Pathari : The ancient city of great tempels of India
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पठारी दसावतार मंदिर समूह |
साथियों यह ब्लॉग आने में कुछ समय अतिरिक्त लगा इसके लिए मुझे खेद है। कुछ व्यक्तिगत कार्यों से मैं समय नहीं दे पाया। कुछ मित्रों ने पूछा भी कि ब्लॉग में क्यों देरी हो रहीं है तो मैंने उन्हें आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही नया ब्लॉग पोस्ट करने वाला हूं। इसी कड़ी में आज का नया ब्लॉग विदिशा जिले के पठारी कस्बे पर आधारित है।
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पठारी दसावतार मंदिर समूह |
मित्रों पठारी पर पहले भी मैं दो पार्ट लिख चुका हूं आज यह इसका तीसरा पार्ट है। यदि पहले अपने दोनों नहीं पढ़े हैं तो लिंक नीचे दे रहा हूं आप पुनः पढ़ सकते है।
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गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु |
पठारी कस्बा यूं तो आज विदिशा जिले का बहुत ही पिछड़े और ग्रामीण कस्बे में नाम आता है, पर यदि ऐतिहासिक नजरिए से देखा जाये तो यह कभी मध्य भारत का एक प्रमुख ऐतिहासिक कस्बा रहा होगा जिसकी मिसाल यहां के प्रमुख ऐतिहासिक भवनों और मंदिरों से मिलती है। यहां के मुख्य प्रारंभिक निर्माण गुप्तकाल से चौथी शताब्दी से मिलना शुरू होते हैं जो 12वीं शताब्दी के मध्य तक निरंतर मिलते है और कुछ निर्माण इसके आगे भी होते है। इसका अर्थ यह है कि 12वीं से 13वीं शताब्दी के बाद इस कस्बे का महत्व कम होता चला गया। आज भी ऐतिहासिक नजरिए से यह विदिशा का प्रमुख ऐतिहासिक नगर है।
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गरूड़ासीन भगवन विष्णु |
वर्तमान समय में यहां के अधिकांश मंदिर खंडहर अवस्था में है और लगभग नष्ट होने की स्थिति में है, हालांकि पुरातत्व विभाग ने यहां बाउंड्री वाल आदि बनाकर संरक्षित करने का प्रयास किया है परंतु उस स्तर पर संरक्षण नहीं हो पाया है जिस स्तर की यहां आवश्यकता है। इतने विशाल स्तर पर प्राचीन मंदिरों का पाया जाना इस बात का परिचय है कि यहगुप्तकाल और मध्यकाल में बहुत ही धार्मिक और महत्वपूर्ण नगर रहा होगा।
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दसावतार मंदिर के अवशेष पठारी |
पिछले पार्ट में कुटकेश्वर शिव मंदिर, सतगढ़ी मंदिर, बड़ोह स्तिथ गडरमल मंदिर पर लिख चुका हूं। मूलतः पठारी कस्बा दो ग्रामों से मिलकर बना है पठारी और बड़ोह। दोनों ग्रामो के बीच में एक छोटा सा तालाब है जो एक सीमा का काम करता है परन्तु यह तालाब भी निरंतर आकार में सिमटता जा रहा है। यहां के अधिकांश मंदिर बड़ोह में ही स्तिथ है। आज के ब्लॉग में दस अवतार मंदिर, सोलह खम्बी और देवलघाट शिव मंदिर को कवर करूँगा और अगले पार्ट में भीमगजा, जैन मंदिर समूह , रामगढ की गुफाये ,सप्तमातृका गुफाये और ऊँचे पहाड़ पर स्तिथ शिव मंदिर आदि स्थान को शामिल करूँगा। पठारी हालाँकि एक छोटा क़स्बा है पर ब्लॉग की दृष्टि में इसे दो तीन भाग में कवर करना संभव नहीं है। यह बहुत विशाल साइट है। विदिशा जिले की यह और ग्यारसपुर सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साइट है।
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दसावतार मंदिर के अवशेष पठारी |
दशावतार मंदिर समूह पठारी :
Dasavtar group of Temples Pathari :
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दसावतार मंदिर के अवशेष पठारी |
इस मंदिर समूह स्थान पर आठवीं से दसवीं शताब्दी के बहुत सारे वैष्णव मंदिर थे और प्रत्येक मंदिर में भगवान विष्णु के किसी अवतार की मूर्ति थी। इस कारण से इन मंदिरों को दस अवतार मंदिर कहा गया। इन मंदिर में अब केवल खंडहर ही बचे है, जिनकी कुछ साफ सफाई ग्वालियर राज्य के पुरातत्व विभाग ने सन 1924 में की थी। कभी यहां बहुत अधिक संख्या में मंदिर मौजूद थे परंतु वर्तमान में केवल 5 से 6 मंदिर के अवशेष ही बचे हैं। यह स्थान पठारी का सबसे महत्वपूर्ण साइट पर आज बहुत ही उपेक्षित है। यहाँ जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। अकेले पहुंचना तो बहुत मुश्किल है। बाइक या पैदल ही पहुंचा जा सकता है। कोई उचित सुविधा पुरात्तव विभाग द्वारा पठारी में उपलब्ध नहीं है।
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पठारी स्तिथ विशाल वराह मूर्ति |
