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Resurgence from ruins : Sanchi stupa part 4

विश्व धरोहर  सांची भाग 4 : World Heritage Sanchi Part 4 

Remaining monuments of Sanchi : Resurgence from ruins 

sanchi stupa
Sanchi Stupa 01

साथियों , विश्व धरोहर सांची की सीरीज पर पिछले तीन भागों में ब्लॉग लिख चुका हूं जिसकी लिंक नीचे पुनः दे रहा हूँ  जिसको आप पढ़कर साँची के इतिहास और इसके हमारी संस्कृति और ऐतिहासिक महत्त्व   के बारे में भी जान सकते है। साँची जितनी छोटी साइट है उससे कई गुना अधिक महत्वपूर्ण है। भारतीय इतिहास में यह सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से है। 

sanchi temple 17 

        जैसा कि पिछले सीरीज में मैंने बताया कि सांची हालांकि है एक छोटी साइट पर इसको एक भाग में कवर करना लगभग असंभव है इसलिए इसको पांच भागों में कवर करने का प्लान बनाया है। पहले  भाग में स्तूप एक और इसके आसपास के धरोहर , दूसरे भाग में स्तूप तीन और तीसरे भाग में स्तूप दो को शामिल किया गया। आज इस चौथे भाग में इसके आसपास बिखरे हुए सभी धरोहरों को शामिल करने का प्रयास किया गया है जो मुख्य एक स्तूप के चारों तरफ फैले हुए हैं और संभवत: यहाँ आने वाले यात्रियों से  अछूते ही रह जाते हैं। एक पांचवा भाग बनाने का भी सोचा है जिसमे चैत्यगिरि, साँची के पुराने फोटो और इसको अन्वेष करने वाले प्रमुख व्यक्ति , यहाँ के प्रसिद्द पैनल को कवर करने का सोचा है। 

sanchi
Sanchi Stupa 01



sanchi
sanchi monastery 51


 sanchi
Sanchi Stupa 03 and other stupas 


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Sanchi Stupa 03

        बौद्ध धर्म के महान संरक्षक मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बेदीसगिरी ( सांची ) में बौद्ध स्मारकों का निर्माण करवाया था। क्योंकि इस पहाड़ी पर बौद्ध भिच्छु जीवन के लिए आवश्यक शांति और एकांत का वातावरण था तथा यह स्थान विदिशा नामक समृद्ध और संपन्न नगर के समीप था। सम्राट अशोक ने यहां एक प्रस्तर स्तंभ और ईटों का स्तूप बनवाया था। शुंग काल (दूसरी सदी ईसा पूर्व) में अशोक द्वारा निर्मित स्तूप एक का परिवर्द्धन किया गया और इसकी निचली वेदिका, सोपान मार्ग, ऊपरी प्रदक्षिणा पथ, हर्मिका सहित छत्र की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त मंदिर चालीस का पुनर्निर्माण तथा स्तूप दो और तीन का निर्माण हुआ। 

साँची सूर्यास्त का दृश्य 

       सातवाहन युग ( प्रथम सदी इसा पूर्व) में स्तूप एक में चार तोरण जोड़े गए और स्तूप तीन में एक तोरण का निर्माण हुआ। स्तूप एक के चारों प्रवेश द्वारों के सामने प्रदक्षिणा पथ से लगी हुई चार बुद्ध मूर्तियां, टेंपल 17 तथा कुछ अन्य इमारतें गुप्त काल की देन है। सातवीं आठवीं सदी में यहां अनेक बुद्ध प्रतिमाओं की स्थापना की गई तथा एक प्राचीन भवन के अवशेषों पर मंदिर 18 का निर्माण किया गया। मालवा के मध्य युगीन प्रतिहार तथा परमार शासको ने यहां अनेक मंदिर विहारों की स्थापना की इनमें से मंदिर 45 उल्लेखनीय है।     

        यह विश्वास किया जाता है कि सम्राट अशोक ने 273 -236 ई पूर्व में इसे स्थापित किया था। जिसमें महात्मा बुद्ध के प्राचीन स्मृति चिन्ह रखे हैं। सम्राट अशोक ने शिलालेखों के साथ एक ही पत्थर के खम्बे का निर्माण करवाया। अन्य प्राचीन निर्माणों में स्तूप 2 और स्तूप 3 और अर्धवृताकार मंदिर 18 और मठ 51 महत्वपूर्ण है। 

sanchi stupa 02 


        यह भी अविश्वसनीय है कि लोग साँची को केवल स्तूप 01 ,02 और स्तूप 03 तक ही सीमित समझते हैं पर वास्तव में साँची  में लगभग 50 तक की संख्या में monuments हैं जिन्हे तत्कालीन director general of archaeology सर जॉन मार्शल द्वारा नामित किया गया था जिन्होंने  1912 -1919 तक अपने आठ साल साँची में इसे सूचीबद्ध और पुनर्स्थापित करने में  व्यतीत किये थे। 

