sanchi Stupa 2 : Hidden Gem of Sanchi world heritage
मित्रों पिछले ब्लॉग में सांची पर एक विस्तृत ब्लॉग मैंने लिखा था ,जिसमें सांची के स्तूप 1और इसके इतिहास के बारे में विस्तृत वर्णन किया है जिसकी लिंक नीचे फिर से दे रहा हूँ जिसे क्लिक कर आप पुनः इस पढ़ सकते है।
परंतु मैंने यह महसूस किया और देखा भी कि अधिकांश लोग स्तूप एक, तीन को और उसके आसपास फैले हुए पुरा अवशेषों को ही साँची का मुख्य हिस्सा समझते हैं। यहां पर स्थित गाइड भी स्तूप 1 और 3 और सांची के इतिहास के बारे में अच्छा वर्णन करते हैं ,परंतु एक स्थान और भी यहाँ अति महत्वपूर्ण मौजूद है जहाँ तक वह भी नहीं ले जाते हैं ,जो सांची का बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थल है वह है स्तूप क्रमांक 2 sanchi stupa 2
विदिशा के नजदीक होने के कारण इस वर्ष मैंने भी साँची का कई बार दौरा किया परंतु सबसे कम जिस स्थान पर मैं स्वयं गया गया वह है स्तूप क्रमांक 2 sanchi stupa 2 मुख्य स्तूप से कुछ दूर स्थित होने के कारण अधिकांश लोग वहां तक जाते ही नहीं है। सांची के स्तूप भारत के सबसे पुराने बौद्ध स्मारकों में शामिल है जो आज भी सुरक्षित अवस्था में मौजूद है और कई धरोहरों को अपने में समेटे हुए हैं।
हालांकि sanchi साइट बहुत छोटी है और लगभग 2 घंटे में पूरी हो जाती है पर एक फोटोग्राफर और एक पुरातत्व की नजर से यदि आप देखेंगे तो आपको यहां कई दिन भी कम पड़ जाएंगे। यदि मैं स्वयं की काउंटिंग करूं तो लगभग 500 से अधिक फोटो सांची के ले चुका हूं और फिर भी लगता है अभी बहुत कुछ बाकी है। स्तूप क्रमांक 2, मुख्य स्तूप क्रमांक 1 के पश्चिमी गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर पहाड़ के नीचे ढलान की ओर स्थित है। पश्चिमी गेट के आगे से नीचे उतरते हुए stairs के माध्यम से आप मॉनेस्ट्री से होते हुए स्तूप 2 तक पहुंच सकते हैं।
स्तूप 2 पहाड़ी की अच्छी लोकेशन पर बनाया गया है जो पहाड़ के समतल हिस्से पर है और यहीं पर पास में एक मानव निर्मित छोटा कुंड भी आप देख सकते हैं जो इसके साथ लगा हुआ है और इसमें पानी भी भरा हुआ है । मुख्य स्तूप से कुछ दूर स्थित होने के कारण संभावित है,जब आप यहां पर आए तो आप पायंगे कि आप यहां अकेले हो सकते हैं। अधिकांशतः टूरिस्ट यहां आते ही नहीं है। बहुत आश्चर्य होता है देख कर कि जब टूरिस्ट का ग्रुप यहां आता है और लगभग 1 घंटे के भीतर सांची स्तूप 1 sanchi stupa का visit कर और फोटो लेकर यहां से वापस निकल जाता है और सांची विजिट पूरा हो जाता है बस 1 घंटे में, बहुत ही आश्चर्यजनक है।
अब हम स्तूप 2 sanchi stupa 2 के बारे में चर्चा करते हैं जो आज के ब्लॉग का विषय है। साँची स्तूप 2 का निर्माण दूसरी ईसापूर्व के आसपास प्रारम्भ हुआ था। इसमें कोई तोरण द्वार नहीं है कोई हर्मिका भी नहीं है। कार में यह स्तूप 3 से मिलता जुलता है और इसमें कोई gateway भी नहीं बनाया गया है। इसमें ऊपर जाने के लिए सीढिया बनायीं गयी है और चारो तरफ रैलिंग और कटघरे का निर्माण किया गया है। शुंगकालीन पिलर्स सादे और नक्काशी विहीन थे पर उसमे अगलर कालखंडो में और नक्काशी का प्रयोग किया गया है। इसकी खुदाई में दस बौद्ध शिक्षकों के अवशेष मिले थे जो विभिन्न तीन कालखंडो के थे। पर इसके चारों ओर रेलिंग के पिलर्स पर बनाई गई नक्काशी इतनी आकर्षक है कि यह अन्य सभी कमियों की पूर्ति कर देती है और इसे सांची का एक मुख्य आकर्षण बनाती है। हालांकि इसके balustrade reliefs में कुछ बाद में भी जोड़े गए हैं, परंतु अधिकांश carving 115 BC के आसपास की है। जो भारत में अपने तरह की सबसे प्राचीन और ज्ञात Carvings में है। इस carvings में पेड़ पौधे की डिजाइन, पशु पक्षी, कुछ काल्पनिक, mythological और कुछ इंसानी आकृतियां, demigods है। कुछ का वर्णन नीचे इमेज में दिया गया है जिसको आप जूम करके देख सकते हैं जो यहां पर संख्या में लगभग 400 से अधिक होंगे।
यहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर विदिशा में स्थित है Heliodorus Pillar Vidisha हेलिओडोरस पिलर इसका समयकाल का निर्धारण करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि दोनों स्मारकों में कुछ आकृतियां मिलती-जुलती है। खरोष्ठी भाषा में बने हुए कुछ Mason marks यह बताते हैं कि इसको बनाने वाले कारीगर craftsmen indo greek region of Gandhar से आए होंगे, इसे यह भी पता चलता है कि कुछ आकृतियों और नक्काशी carvings of motifs भारत से दूर विदेशी आकृतियों का अनुभव करती है। यदि आपने heliodouras pillar पर लिखा हुआ ब्लॉग नहीं पढ़ा है तो आप नीचे लिंक पर क्लिक कर इसे पढ़ सकते है।
sanchi stupa 2 carving |
पुष्प आकृतियों में floral designe में अधिकांश आकृतियों में कमल का प्रयोग सबसे ज्यादा किया गया है। हाथी और शेर का जानवरों की आकृतियों में सबसे ज्यादा प्रयोग किया गया है। कुछ आकृतियों में घुड़सवारों को रकाब stirrups का प्रयोग करते हुए दिखाया गया है जो संभवत भारत में सबसे प्राचीन रकाब stirrups का उदाहरण पेश करती है। स्तूप दो sanchi stupa 2 में बनाई गई नक्काशी और डिजाइन स्तूप एक के प्रवेश द्वारों से तुलना करने पर बहुत साधारण है, सादगी पूर्ण है परंतु एक विशेष आकर्षण रखती है और कुछ हद तक प्राचीन भी प्रतीत होती है।
Balustrade carvings रेलिंग की नक्काशी पूरी होने के लगभग एक शताब्दी बाद इसमें अन्य आकृतियां जोड़ी गई जो स्तूप 1 के बौद्ध प्रकृति से मिलती-जुलती प्रतीत होती है। स्तूप एक के विपरीत जब Alexander Cunningham ने स्तूप 2 की खुदाई की तो उन्हें relic chamber अवशेष कक्ष मिला जिसमें बलुआ पत्थर का एक बॉक्स मिला जिसमे चार छोटे relic casket मिले जिसमे दस बौद्ध शिक्षको अथवा संतो के नाम अंकित थे और उनकी जली हुई हड्डियों के अवशेष रखें थे।
The saints were Kasapagota (the teacher of all the Hemavatas), Majhima, Haritiputa, Vachhiya Suvijayata (pupil of Gota), Mahavanaya, Apagira, Kodiniputa, Kosikiputa, Gotiputa and Mogaliputa. Relics from most of these saints were also discovered at nearby stupas at Sonari and Andher.
The Sanchi Stupa 2 contained a relic box with four small caskets of steatite inside, containing human bones. An inscription in early Brahmi was found on the relic box, mentioning that it contained "the relics of all teachers, including Kasapagota and Vachi-Suvijayita. Besides, ten saints were mentioned on the caskets, who either participated to the Third Buddhist Council held under Ashoka, or were sent as emissaries to the Himalayas to preach the Buddhist doctrine.
आश्चर्यजनक बात यह है कि यह सभी संत समकालीन नहीं थे और तीन अलग-अलग पीढ़ियों से संबंध रखते थे। अर्थात उनके अवशेष मूल रूप से व्यक्तिगत रूप से कहीं और रखे गए थे और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में इन सभी को यहां लाकर एकत्र किया गया। बौद्ध शिक्षकों के अवशेषों को एकत्र कर स्तूपा बनाना सबसे प्रारंभिक उदाहरण में से एक है। स्तूप दो किसी भी तरह से सांची के अन्य स्मारकों से कम नहीं है जब भी आप साँची आए तो थोड़ा समय निकालकर स्तूप दो stupa 2 तक अवश्य आए और यहां का नैसर्गिक शांत वातावरण और पानी का छोटा कुंड एक आपको शांति और सुकून प्रदान करेगा
17 Comments
Very Informative Sir
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteVery Nice Information R/Sir
ReplyDeleteThanks sandeep
DeleteExcellent blog on sanchi stupa and beautiful photography 👍👍👍👏👏🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद साहू जी
DeleteImportant knowledge🙏 sirji ..Me jab bhi stup gya hu stup-2 tk ghum kr aya hu
ReplyDeleteThanks a lot
Deleteखूबसूरत और शानदार
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteNice place and chanderi part 2 very interesting🤔 blog
ReplyDeleteThanks mishra ji
Deleteकला की विशालता का बोध कराने वाले लौकिक साक्ष्य,
ReplyDeleteThanks abhishek
Deleteखूबसूरत और शानदार👌
ReplyDeleteThanks a lot
Deleteसभी को धन्यवाद 🙏
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