यहां पर भगवान वराह की एक विशाल मूर्ति स्थित है। गुप्त साम्राज्य के समय वराह की मूर्तियां बनाना अधिक प्रचलित थी ,नजदीक में ही eran में भी वराह की मूर्ति भी पाई गई है। एक हाथ में भू देवी को लिए हैं और एक पैर सर्प के ऊपर रखा हुआ है। मूर्ति कुछ छतिग्रस्त भी है। यहां पर मंदिरों को कोई क्रमांक नहीं दिया गया है और ना ही कोई ऐसा पुरातत्व विभाग द्वारा विषय वर्णन किया गया है जिस आधार पर यहां की अधिक जानकारी दी जा सके। फिर भी मैंने अपने अनुसार मंदिर की संख्या यहाँ आने के अनुसार बनाई है।
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temple 01 dasavatar pathari |
मंदिर क्रमांक एक में कोई शिखर नहीं है, मंदिर के प्रारंभ करने पर दरवाजे पर भगवान विष्णु गरुड़ के ऊपर सवार होकर दर्शाये गए हैं। मंदिर के बाहरी दीवारों पर भगवान विष्णु के अवतारों का चित्रण किया गया है। दरवाजे के नीचे तरफ देवी गंगा और यमुना का चित्रण किया गया है।
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दसावतार मंदिर समूह पठारी मंदिर 02 |
मंदिर क्रमांक 02 : यह इस प्रांगण का सबसे विशाल मंदिर है और इसमें मंडप भी बना हुआ है। दरवाजे पर गंगा और यमुना अपने वाहन मकर और कच्छप के साथ दर्शित है। बाहर की तरफ एक नाग कन्या क़ो दर्शाया गया है। ऊपर की तरफ भगवान विष्णु के एक तरफ ब्रह्मा जी को और दूसरी तरफ भगवान शिव को दर्शाया गया है। अधिकांश मंदिरों को पुनः अवशेषों को जोड़कर बनाया गया है तो जो व्यवस्थित नहीं है।
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दसावतार मंदिर समूह पठारी मंदिर 03 |
मंदिर क्रमांक 03 : यह आकार में विशाल है और इसकी छत के ऊपर पत्थरों को रखकर जमाया गया है। यह भी शिखर विहीन मंदिर है। दरवाजे पर भगवान विष्णु वाहन गरुड़ के ऊपर सवार होकर दर्शाये गए हैं। नीचे की तरफ गंगा नदी और यमुना नदी अपने वाहन मकर और कच्छप के ऊपर बनाई हैं। मंदिर की बाहरी दीवालो पर भगवान विष्णु के अवतारों का चित्रण किया गया है।
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सोलह खम्बी पठारी |
सोलह खाम्बी : Solah Khambi :
इस भव्य इमारत में 16 खंभे होने से यह 16 खंबी कहलाती है। यह ईमारत किसने और किस कारण से बनवाई यह कुछ स्पष्ट नहीं है। मुमकिन है कि तालाब की सैर के आने वालों के आराम करने के लिए यह स्थान बनाया गया हो। स्थापत्य और बनावट के आधार पर यह इमारत आठवीं से नौवीं शताब्दी की प्रतीत होती है। ग्वालियर राज्य के पुरातत्व विभाग ने सन 1924 में इसका restoration करवाया। एक ऊंचे चबूतरे पर एक बड़ा सा बरामदा है और 16 खम्बो से एक बरामदा बनाया गया है। यहां तालाब पर दूसरी तरफ बड़ोह का गडरमल मंदिर का सुन्दर दृश्य दिखता है और यह बहुत ही आकर्षित दृश्य है। सोलह खम्बी दस अवतार मंदिर समूह के पीछे की तरफ स्तिथ है।
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देवलघाट शिव मंदिर पठारी |
देवल घाट शिव मंदिर : Devalghat Shiv Temple Pathari
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देवलघाट शिव मंदिर शिवलिंग |
इस भव्य एवं विशाल मंदिर के गर्भगृह में जलधारी सहित शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का निर्माण 16 वीं से 17वीं शताब्दी में हुआ है। बरांडा में नंदी की प्रतिमा स्थापित है। मंडप का ऊपरी भाग क्षतिग्रस्त है। सीढ़ियां भी क्षतिग्रस्त है। शिवलिंग एवं नंदी इस मंदिर की महत्वपूर्ण विरासत है। यह स्मारक मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग का संरक्षित स्मारक है। मंदिर के बाहर का दृश्य अत्यंत विहंगम है। सामने एक बड़ा तालाब है और चारो तरफ सुन्दर प्राकृतिक दृश्य है।
साथियो आज का ब्लॉग यही समाप्त कर रहा हूँ। कोशिश की है पठारी की विरासत को सबके सामने लाने का प्रयास करू। साथियो यह ब्लॉग आपको कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताये। कोशिश करूँगा अगला भाग जल्दी पोस्ट करू। यदि कोई सुझाव देना चाहे तो स्वागत है।
पठारी तक पहुंचे कैसे : How to reach Pathari :
पठारी के नजदीकी रेलवे स्टेशन गंजबासोदा है जो लगभग 38 km की दूरी पर है। अन्य नजदीकी रेलवे स्टेशन मंडी बामोरा है जो लगभग 25 km की दूरी पर है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल है जिसकी दूरी लगभग 140 km है। पठारी सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा है एवं बस सेवा भी सभी जगह से उपलब्ध है। रुकने के लिए यहां अच्छे होटल नहीं है। गंजबासोदा और विदिशा में होटल ठीक है और यहां से जाने के साधन भी पर्याप्त है।
फोटो गैलरी : Photo Gallery Pathari :