महात्मा बुद्ध के प्रतीतात्मक चरण चिन्ह तोरण गेट 01 

        साँची के शेष बचे हुए स्मारकों को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है। स्तूप 01 और स्तूप 03 के आसपास के स्मारक, पूर्व क्षेत्र में फैले हुए स्मारक ,दक्षिण क्षेत्र में फैले हुए स्मारक और स्तूप 02 की तरफ नीचे ढलान की जाते समय  स्मारक।  

Other Stupas अन्य स्तूप : 

        मुख्य स्तूप 01 के आसपास अन्य कई छोटे स्तूप के अवशेष बने हुए हैं जिनमे स्तूप 04 आकार में बढ़ा है एवं अन्य कई छोटे स्तूप भी है जो आकार में छोटे बड़े है ,स्तूप 05 एवम स्तूप 07 उल्लेखनीय है अन्य सभी स्तूप केवल अवशेष ही बचे है जो 6 वी सदी से 08 वी सदी के मध्य के बने प्रतीत होते  है। 

Stupa 07 Sanchi 

Southern area : मंदिर 40 temple 40 : 

Sanchi Temple 40

        साँची का यह मंदिर बहुत confuse करता है क्योंकि यहाँ के अवशेष तीन अलग अलग समय के बने हुए हैं। मंदिर 40 का प्रारंभिक निर्माण स्तूप 01 के समय तीसरी सदी ई पूर्व में निर्मित apsidal हॉल मंडप था जिसका ऊपरी भाग लकड़ी का वना था , ऊपरी भाग के जल जाने के बाद दूसरी सदी ई पू  में इस चबूतरे पर एक दूसरा मंडप खड़ा किया गया। लगभग सातवीं या आठवीं सदी ई में इसमें कुछ परिवर्तन additions और परिवर्धन alterations  किया गए। वर्तमान में यहाँ देखने वाले अवशेष पांच row में दस pillars बने हुआ है जो खंडित है और टूटे हुए है। दानदाताओं के inscriptions के अनुसार कुछ pillar 2nd BC के समय के है। 

sanchi
sanchi temple 40

Building 08  भवन 08 :

 
building 08 
    
        वर्तमान में भवन 08 का केवल आधार ही बचा हुआ है। माना जाता है कि वर्तमान में बचा हुआ निर्माण शुंग काल में बना हुआ है। इसका चबूतरा और सीढिया ही बची हुई है और इसका निर्माण किस उद्देश्य से किया गया था अज्ञात है। 

Temple 31 : मंदिर 31 : 

temple 31
Sanchi Temple 31

        साँची का मंदिर 31 एक ऊँचे चबूतरे पर निर्मित मंदिर है।  देखने में यह मंदिर 17 से मिलता जुलता है।  मंदिर में अंदर महात्मा बुद्ध की प्रतिमा रखी हुई है और इसकी सपाट छत है। मंदिर के बाहर एक नाग कन्या की आकर्षक प्रतिमा रखी हुई है।  हालाँकि मंदिर का प्रवेश अब बंद कर दिया गया है।  

Nag Kanya outside temple 31

Temple 31 Sanchi 

चैत्य गिरी विहार : Chetiyagiri Vihar Mahabodhi Society of Srilanka Sanchi :

चैत्यगिरि विहार साँची 


Pillar  25 Sanchi  ( स्तंभ 25 ) साँची : 

Pillar 25 Sanchi 

दूसरी सदी ईसा पूर्व का है। इसका आधोभाग octagonal तथा और ऊपर भाग sixteen sided है। स्तंभ पर मूलतः  रखा हुआ lion capital अब संग्रहालय में रखा हुआ है। 

Pillar 26 स्तंभ 26  :

Pillar 26  Sanchi 
        
        गुप्तकालीन यह स्तंभ रचना में चौकोर और गोलाकार है। इसका भी शीर्ष lion capital अब संग्रहालय में रखा हुआ है।

Pillar 35 

Pillar 35 

स्तूप 01 के north gateway  के पास इस pillar को Vajrapani pillar के नाम से जाना जाता है।  वर्तमान में केवल इसका stump ही बचा हुआ है जो इसके टूटे हुए capital के साथ ही रखा हुआ है। 5th century AD के समय की एक मूर्ति मिली थी जो धोती पहने हुए थी जिसे माना जाता है कि vajrapani को represent करती है जिसे पास में मिले inscription के आधार पर vajrapani pillar बताया गया है। 

