चुना।  पहली बार देखने पर ही आपको यह समझ आ जायगा कि जीवन में एक बार तो यहां जरूर आना चाहिए। 

चंदेरी का इतिहास : History of Chanderi  :


        चंदेरी मध्य प्रदेश मे बुंदेलखंड और मालवा की सीमा पर स्थित होने के कारण एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर रहा है। इसका इतिहास समय लगभग 11 वीं शताब्दी से मिलना शुरू हो जाता है और 11 वीं सदी से लेकर 18 वीं सदी तक के कई ऐतिहासिक स्थल यहां पर विद्यमान है। चंदेरी का इतिहास में प्रारंभिक उल्लेख अलबरूनी के द्वारा सन 1030 में किया गया है।प्रारम्भ में यहाँ प्रतिहार वंश के राजाओ का शासन था।  चंदेरी को गयासुद्दीन बलबन ने 1251 में दिल्ली के सुल्तान नसरुद्दीन महमूद से जीता। ऊंचे पहाड़ों तालाबों और जनरल से घिरे हुए चंदेरी ऐतिहासिक इमारतों का इतिहास संजोय हुए हैं । बाद में मेवाड़ के राजा राणा सांगा ने मालवा के अधिकांश क्षेत्र को जीता और अपने सेनानायक मेदनी राय को चंदेरी का शासक बनाया। 1540 में यह अफगान शासक शेर शाह सूरी के कब्जे में चला गया। 1586 में  यह बुंदेला राजाओ के निंयत्रण में आ गया और ओरछा के राजा मधुकर शाह के लड़के के राज में रहा। सन 1844 में चंदेरी ब्रिटिश नियंत्रण में चला गया।  चंदेरी पर अधिकांश मालवा और दिल्ली के शासकों  और बाद में ओरछा के राजाओं का राज रहा इसलिए यहाँ की अधिकांश भवनों पर उनका स्थापत्य कला का प्रभाव दीखता है।  मध्य प्रदेश के बीचोंबीच स्थित इस कस्बे को मुगलों के समय में व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग माना जाता था ।  गुजरात के बंदरगाहों की नजदीकी के कारण 11 वी सदी से यह देश का प्रमुख शहर बन गया था।  अपनी मुख्य स्तिथि के कारण हर दिल्ली के प्रत्येक शासक ने चंदेरी को अपने नियंत्रण में रखना चाहा और इसे सैन्य छावनी बनाया।  

badal mahal chanderi
बादल महल चंदेरी 


चंदेरी अपनी विशेष हैण्डलूम सिल्क साड़ी के लिए विख्यात है।  शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य हजरत वाजिहुद्दीन सन 1305 में चंदेरी में बस गए।  उनके यहाँ आने के बाद कई हजारो की तादात में उनके शिष्य यहाँ आने लगे जिसमे बंगाल के शिष्य भी शामिल है। उस समय  बंगाल में बुनाई उद्योग अपने शिखर पर था।  ऐसा माना जाता है कि चंदेरी में हथकरघा उद्योग बंगाल के बुनकरों द्वारा शुरू किया गया था।  

Battle of chanderi 

chanderi town 


चंदेरी का वह युद्ध जिसके कारण हुआ इतिहास का सबसे बड़ा जौहर

The Battle of Chanderi or Siege of Chanderi :


खानवा के युद्ध के परिणाम के रूप में जाने वाला चंदेरी का युद्ध मेदनी राय और मुगल शासक बाबर के बीच 1528 में लड़ा गया युद्ध देश में मुगल शासन को मजबूती से स्थापित करने में सफल रहा।  खानवा के युद्ध में बाबर से मिली हार के बाद भी राणा सांगा ने हथियार नहीं डाले और अगले युद्ध की तैयारी शुरू कर दी। राणा सांगा को कमजोर करने के प्रयास में बाबर ने उसके साथी मालवा के शासक मेदनी राय को हराने का फैसला किया।   इसके परिणाम स्वरूप दिसंबर 1527 में बाबर मालवा की राजधानी चंदेरी के किले की ओर बढ़ा। 20 जनवरी 1528 को बाबर ने शांति प्रस्ताव के रूप में चंदेरी के बदले मेदनी राय को शमशाबाद की पेशकश की लेकिन मेदनी राय ने इस प्रस्ताव को नहीं माना। बाबर की सेना ने एक रात में मिलकर पहाड़ियों को काट दिया और पूरी सेना ठीक किले के  सामने पहुंच गई जिस स्थान को रात में काटा था उसे आज कटी घाटी के नाम से जाना जाता है ।

