सांची स्तूप 3 : Sanchi Stupa 3 :
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sanchi stupa 3 |
सांची ब्लॉग पर दो भाग मैं पहले लिख चुका हूं जिनकी लिंक नीचे पुनः दे रहा हूँ जिस पर क्लिक कर आप इन्हे पढ़ सकते है।
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sanchi stupa 1 |
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sanchi stupa |
उक्त दोनों लिंक को पढ़कर आप साँची के इतिहास को और यहाँ के स्तूप के बारे में समझ सकते है और सांची के बारे में विस्तृत समझ बना सकते हैं।
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sanchi stupa 3 |
पर एक ब्लॉगर होने के नाते जब ब्लॉग लिखने की बात आती है तो सांची जैसी साइट कुछ समस्याएं खड़ी करती है। हालांकि साँची बहुत ही छोटी साइट है पर कई बार visit करने और कई फोटो खींचने के बाद दो-तीन सीरीज में साँची को कवर कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा है, इसलिए आज तीसरा ब्लॉग लिख रहा हूं जिसमें सांची स्तूप तीन और अन्य जो स्मारक यहां पर है उनको समाहित करने का प्रयास करता हूं और देखता हूं कि कितना आज के ब्लॉग में समाहित कर पाता हूं। हमसे में से अधिकांश लोग यही समझते हैं कि साँची में स्तूप 1 और कुछ मंदिर ही हैं। यदि आप भी ऐसा ही समझते है तो आप भी गलत है। साँची में स्तूप 1 , स्तूप 2 और स्तूप 3 के अलावा भी बहुत कुछ ऐतिहासिक धरोहरें है जिन्हे भी देखना और समझना बहुत जरुरी है। पिछले भाग में स्तूप 2 को कवर किया था आज के भाग में स्तूप 3 और कुछ अन्य monuments को शामिल करूँगा। इसके अलावा एक भाग 4 और भी लिखूंगा जिसमे अन्य धरोहरों और monuments को शामिल करूँगा जो स्तूप के आसपास में है।
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sanchi stupa 3 |
Stupa 3 : सांची के मुख्य स्तूप 1 के उत्तर दिशा में लगभग 50 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित स्तूप तीन पहला स्मारक है जिसे आप सांची में प्रवेश करते समय पाएंगे। आकार में यह स्तूप 2 के समान है परंतु इसका जो वास्तु शिल्प वह मुख्य स्तूप 1 से मेल खाता है। ऐसा माना जाता है कि स्तूप तीन के मुख्य तत्व प्रथम स्तूप के निर्माण के उपरांत दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाए गए थे। Inscription से ज्ञात होता है कि stupa 01 और Stupa 03 के stairway balustrade एक ही व्यक्ति के द्वारा दान में दिए गए थे। और ground balustrade लगभग एक शताब्दी के बाद जोड़े गए थे। अंततः प्रथम शताब्दी में carved gateway तोरण द्वार खड़े किए गए थे, ऊंचाई में लगभग 5 मीटर लंबे यह तोरण द्वार आर्किटेक्चर में स्तूप 01 के तोरण गेट से मिलते जुलते हैं। gateway के pillar पर चार यक्ष potbellied dwarf को बनाया गया है जो stupa 01 के western gateway के समान है।
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sanchi stupa 3 |
जब अलेक्जेंडर कनिंघम ने स्तूप तीन को excavated किया तो उन्होंने बुद्ध के प्रिय शिष्य sariputra और maudgalyayan की अस्थियों को इसके अंदर पाया। इसके अंदर एक चेंबर में एक बड़े पत्थर की स्लैब के नीचे Cunningham ने दो पत्थर के बॉक्स पाए जिनके ढक्कन के ऊपर उनके शिष्यों के नाम लिखे हुए थे। Sariputra की relic box में अस्थियों के टुकड़े और सात मोती जो pearl, garnet, lapis lazuli, crystal और amethyst से बने हुए थे। Maudgalyayan के casket में एक relic box था जिसमे केवल दो अस्थियों के अवशेष रखे थे। दोनों casket के lid पर दोनों के प्राथमिक नाम लिखे हुए थे।
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sanchi stupa 3 with toran gate |
सांची स्तूप तीन आकार और शिल्प में स्तूप एक की प्रति छाया है। परंतु सांची के इतिहास और बुद्धिस्म मैं स्तूप तीन का महत्व किसी भी प्रकार से कम नहीं है और यह इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किए हैं।
