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Unexplored Sanchi : Prehistoric Nagori Rock Paintings and Firozpur Naga Statues

Unexplored Sanchi : Prehistoric Nagori Rock Shelters & Rock  Paintings and Firozpur remains of Naga Statues  


साँची के पास नागोरी पहाड़ी पर विशाल आदमकद नागा प्रतिमा 


"अपना इतिहास नहीं जानेंगे तो खुद को कैसे पहिचानेगें "

        आज के साप्ताहिक सुवीर के ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है। साथियो आज का ब्लॉग छोटा होने वाला है और बहुत ही छोटे ग्रामो परआधारित है पर ऐतिहासिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण पर गुमनाम और  उपेक्षित स्थानों पर है जो प्रागेतिहासिक काल से मध्यकाल तक की समयावधि के है। 
        यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सांची का नाम तो हम सब जानते ही हैं और मैं इस पर पहले ही ब्लॉग की 04 सीरीज लिख चुका हूँ। यदि आपने यह सीरीज  नहीं  पढ़ी है तो लिंक नीचे दे रहा हूँ आप क्लिक कर पढ़।






साँची के पास ग्राम फिरोजपुर में स्तिथ विशाल आदमकद नाग नागी प्रतिमाएं 

        आप सभी साँची को बहुत ही अच्छे से जानते है  पर क्या आप यह  जानते है  कि साँची के पास ही मिसोलिथिक misolithic  समय के शैल चित्र और शैलाश्रय मौजूद है जो भीमबेटका और आदमगढ़ के समकालीन है पर आज गुमनाम है और गुमनाम भी इतने कि स्थानीय लोग भी इनके बारे में नहीं जानते। इन स्थानों के बारे में कही भी कोई जानकारी या फोटो भी उपलब्ध नहीं है।  इसलिए  महत्वपूर्ण है। यह हम लोगो की इतिहास विषय के बारे में जागरूकता को भी बताती है कि हम अपने इतिहास के बारे में कितने लापरवाह है कि हम अपना ही इतिहास ही नहीं जानना चाहते और न ही सरंक्षित करना चाहते है अन्यथा यह स्थान भी साँची, उदयगिरि जितना प्रसिद्द होता। 

साँची के पास नागोरी शैल चित्र 


        आज के ब्लॉग में हम जानेंगे कि सांची स्तूप  के आसपास भी कई बहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो बहुत ही प्राचीन है और पुरातत्व दृष्टि से मिसोलिथिक समय से ईसा पूर्व के समय के है। महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी आज गुमनाम है या इस स्थिति में है कि आमजन वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसा ही एक ग्राम है रायसेन जिले अंतर्गत फ़िरोज़पुर ग्राम। 

Ancient remains at Firozpur : फ़िरोज़पुर ग्राम के ऐतिहासिक अवशेष 

फिरोजपुर ग्राम स्तिथ विशाल आदमकद नाग प्रतिमाये जिनकी स्थानीय लोग मंदिर में पूजा करते है 


        फिरोजपुर ग्राम रायसेन से उत्तर पश्चिम दिशा में सांची सिलवाहा मार्ग पर लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में स्थित मंदिर में हनुमान प्रतिमा स्थित है। ग्राम बहुत ही साधारण छोटा सा ग्राम है पर जो इसे एक पुरातत्व दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान बनता है वह यहां स्थित भारी भरकम आदम कद remains नाग नागिन की प्रतिमा। संभवतः पांचवी छठवीं सदी की यहां तीन आदमकद नाग प्रतिमा मंदिर में मौजूद है। देव प्रतिमा नाग के रूप में प्रतिमा सप्तफण प्रभा मंडल युक्त खड़ी प्रतिमा एवं इसी प्रकार की आदमकद आकार की नागिनी की खड़ी प्रतिमा इस ग्राम की उत्कृष्ट कलाकृतियां हैं और ऐतिहासिक धरोहर हैं। इस स्थान या यहाँ मौजूद प्रतिमाओं के बारे में कोई जानकारी नेट  उपलब्ध नहीं है। इन सभी मूर्तियों को एक छोटे मंदिर में ग्रामवासियों ने सरंक्षित किया हुआ है और नियमित इनकी पूजा होती है। इस परिसर में किसी अन्य मध्यकालीन मंदिर के कई अवशेष  मौजूद है जो संभवतः परमारकालीन प्रतीत होता है।  