कटी घाटी चंदेरी 


 शांति प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद बाबर ने चंदेरी के बाहरी किले को अपने हिस्से में लिया और अगली सुबह ऊपरी किले पर कब्जा कर लिया।  हार के बाद मेदनी राय ने किले में जोहर का आयोजन किया जो भारतवर्ष का सबसे भयानक और सबसे बड़ा जोहर माना जाता है और भारतीय महिलाओं की बहादुरी की झलक दर्शाता है। 28 जनवरी 1528 की रात ऐतिहासिक नगरी चंदेरी के इतिहास में काली रात के रूप में दर्ज हो गई।  28 जनवरी 1528 को युद्ध में राजा मेदनी राय वीरगति को प्राप्त हुए युद्ध में सैकड़ों सैनिक मारे गए, सिर्फ खून ही खून नजर आ रहा था इतना खून जमा हुआ कि इस स्थान को खूनी दरवाजा कहा गया. जब रानी मणिमाला ने 16 सौ रानियों के साथ जोहर का निर्णय लिया।  494 साल पहले हुए इस जोहर को देखकर बाबर भी घबरा गया।  जोहर की याद में वहां एक स्मारक बनाया गया है और हर साल 29 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 

जौहर स्मारक चंदेरी 



जौहर स्मारक चंदेरी 

johar smarak chanderi
जौहर स्मारक चंदेरी 
This panel with image of Sun, Moon, Stars and a hand has a strong message from the women who committed the jauhar – As long as sun, moon and stars exist don’t forget us. 


बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में लिखा है की  1528 में उसने चंदेरी में युद्ध लड़ा और ऐसा तूफ़ान मचाया की अल्लाह की कृपा के कारण कुछ ही समय में चंदेरी में विजय प्राप्त कर ली थी, चंदेरी वर्तमान समय में मध्य प्रदेश के अंतर्गत आता है। 

chanderi fort war
चंदेरी का युद्ध 1528 

    उसने लिखा की मेदनी राय जो महाराणा सांगा का विश्वाशी था वह चंदेरी पर शासन कर रहा था और उस पर बाबर ने विजय हासिल कर ली थी और वहां के काफिरों को मृत्यु दे दी गई थी। 

चंदेरी फोर्ट : 

71 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्तिथ चंदेरी का किला 11 वी सदी में प्रतिहार रहा कीर्ति पाल द्वारा बनवाया गया था इसलिए इसका नाम कीर्ति दुर्ग है।  यह किला 5 km लम्बा और 1 km चौड़ा है।  किले से पूरे चंदेरी को देखा जा सकता है।  पुराना किला अब बहुत कम बचा है। मुग़ल और बुंदेला शासकों द्वारा कई निर्माण किये गए है।  


chanderi fort
चंदेरी कीर्ति दुर्ग 

kirti durg chanderi
कीर्ति दुर्ग चंदेरी 


यह दुर्ग आज भी राजपूत महाराजाओं के शौर्य मान और राजपूत महिलायों के जौहर की गाथा गाता है। किले के अंदर तीन मंजिला महल है जिसमें एक ओर फव्‍वारा और आंगन में टैंक है और दूसरी ओर गढ़ और घड़ी का खंभा लगा है। किले के प्रवेश द्वारा पर मस्जिद स्थित है। माना जाता है कि ये मस्जिद 14वीं शताब्‍दी की है। इस मस्जिद पर की गई नक्‍काशी मिहराब की स्‍थापत्‍य कला को दर्शाती है। हवा पौड़ बालकनी से आपको पूरे चंदेरी शहर का मनोरम दृश्‍य दिखाई देगा। चंदेरी किला स्‍थापत्‍य कला का बेजोड़ नमूना है और इसे देखने का अनुभव आपके लिए अविस्‍मरणीय रहेगा। किले से चंदेरी शहर का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। 

    कीर्ति दुर्ग सबसे पहले 11 वीं सदी में प्रतिहार के राजा कीर्ति पाल द्वारा बनवाया गया था और इसका नाम उनके नाम पर ही रखा गया है। जो संरचना हम आज देखते हैं वह मूल किला नहीं है, इसका कई बार पुनर्निर्माण करवाया गया है और इसमें अन्य शासकों द्वारा और अधिक निर्माण करवाया गया है जिनमें महमूद खिलजी, दुर्जन सिंह बुंदेला और अन्य शामिल हैं। चंद्रगिरी पहाड के उच्चतम शिखर पर निर्मित यह किला चंदेरी में एक विशिष्ट संरचना है जो पूरे चन्देरी शहर के लगभग हर बिंदु से दिखाई देता है।

इसके 5 किलोमीटर लंबे परिधि में कई स्मारक पडते है जो कि स्वयं में देखने लायक हैं। इसके एक छोर पर खिलजी मस्जिद है जिसका मेहराब और खंभे सुंदर फूलदार डिजाइन व पवित्र कुरान के छंद के साथ खुदी हुई है। हवा पौर, नौलखा पैलेस और हजरत अब्दुल रहमान नरनूली की कब्र ये सभी देखने लायक हैं। बरदारी एक ऐसा सुविधाजनक बिन्दु है जहाँ से न केवल शहर का एक विहंगम दृश्य दिखता है, वरन् अब बर्बाद हो चुका कीरात सागर, कटी घाटी गेटवे और बाबर कटान भी दिखता है। इस बिंदु से डूबते हुये सूर्य का दृष्य विशेष रूप से मनभावन है।

