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सप्त मातृका का इतिहास और दंत कथाएँ

सप्त मातृका का इतिहास और दंत कथाएं : Sapta Matrka Pathari

पठारी स्तिथ सप्तमातृका पैनल 

        साथियो जैसा कि अभी मेरे द्वारा विदिशा जिले के पठारी स्तिथ ऐतिहासिक स्थानों पर ब्लॉग की सीरीज कवर की जा रही है।  पिछले भागों में तीन भाग पठारी के कई स्थानों पर लिख चुका हुँ , यदि आपने अभी तक नहीं पढ़ा है तो पुनः लिंक दे रहा हूँ आप क्लिक कर पढ़ सकते है।  पठारी विदिशा जिले का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है जहाँ बहुतायत में कई धरोहर स्तिथ है। 

Pathari : The ancient city of great tempels of India 

Pathari : The lost city of great temples of mediaeval India

Gadarmal Temple Pathari : गडरमल मंदिर पठारी


        पठारी में प्रवेश करते समय सबसे पहले जो स्थान आता है वह है नजदीकी पहाड़ी स्थान पर बना हुआ सप्तमातृका शैलाश्रय। प्रथम नजर में यह एक प्राचीन शैलाश्रय लगता है। नजदीक में एक सप्तमातृका पैनल बना है जो लगभग चौथी सदी का प्रतीत होता है। सप्तमातृका पैनल में आठ प्रतिमाये दर्शित है। यहाँ पुरातत्व विभाग द्वारा एक बोर्ड पर नाम तो लिखा है पर सप्त मातृका क्या है , क्या इतिहास है कुछ भी जानकारी प्रदर्शित नहीं की गयी है। कई दिनों  से इस विषय पर लिखने का सोच रहा था परन्तु इस विषय पर पर अधिक जानकारी भी उपलब्ध नहीं है अतः कुछ अधिक समय लगा  ब्लॉग को लिखने में।   

सप्त मातृका अर्थात सात माताएं. विदिशा जिले के कई प्राचीन गुफा मंदिरों में सात देवी की प्रतिमाएं देखी जाती हैं और यह अधिकांशतः  एक साथ ही एक पटल पर उत्कर्ण होती है। कभी-कभी भगवान गणेश और कार्तिकेय क़ो भी उनके साथ दर्शाया जाता है। विदिशा जिले के उदयगिरि और पठारी क्षेत्र  में सप्त मातृकाओं की मूर्तियां पाई गई है। 

एरण स्तिथ पैनल 

सप्त मातृकाएं कौन है  : 

सप्त अर्थात सात और मातृका अर्थात माता। अतः अर्थ हुआ सात माताएं। यह विभिन्न देवताओं की शक्तियां हैं जो उनकी आवश्यकता अनुसार उनके भीतर से उदित होती हैं और अधिकांशतः ऐसे असुरों के संहार हेतु आती हैं जिन्हें नियंत्रित करने में सभी देवता असफल हो गये हैं।  सप्त मातृकाओं की पाषाण पर निर्मित प्रतिमाएं अधिकांशतः सम्पूर्ण  भारत के विभिन्न मंदिरों में देखी गई हैं। यदि और प्राचीन महत्वपूर्ण इतिहास में जाये तो सिंधु सरस्वती घाटी सभ्यता में एक मुद्रा में 7 मातायो को एक वृक्ष के साथ दर्शाया गया है।

पठारी स्तिथ वीरभद्र सप्तमातृका पैनल 

सप्त मातृका पट्टीका : 

सप्त मातृकाओं को सदैव एक साथ सात  या आठ की संख्या में एक पट्टिका पर उत्कीर्ण किया जाता है और उन सभी को सामान्यतः एक ही मुद्रा में बैठे दिखाया जाता है जिसे ललितासन मुद्रा कहते हैं।  ललितासन मुद्रा में एक चरण धरती पर और दूसरा चरण दूसरी जंघा पर रखा जाता है। कभी कभी पट्टीका में प्रत्येक मातृका के साथ एक शिशु भी दर्शाया जाता है जो उनके माँ होने की और विशेष संकेत है। सप्त मातृका : सात माताएं साथ देवों की शक्तियों से उत्पन्न हुई है। उनके वाहन एवं अस्त्र भी वही है जो उनके स्रोत के हैं। इनमें दो मातृकाये शिव के परिवार से उत्पन्न हुई है, तीन विष्णु के विभिन्न अवतारों से उत्पन्न हुई है तथा ब्रह्म एवं इंद्र से एक-एक मातृका उत्पन्न हुई है। उनके लक्षण एवं गुण सभी उनके समकक्षों  के सामान है। सामान्यतः सप्त मातृकायो की पट्टिका में गणेश, कार्तिकेय, वीरभद्र या सरस्वती में से एक या दो उनके दोनों और आवश्यक रूप से होते हैं। 