फिरोजपुर ग्राम स्तिथ मंदिर के अवशेष 

    प्राचीन अवशेषों के आधार पर इसका इतिहास नाग-कुषाण काल ​​से मध्यकाल तक का है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र ग्वालियर के निकट पवाया प्राचीन पद्मावती के नाग शासकों के अधीन था, क्योंकि यहाँ मानव रूप में अनेक नाग मूर्तियाँ और एक नाग स्तंभ शीर्ष पाया जाता है। प्रथम नाग प्रतिमा लगभग पांचवी सदी की सप्तफण युक्त प्रभामंडल के सुशोभित नाग देवता का स्थानक प्रतिमा है जिसके एक हाथ में पुष्प तथा दूसरे हाथ में फल धारण किए दिखाया गया है. प्रतिमा सुंदर किरीट, मुकुट,कुंडल,हार बाजूबंद कटी मेखला का अलंकरण दिखाया गया है। यह प्रतिमा लाल बलुआ पत्थर पर निर्मित है। द्वितीय नागिन प्रतिमा भी लगभग पांचवी छठवीं सदी बलुआ पत्थर पर निर्मित है। पांच सर्पफणो से आच्छादित प्रभा मंडल से सुशोभित नागिन प्रतिमा का आदम कद में बनाई गई है. इस प्रतिमा में देवी को खड़े हुए दिखाया गया है जिसके सुंदर केश विन्यास, कानों में कुंडल एवं बाजूबंद, हाथों में पुष्प एवं सुंदर पोशाक वनमाला उत्कीर्ण की गयी है। 

फिरोजपुर स्तिथ नाग प्रतिमा 

        तृतीय नाग नागिन चतुष्टिका प्रतिमा पांचवी छठवीं सदी की प्रतीत होती है गोलाकार स्तंभ पर पाषाण पर यह प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है। ऊंची यष्टि पर वृताकार आकार में कलश अनुरूप अलंकरण बनाए हैं जिसके ऊपर पुष्प बल्लारी एवं हंस युक्त चारों ओर अलंकरण कैपिटल में दर्शाया गया है। इस प्रतिमा का आधोभाग अशोक स्तंभ के अनुरूप आकार में प्रतीत होता है। प्रतिमा पर नागिन का चतुष्टिका सर्पफणो से उतकीर्ण खड़ी प्रतिमा के रूप में चारों दिशाओं में उत्कीर्ण की गई है। नाग नागिन की इस चतुष्टिका में चारों दिशाओं में खड़ी हुई नाग नागिन का पुष्प आकृति सुंदर आभूषण युक्त स्थानक है। यह प्रतिमाएं शिल्प कला में उत्कृष्ट कृति को दर्शाती है एवं इन प्रतिमाओं को संग्रहालय में सुरक्षित किया जाना चाहिए जिससे कि सभी लोग इनके बारे में जान सके और यहां के महत्वपूर्ण इतिहास को समझ सकें एवं प्रतिमाओं को सुरक्षित भी किया जा सके। स्थानीय ग्रामीणों ने प्रतिमाओं को पेंट कर दिया है जिससे इनका मूल स्वरूप स्पष्ट नहीं है एवं ऐतिहासिक धरोहर के मूल स्वरूप हेतु उपयुक्त नहीं है। 

ग्राम फिरोजपुर स्तिथ प्राचीन मंदिर की द्वार शाखा 

        मंदिर परिसर में ही किसी प्राचीन मंदिर के द्वारा शाखा भी रखी हुई है और एक विशाल मकर मुख भी रखा हुआ है जो किसी प्राचीन परमारकालीन मंदिर के अवशेष है। हालांकि आस-पास कोई मंदिर मौजूद नहीं है पर यह उस मंदिर के अवशेष स्पष्ट प्रतीत होते हैं।