Pillar 35 Sanchi 

Eastern Area :temple and Monastery 45 :


temple 45 

        पूर्वी दिशा में यह साँची का अंतिम दूरी पर स्तिथ मंदिर और मोनेस्ट्री 45 है और वर्तमान में खंडित अवस्था में है। इसके आसपास कई carved masonary बिखरे हुए है। माना जाता है कि मंदिर का प्रारम्भ सातवीं या आठवीं सदी में शुरू हुआ और नवीं या दसवीं सदी में इसमें कुछ और परिवर्तन किये गए। excavations से यह पुष्टि हुई कि यहाँ आग से जलने के अवशेष मिले जिससे यह माना जा सकता है कि इसके अवशेषो पर द्वितीय मंदिर का निर्माण हुआ होगा। वर्तमान मंदिर को देखकर यह माना जा सकता है कि यह साँची में निर्मित अंतिम बुद्ध मंदिर हो सकता है जिसमे square sanctum है और बहुत narrow antichamber है।  इसका प्रवेश द्वार कई मानव आकृतियों से सुसज्जित है। 

मंदिर 45 के प्रवेश द्वार पर गंगा यमुना प्रतिमा 

सबसे आकर्षक बात है यहाँ पर निर्मित गंगा और यमुना की प्रतिमाये जिसे हिन्दू मंदिरों में बनाया जाता है। इस मंदिर के बगल में बरामदे में एक बुद्ध की आकर्षक प्रतिमा रखी हुई है।  वर्तमान में इस मंदिर का restoration का कार्य प्रारम्भ हो गया है। 

मंदिर 45 बुद्ध प्रतिमा 

monastery 37 :


monastery 37 Sanchi 

monastery 38 :

sanchi
monastery 38 

Eastern Area :

Building 32 :

building 32 
 
तीन चैम्बर युक्त यह कमरे किस उपयोग में आते होंगे कोई निश्चित उल्लेख नहीं है। इनके सामने एक underground चैम्बर है।  इसमें कोई दरवाजे नहीं है केवल खिड़की बनी हुई है। संभवतः यह पास ही स्तिथ मोनेस्ट्री के लिए स्टोरेज के लिए प्रयुक्त होता हो। 

Begging Bowl  or Giant Bowl

विशाल पत्थर का कटोरा साँची 

Begging Bowl 

मोनेस्ट्री 45 के पास विशाल पत्थर का bowl रखा हुआ है और इसका क्या उपयोग रहा होगा ज्ञात नहीं है पर माना जाता है कि सभी भिच्छु monk खाने की प्राप्त सामग्री को यहाँ लाकर रखते थे और इसमें सब मिलाकर बाद में बाँट लेते थे। 

साँची तक पहुंचे कैसे : 


        साँची भोपाल से लगभग 50 km की दूरी पर स्तिथ है।  नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल है।  ट्रेन से पहुँचने के लिए भोपाल 50 km  , विदिशा 10 km स्तिथ है।  साँची भी रेल स्टेशन है पर यहाँ मुख्य और लम्बी दूरी की ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है।  देश के किसी भी हिस्से से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।  स्तूप तक पहुँचने से पहले नीचे ही टिकट काउंटर बना हुआ है जहाँ से टिकट लेकर आसानी से पहुंचा जा सकता है।   

Photo Gallery Sanchi  :

depicting story  Sujata was a farmer's wife, who is said to have fed Gautama Buddha a bowl of  kheera ,a milk-rice pudding, ending his six years of asceticism. Such was his emaciated appearance that she wrongly believed him to be a tree-spirit that had granted her wish of having a child. The gift provided him enough strength to cultivate the Middle Way, develop jhana, and attain Bodhi, thereafter becoming known as the Buddha

toran Gateway 

water Tank 

water tank 

sanchi inscription 

Toran Gateway 

बुद्धा प्रतिमा टेम्पल 45 

बुद्धा प्रतिमा स्तूप 01 


बुद्धा प्रतिमा स्तूप 01 

temple 18 

बुद्धा प्रतिमा मंदिर 31 

टेम्पल 40 

बुद्धा प्रतिमा स्तूप 01 

temple 40 

टेम्पल 40 

मनौती स्तूप votive  stupa 

पानी भरने का पात्र 


temple 45 

temple 31 sanchi 

temple 40 

Toran Gateway 

temple 40 sanchi 


टेम्पल 40 साँची 

खंडित बुद्ध प्रतिमा साँची 

साँची टेम्पल 45 के पास पुरावशेष 

साँची 

नाग कन्या टेम्पल 31 


Sanchi inscription 

Sanchi inscription 

साँची मोनुमेंट्स सूची 

साँची स्तूप 

मंदिर 45 साँची 

मंदिर 45 साँची 


sanchi sunset view 

साँची सूर्यास्त 









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20 Comments

  1. बहुत ही गहरी जानकारी बहुत सुंदर सर जी 🙏🙏🙏

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  2. सुंदर। चित्रण और विवरण सर

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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  3. विश्व को भारतवर्ष की अद्वितीय कलाओं के विवरण को दर्शाने वाली धरोहरों से परिपूर्ण🙏🙏

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  4. सुंदर। चित्रण

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  5. वाह बेहतरीन जानकारी 👌👌👌

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  6. सुंदर चित्रण

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  7. वाह बेहतरीन जानकारी

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  8. A complete series of coverages.. well documented ji -Pratheep

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