चामुंडा पैनल 


इन सप्त मात्रकायों का विवरण निम्न प्रकार है : 

1 : ब्राह्मी : पीतवस्त्र धारणी ब्राह्मी, ब्रह्मा की शक्ति है और हंस पर सवार रहती हैं जो ब्रह्मा जी का भी वाहन है। वे अपने दो हाथों में अक्षमाला एवं जल का कलश धारण करती हैं। जहां उनके चार हाथ दर्शाये जाते हैं वहां उनके अन्य दो हाथ अभय एवं वर मुद्रा में होते हैं। 

2 : महेश्वरी : माहेश्वरी शिव की शक्ति है। उजला वर्ण लिए हुए ऋषभ की सवारी करती है। शीश पर जटा मुकुट,  कलाइयों में सर्प रूपी कंगन, माथे पर चंद्रमा तथा हाथों में त्रिशूल लिए भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करती हैं।  
सप्तमातृका पैनल 

3 : कौमारी : कौमारी भगवान कार्तिकेय की शक्ति है और कार्तिकेय को कुमार के नाम से भी जाना जाता है। कौमारी भगवान कार्तिकेय के वाहन मयूर पर सवार है। 

4 : इंदरी अथवा इन्द्राणी : इंदरी भगवान इंद्र की शक्ति है। इंद्र के सामान उनका वाहन गज है। उनके हाथ में सदैव उनके अस्त्र वज्र रहता है कभी-कभी उनके दूसरे हाथ में अंकुश भी दिखाया जाता है। उन्हें लाल व सुनहरे वस्त्र धारण करना पसंद है। इंद्र के समान उनके देह पर भी सहस्त्र नेत्र हैं। 

5 : वैष्णवी : भगवान विष्णु की शक्ति वैष्णवी है. वैष्णवी के दो हाथों में चक्र एवं गदा है अन्य दो हाथ अभय एवं वरद मुद्रा में है। कभी-कभी उनके हाथों में शंख एवं तलवार भी होती है। उनका वाहन भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ है. कभी-कभी उनके पिठिका पर वाहन गरुड़ विराजमान रहते है। उनके प्रमुख लक्षण है उनकी वन माला जो संपूर्ण देह पर रहती है। 

पठारी स्तिथ सप्तमातृका पैनल शैलाश्रय 


6 : वाराही : यज्ञ वराह की शक्ति वाराही का स्वरूप भी भगवान वराह का है। उन्हें सामान्यतः मानवी देह पर वराह शीश के रूप में दर्शाया जाता है। वाराही भी श्याम वर्ण है अपने शीश पर करंडमुकुट धारण करती हैं. 

7 : नरसिंही : नारसिंही भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की शक्ति है। इनकी आधी देह मानवी और आधी सिंह की है और इस विशेष स्वरुप के कारण उन्हें पहचानने में कठिनाई नहीं होती। 

सप्तमातृका पैनल पठारी 

चामुंडा : कभी-कभी सप्त मातृकाओं में नरसिंही के स्थान पर चामुंडा को भी दर्शाया जाता है जो यम की शक्ति है। कंकाल सामान देह, धंसे नेत्र, धंसा उदर, ग्रीवा पर नरमुंड की माला और हाथों में नरमुंड का पात्र लिए उनकी विशेषताएं हैं। बाघ चर्म लिए उनका यह रूप अत्यंत रौद्र प्रतीत होता है।

सप्तमातृका पैनल पठारी देवी ब्राम्ही  

        सप्त मातृकाओं को समर्पित शैल पट्टीकाये  लगभग सभी प्राचीन मंदिरों में देखी जा सकती हैं। इनका आकार विशाल नहीं होता अतः इन्हें खोजने के लिए इनका ध्यान पूर्वक अवलोकन करना आवश्यक है। The group of seven mother like goddess, matrika as commonly accepted consist Brahmi, vaishnavi, maheshwari, kaumari, varahi, Indrani and chamunda.