बैजू बाबरा की समाधि चंदेरी : 

Baiju Bawra Ki Samadhi

बैजू बाबरा की समाधि चंदेरी 

बैजू बाबरा समाधि चन्देरी 


किले पर ही प्रसिद्ध ध्रुपद गायक बैजू बाबरा की समाधि बनी हुई है।  16 सदी के इस महान गायक बैजू बाबरा का जन्म 1542 को पूर्णिमा के दिन चंदेरी में हुआ था।  ज़िंदगी की शाम होते-होते पं. बैजनाथ उर्फ बैजू बावरा चंदेरी वापस आ गए। वहां सन 1610 में वसंत पंचमी के दिन वे इस दुनिया से विदा लेकर दिव्य ज्योति में विलीन हो गए। चंदेरी स्थित विंध्यालचल पर्वत की गगन चुंबी श्रेणियों में चंद्रगिरी नामक पहाड़ पर कीर्ति दुर्ग और जौहर स्मारक के मध्य बैजू के समाधि स्थल पर स्मारक बना है।

चंदेरी में कई प्रमुख स्मारक बने हुए है।  एक लेख में चंदेरी को लिखना नामुमकिन है।  इसलिए चंदेरी के अन्य स्मारकों को दूसरे ब्लॉग में लिखूंगा। 

कोशक महल : कोशक महल को 1445 में मालवा के महमूद खिलजी ने निर्माण करवाया था यह महल चार भागों में विभाजित हुआ है माना जाता है सुल्तान इस महल को 7 हिस्सों में बनवाना चाहते थे परंतु सिर्फ तीन हिस्से ही बनवा सके महल के हर भाग में खिड़कियां छात्र और बालकनी बनवाई रही है। 

चंदेरी से करीब 45 किलोमीटर दूरी पर ईसागढ़ में कदवाया गांव में कई सारे खूबसूरत मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं उन मंदिरों में से एक मंदिर दसवीं सदी की शैली में बनाया गया है। 

शहजादी का रोजा: 
बत्तीसी बावड़ी : 
जागेश्वरी देवी : 
परमेश्वर ताल 
जामा मस्जिद 
बादल महल गेट 
कटी घाटी 
 
अगले ब्लॉग में सभी प्रमुख स्मारकों को कवर करूँगा। 

चंदेरी कैसे पहुंचे: How to reach chanderi  : 


चंदेरी पहुंचना बहुत आसान है. यह बस, ट्रेन कनेक्टिविटी से जुड़ा हुआ है. सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अशोकनगर है जो 48 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से बस और टैक्सी आसानी से मिल जाते हैं। नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर है जो 227 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. ललितपुर से चंदेरी की दूरी 37 किलोमीटर है।


Photo Gallery of  chanderi चित्र दीर्घा :


बादल महल चंदेरी 

चन्देरी क़स्बा 

चंदेरी स्मारक 

चंदेरी शहर 

चंदेरी 

कटी घाटी 
चंदेरी स्मारक 

चंदेरी 


Badal mahal chanderi 
chanderi town 


चंदेरी शहर 

चंदेरी शहर 

chanderi town from kilakothi 

chanderi town from kilakothi 

chanderi town 









जोहर स्मारक 


badal mahal gate chanderi 

chanderi monuments 

chanderi fort 

johar smarak chanderi 


chanderi fort 

chanderi fort 

chanderi fort 

chanderi fort 


चन्देरी किला 


चंदेरी किले स्तिथ मस्जिद 
 
chanderi town 

चंदेरी कीर्ति दुर्ग 

खूनी दरवाजा 




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28 Comments

  1. खूबसूरत वर्णन के साथ बेहद खूबसूरत तस्वीरें👌👌

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  2. Your blog reveals a lot about chanderi fort

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  3. बहुत ही सुंदर 👌👌👌👌👌सर

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  4. Very nice sir... amazing photos

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  5. अति सुन्दर प्रस्तुति

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  6. Well documented with the expertise of a story teller. Inviting a prsl visit to Chanderi to view for ourselves . Look fwd to further such narratives

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  7. बहुत बहुत बधाई

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  8. बहुत ही शानदार वर्णन सर जी🙏

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  9. चंदेरी के इतिहास का अद्भुत वर्णन ।।

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  10. सर देवगढ़ ललितपुर का भी एक ब्लॉग बनाइए । बहुत सुंदर जगह है ।।

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  11. "चंदेरी " अतिसुन्दर वर्णन के साथ बेहद खूबसूरत तस्वीरें.

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  12. बहुत शानदार संपूर्ण विवरण,फोटो भी बहुत अच्छे हैं, बहुत बहुत बधाई

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  13. Lovely pics and great description

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  14. Very nice 👍👍 sir ji 🙏🏽🙏🏽

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  15. अदभुत झलकियां है मनवर जी चंदेरी की,,

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