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दसवतार मंदिर पठारी
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दसवतार मंदिर पठारी |
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दसावतार मंदिर नक्काशीदार जाली |
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दसवतार मंदिर |
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दसवतार मंदिर |
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दसवतार मंदिर |
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देवलघाट शिव मंदिर |
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दसावतार मंदिर से सोलह खम्बी का रास्ता |
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दसावतार मंदिर |
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देवलघाट शिव मंदिर |
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सोलह खम्बी से गडरमल मंदिर का दृश्य |
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दसावतार मंदिर |
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देवलघाट शिव मंदिर |
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दसावतार मंदिर पठारी |
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देवलघाट शिव मंदिर |
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सोलहखंबी |
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दसावतार मंदिर |
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देवलघाट मंदिर |
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दसावतार मंदिर समूह |
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देवलघाट मंदिर |
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सोलहखंबी पठारी |
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दसावतार मंदिर अवशेष |
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दसावतार मंदिर सूचना पटल 1924 |
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दसावतार मंदिर सूचना |
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भगवन विष्णु का चित्रण |
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दसावतार मंदिर |
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दसावतार मंदिर |
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दसावतार मंदिर अवशेष |
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वराह प्रतिमा पठारी |
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देवलघाट शिव मंदिर नंदी प्रतिमा |
12 Comments
Just amazed by your efforts towards blogs sir... They can be made more interactive by using voiceovers .... Rest one of the best blogs i have ever read sir
ReplyDeleteVery informative blog. This blog will definitely give a new identity to Pathari and inspire people to visit this place....overall nice blog sir..🙏
ReplyDeleteIt's a very amazing blog , and helpful to know about the historical importance of pathari...
ReplyDeleteVery informative vlog sir ,
ReplyDeleteExcellent efforts at historical place pathari.
ReplyDeletePathari kasbe ki lupat hoti hui historical veerast ko search kar published karne ke liye aapka yogdan great hai sir ji very nice blog.......... No doubt
बहुत सुन्दर और सार्थक संकलन है पठारी जैसा छोटा कस्बा इतनी पुरासंपदा अपने में समेटे हुए हैं शायद ही किसी सामान्य व्यक्ति को इसकी जानकारी हो आपका प्रयास अविस्मरणीय है बधाई हो
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर संकलन छोटे छोटे कस्बों और शहरों में पुरासंपदा का वर्णन आपके ब्लॉग के माध्यम से प्रकाशित हो रहा है। जिसकी और कभी किसी अन्य ने ध्यान नहीं दिया।
ReplyDeleteVery Nice Respected Sir contained very useful information.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत चित्रण वर्णन और बेहद रोचक जानकारी । बधाई आपको
ReplyDeleteधार्मिक मान्यताओं को ज्वलंत करने के सिद्ध साक्ष्य🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteआदरणीय महोदय ये ब्लॉग ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है आपके इस प्रयास से पठारी को पुनः नई पहचान मिलेगी 🙏
ReplyDeleteBahut sundar blog🙏🏻🙏🏻
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