Nagori Group of Rock Shelters and other Remains : 

नागोरी शैलाश्रय 


        प्रागेतिहासिक नागोरी साइट भोपाल से 45 किलोमीटर की दूरी पर और रायसेन जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर है एवं सांची के विश्व विख्यात स्तूप से पीछे पहाड़ी पर स्थित है। नागोरी  स्थल गुमनाम सा है और यहाँ मौजूद शैल चित्रों और शैलाश्रय की अधिक जानकारी भी इसके बारे में कहीं उपलब्ध नहीं है। सांची के इतने नजदीक होते हुए भी इस स्थान को उपेक्षित होना समझ से परे है। इस स्थल को संभवतः नागोरी इसीलिए कहा जाता है यहां पहाड़ी पर एक आदमकद विशाल नाग प्रतिमा ( colosal image of Naga in Human form) इंसान रूप में मौजूद है। यह स्थल कभी नाग वंश के अंतर्गत आता था। इस स्थान का एक विशेष सर्वे Dr. Wakankar द्वारा सन 1979 में किया गया था। 

नागोरी स्तिथ शैलचित्र 

        इस पहाड़ी पर Rock Shelters के दो छोटे ग्रुप मौजूद हैं। और यहां मौजूद शैल चित्र Mesolithic समय के है। यहां मौजूद शैल चित्र बहुत कम मात्रा में बचे हैं और बहुत ही अस्पष्ट हैं. इन शैल चित्रों को सफेद और लाल कलर में बनाया गया है और अधिकांश शैल चित्रों में जानवर, शिकार के दृश्य, युद्ध के दृश्यों को प्रदर्शित किया गया है। 

नागोरी पहाड़ी पर पत्थर से निर्मित घोड़े की अधूरी प्रतिमा 

        इसी पहाड़ी पर एक विशाल घोड़े की प्रतिमा भी मौजूद है जो अधूरी है जिसे स्थानीय लोग घोड़ी कहते हैं। यह घोड़े की प्रतिमा क्यों बनाई गयी और कब बनाई गयी और क्यों अधूरी है इनके उत्तर आज भी नहीं है।  इस पहाड़ी के आसपास कई प्राकृतिक rock शेल्टर समूह मौजूद है जिसे स्थानीय लोग चुड़ेलन की दांत Chudelan ki Dant made by female ghost के नाम से संबोधित करते हैं। 

नागोरी पहाड़ी पर स्तिथ विशाल नागा प्रतिमा 


        सांची में ही एक अन्य पहाड़ी पर भी शैल चित्र और शैलाश्रय मौजूद है जिसे साँची कानाखेड़ा नाम से जाना जाता है इस स्थान को मैं अगले ब्लॉग में आपसे शेयर करूंगा। नागोरी पहाड़ी हमारे इतिहास का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण स्थल है पर आज यह स्थल उपेक्षित है और इसी पहाड़ी पर कई निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। पुरातत्व विभाग को चाहिए कि इन महत्वपूर्ण धरोहरों को यहां से तुरंत स्थानीय संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए जिससे यह सुरक्षित हो सके और यहाँ आने वाले दर्शक अधिक से अधिक इस ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जान सके।

नागोरी प्रागेतिहासिक शैलाश्रय 

Ancient remains at Gulgaon : गुलगांव की ऐतिहासिक धरोहर  : 

ग्राम गुलगांव स्तिथ प्राचीन प्रतिमाये 


        रायसेन से उत्तर दिशा में सांची फिरोजपुर मार्ग पर 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और साँची से लगभग 10 km की दूरी पर है।  यहाँ पाए गए ऐतिहासिक धरोहर से यहाँ का इतिहास शुंगकाल से मिलता है। प्राचीन अवशेषों के आधार पर इसका इतिहास शुंग काल (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व) से शुरू होकर मध्यकाल तक जाता है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र ग्वालियर के निकट पवाया प्राचीन पद्मावती के नाग शासकों के अधीन था, क्योंकि यहाँ मानव रूप में अनेक नाग मूर्तियाँ हैं। यहाँ एक विशाल  तालाब भी मौजूद है जिसमे एक मध्यकालीन छतरी और सरंचना है। ग्राम प्राचीन है और महत्वपूर्ण है। 