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sanchi stupa 3 |
Sanchi remaining monuments : सांची के अन्य स्मारकों को मुख्यतः तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, पहला हिस्सा जो सांची में प्रवेश करते समय देखते हैं दूसरे हिस्से में स्तूप एक और स्तूप तीन के आसपास बिखरे हुए अवशेष है और अन्य भाग में स्तूप दो की तरफ जाते हुए जो अवशेष मिलते हैं वह है।
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monastery 51 sanchi |
sanchi Pillar 10 : Ashoka's Pillar :
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Asoka's Pillar Sanchi |
स्तूप एक के दक्षिण गेट के पास मूलतः यह मौजूद है। चुनार के एक ही प्रस्तरखंड से बना हुआ है। इसकी स्तम्भ की स्थापना सम्राट अशोक ने की थी। प्रारंभ में इसकी ऊंचाई लगभग 42 फीट थी और यह सांची का सबसे प्राचीनतम स्तंभ है जो यहां पाया गया है। पर दुर्भाग्यवश इसका वर्तमान में केवल निचला हिस्सा है यहां सुरक्षित है अन्य टूटे हुए हिस्से इसके पास में ही सुरक्षित रखे हुए हैं।
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अशोक के स्तम्भ का हिस्सा |
19वीं शताब्दी की शुरुआत में इन स्तंभ के भागो का स्थानीय लोग गन्ने का जूस निकालने में उपयोग करते थे। सम्राट अशोक के स्तंभों की जो इसके पॉलिश किए हुए सेंड स्टोन लोगों को आकर्षित करता है। इस स्तंभ के लिए प्रयोग किया गया सेंड स्टोन सैकड़ो मील दूर खदानों से लाया गया था। इस पर लिखे हुए शिलालेख में अशोक ने बुद्ध समुदाय में विभाजन पैदा करने का प्रयास करने वाले लोगों को समाज से बहिष्कृत करने की धमकी दी है। इसके ऊपर का हिस्सा जिसमें चार सिंह की मूर्तियां सुशोभित थी वह अब साँची म्यूजियम में सुरक्षित रखा हुआ है।
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lower portion of pillar 10 erected by Ashok |
Monastery 51 of Sanchi :
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monastery 51 sanchi |
stupa 01 के पश्चिमी प्रवेश के सामने सीढ़ियों के नीचे जाते हुए आप यहां तक पहुंच सकते हैं। यह एक विशालकाय मॉनेस्ट्री बनाई हुई है जिसमे कुल 22 कक्षाओं का निर्माण किया गया है। इसके दक्षिण दिशा में एक tank टैंक है जो संभव पानी के स्टोरेज करने quarry के लिए प्रयोग होता था।
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water tank and monastery at Sanchi |
पश्चिमी ढलान पर मॉनेस्ट्री 51 के नीचे की तरफ जाते हुए कुछ ही मिनट में आप स्तूप 2 तक पहुंच सकते हैं स्तूप 2 के बारे में पिछले ब्लॉक में लिख चुका हूं जिसकी लिंक फिर से नीचे दी गई है।
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गुप्तकालीन मंदिर 17 साँची |
Temple 17 : मंदिर 17 :
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Temple 17 Sanchi |
मंदिर 17 साँची गुप्तकालीन यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्प कला के लिए जाना जाता है और भारत के प्राचीनतम मंदिरों का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें सपाट छत का प्रयोग प्रारंभ किया गया था। मंदिर के स्तम्भों के शीर्ष पर शेरों का दर्शाया गया है मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है हालांकि 18वीं शताब्दी के मध्य में यह दर्ज रिकॉर्ड अनुसार बुद्धि की एक टूटी हुई मूर्ति यहां मौजूद थी। इसमें एक वर्गाकार गर्भगृह तथा स्तम्भों पर टिका हुआ मुखमंडप सम्मिलित है। मंदिर सुरक्षित अवस्था में है।
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temple 17 Sanchi |
मंदिर 17 गुप्तकाल की स्थापत्य कला की उत्कृष्ट कला को दर्शाता है। यह सादगी और भव्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