सप्तमातृका पैनल 


        सप्त मातृकायों की पूजा विशेषत दक्षिण भारत में की जाती है। वहां मंदिर के द्वारों पर स्तंभ या तोरण पर इनका चित्रण किया जाता है। कभी-कभी इनको गणेश यानी विनायक या वीरभद्र के साथ भी दिखाया गया है। सप्त मातृकाये अपने पति के वाहनों और आयुध के साथ विराजमान होती हैं। सप्त मातृकायों की प्रतिमा तीन रूपों में होती है 1. स्थानक यानी खड़ी प्रतिमा 2. असंध यानी बैठी हुई प्रतिमा 3. नृत्यरत प्रतिमा    पुराणों में जो सप्त मातृकायों का वर्णन है उनमें माता के चार हाथ और गोद में शिशु हैं यह उनका ममता में रूप का वर्णन है।

पठारी सप्तमातृका शिलालेख : Pathari sapta-matrka inscription –

सप्तमातृका शिलालेख पठारी 

The inscription was reported by M B Garde in 1923-24. The inscription is highly weathered and deteriorated and not much can be inferred from what remains. It is written in Gupta characters and the Sanskrit language. The parts of inscriptions that can be read mention one Vishayeshvara Maharaja Jayatsensya and Bhagvato Matr. The day is mentioned as “shukla divase trayodasya” however the date is all obliterated. The purpose of the inscription appears to describe the installation of the Matr figures by a son of Maharaja Jayatsena.

Author: Dániel Balogh

This extremely weathered inscription (see IMAGES) accompanies the Saptamātṛkā panel on Gyānnāth Hill in Badoh-Pathari (Vidisha District, Madhya Pradesh). The inscription was reported by M. B. Garde (Annual Report of the Archaeological Department, Gwalior State for Samvat 1980, Year 1923-24, p. 12) who mentioned that the name of viṣayeśvara mahārāja Jayatsena could be read in it along with a partial date, the 13th of a bright half-month. The area has been surveyed by Anne Casile and reported in “Changing Religious Landscapes in Gupta Times: Archaeological Evidence from the Area of Baḍoh-Paṭhāri in Central India,” South Asian Studies 30 (2014): 245-268; the inscription studied and published by Dániel Balogh, “The Badoh-Pathari Saptamātṛ Panel Inscription,” Indo-Iranian Journal 65, no. 3 (2019): 


सप्तमातृका के नजदीक एक प्राचीन मंदिर 

पठारी तक पहुंचे कैसे : How to reach Pathari :

        पठारी के नजदीकी रेलवे स्टेशन गंजबासोदा है जो लगभग 38 km की दूरी पर है।  अन्य नजदीकी रेलवे स्टेशन मंडी बामोरा है जो लगभग 25  km की दूरी पर है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल है जिसकी दूरी लगभग 140 km है। पठारी सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा है एवं बस सेवा भी सभी जगह से उपलब्ध है। रुकने के लिए यहां अच्छे होटल नहीं है। गंजबासोदा और विदिशा में होटल ठीक है और यहां से जाने के साधन भी पर्याप्त है।

चित्र दीर्घा पठारी सप्तमातृका : Photo Gallery of Sapt Matrika Pathari 


सप्तमातृका पैनल के नजदीक पुरावशेष 

सप्तमातृका पैनल देवी माहेश्वरी 

पानी रखने का प्राचीन स्थान 

सप्तमातृका पैनल 


चामुण्डा देवी 

सप्तमातृका शैलाश्रय पठारी 

ग्राम उदयपुर स्तिथ पैनल 

उदयगिरि स्तिथ नष्ट हो चुका सप्तमातृका पैनल 

एरण स्तिथ पैनल 


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28 Comments

  1. Very interesting history.

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  2. Well informative details ...good research by the blogger ...

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  3. Well information,,good research

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  4. Important knowledge for History Interested people's 🙏👍

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  5. Brief description of pathari with religious knowledge superv

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  6. One of the best blog🎀 I had ever seen , and photographs🤩 are too good .

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  7. Very interesting and knowledgeful

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  8. जबरदस्त ,बेहद रोचक जानकारी ,बधाई आपको

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  9. आपने विदिशा जिले के बारे में काफी रोजक जानकारी दी है इसके लिए आपका बहुत आभार 🙏🙏

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  10. Very Very interesting & knowledgeable Sir

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