Sanchi Temple 18 seventh century AD : साँची का मंदिर 18 :
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temple 18 sanchi |
साँची मंदिर 18 भी मुख्य स्तूप के पास में ही स्तिथ है। यह पार्शवपथ युक्त apsidal shrine with an apse a central nave and side aisles मंदिर है। इस स्थान की खुदाई से यह पता चला था कि यह मंदिर मौर्य काल एवं शुंग काल की नीव पर बना हुआ था यह मंदिर अर्थ वृताकार था जिसमें 12 खम्बों का प्रयोग किया गया था जिसमे अभी केवल 9 बचे हुए हैं। योजना में यह चट्टानों को काटकर बनाए हुए चैत्य हाल जैसा दिखता है। यहां पर कई terracotta leaf shaped votiv स्तूप पाए गए थे जिस पर बुद्ध की प्रतिमा carved की गई थी । यह लगभग सातवीं या आठवीं शताब्दी के प्रतीत होते हैं।
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temple 18 Sanchi |
Temple and monastery 45 :
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temple 45 sanchi |
सांची स्तूप के पूर्वी दिशा में यह सबसे अंतिम छोर तरफ स्थित है यहां पर मॉनेस्ट्री 45 और मंदिर के अवशेष मौजूद है जो अब पूर्णतया खंडित अवस्था में है। इस मंदिर का प्रारंभिक भाग का निर्माण लगभग 7वीं शताब्दी में प्रारंभ किया गया था। जिस पर आगे एक अन्य मंदिर का निर्माण लगभग 9वी 10वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर संभवतः यहां पर बनाया गया अंतिम Buddhist temple बुद्धिस्ट मंदिर है। वर्गाकार गर्भगृह जिसमें एक बुद्ध की विशाल प्रतिमा रखी हुई है।
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भगवान बुद्ध की प्रतिमा मंदिर 45 साँची |
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मंदिर 45 गर्भगृह में बुद्ध प्रतिमा |
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मंदिर 45 साँची |
इस मंदिर के प्रवेश द्वार बहुत ही नक्काशीदार और कई human, animals और floral motifs बनाये गये है। यहां पर विशेष बात यह है कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा और यमुना का चित्रण किया गया है जो brahmanical motifs है जिससे यह पता चलता है की बात की शताब्दियों में इसका प्रभाव यहां पर दिखने लगा था। मंदिर के दोनों तरफ कमरों का निर्माण किया गया है जो संभवतः यहां रहने के लिए प्रयोग किया जा सकता होगा और मंदिर के side में हॉल की तरफ दक्षिण दिशा में एक बुद्ध की विशाल प्रतिमा भी रखी हुई है जो बहुत ही आकर्षक है।
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मंदिर 45 साँची |
मित्रों आज का ब्लॉग यही समाप्त करता हूँ क्योंकि यह अब लम्बा होता जा रहा है और और अभी भी बहुत से हिस्से कवर करना है और सभी को इस ब्लॉग में शामिल करना संभव नहीं है। जल्द ही इसका अगला भाग 4 लिखूंगा जिसमे साँची के सभी हिस्सों को शामिल करने के प्रयास करूँगा। यदि कोई सुझाव और कमेंट देना चाहे तो बिना झिझक आप लिख सकते है।
साँची तक पहुंचे कैसे :
साँची भोपाल से लगभग 50 km की दूरी पर स्तिथ है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल है। ट्रेन से पहुँचने के लिए भोपाल 50 km , विदिशा 10 km स्तिथ है। साँची भी रेल स्टेशन है पर यहाँ बड़ी ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है। देश के किसी भी हिस्से से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है। स्तूप तक पहुँचने से पहले नीचे ही टिकट काउंटर बना हुआ है जहाँ से टिकट लेकर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
साँची चित्र दीर्घा :
3 Comments
miraculous
ReplyDeletegreat blog on the sanchi stupas it is amazing that the description of the sanchi stupas .photography is very beautiful. Your efforts are appreciated ...
ReplyDeleteCongratulations🎉
Thanks a lot 😌
Knowledgable Information 💐💐
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