ग्राम गुलगांव साँची  प्राचीन प्रतिमाये 

        यहां स्थानीय प्राचीन हनुमान मंदिर है जो काफी प्राचीन है परंतु मंदिर का निर्माण  नया है।  मंदिर परिसर में वृक्ष के नीचे काफी परमार कालीन खंडित प्रतिमाएं हैं जिसमें मुख्य रूप से गणेश प्रतिमा तीर्थंकर प्रतिमा एवं अन्य प्रतिमा जो क्षतिग्रस्त हैं पेड़ के नीचे रखी हुई है, मंदिर के सामने ही एक विशाल तालाब है. हनुमान प्रतिमा प्राचीन है परंतु मंदिर नया है।  ग्राम से आगे के और जाने पर सड़क के किनारे खेत में सती स्तम्भ मिले जो यहाँ किसी  के सती होने के साक्ष्य है और बहुत प्राचीन है। 

ग्राम गुलगांव स्तिथ प्राचीन हनुमान मंदिर 

        साँची के आसपास कई प्रागेतिहासिक स्थल मौजूद है जैसे दीवानगंज शैल चित्र , साँची कानाखेड़ा शैल चित्र , बरजोरपुर , गीदगढ़, पग्नेश्वर , एरण , अम्बाडी , उदयगिरि आदि अनेक प्रागेतिहासिक स्थल स्तिथ ही जहाँ कई शैलाश्रय और शैलचित्र मौजूद है  जो आज भी गुमनाम है और उपेक्षित है. साँची के आसपास बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक सर्वे की आवश्यकता है जिससे यह स्थान इतिहास के मानचित्र पर अपनी उपस्तिथि दर्ज करा सके और आगे आने वाले समय के लिए इन्हे सुरक्षित किया जा सके. 

        आपको आज का ब्लॉग कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताये। यदि आपके आसपास भी इस प्रकार का कोई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है जो आज भी गुमनाम है  तो कमेंट में अवश्य बताये जिससे उसको भी कवर  सके और ब्लॉग में शामिल किया जा सके। 

चित्र दीर्घा प्रागेतिहासिक शैलाश्रय नागोरी, गुलगांव और फिरोजपुर :



ग्राम फिरोजपुर 



नागोरी पहाड़ी पर स्तिथ प्राचीन प्रतिमा के अवशेष 




गुलगांव स्तिथ प्राचीन हनुमान प्रतिमा 

गुलगांव साँची स्तिथ प्राचीन प्रतिमाएं 

ग्राम गुलगांव स्तिथ प्राचीन अवशेष 

ग्राम नागोरी स्तिथ प्रागेतिहासिक शैलाश्रय 

ग्राम गुलगांव स्तिथ प्राचीन मंदिर 

नागोरी प्रैगएतिहासिक शिलाश्रय 

ग्राम गुलगांव स्तिथ प्राचीन हनुमान मंदिर 

नागोरी स्तिथ शैलचित्र 

गुलगांव स्तिथ हनुमान प्रतोमा 

ग्राम नागोरी शैलचित्र 

गुलगांव स्तिथ प्राचीन हनुमान मंदिर 

ग्राम नागोरी शैलचित्र 

नागोरी साँची स्तिथ प्रागेतिहासिक शैलचित्र 


नागोरी शैलचित्र 

गुलगांव मंदिर प्राचीन अवशेष 










ग्राम गुलगांव स्तिथ सती स्तम्भ 

सतीस्तंभ ग्राम गुलगांव 

ग्राम गुलगांव में तालाब 

ग्राम गुलगांव 

ग्राम गुलगांव स्तिथ प्राचीन छत्री 










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10 Comments

  1. Unimaginable Posts.

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  2. लेख में शोध की गहराई और तथ्यों की प्रस्तुति अनुपम है। आपका विश्लेषण ऐतिहासिक दृष्टिकोण को काफ़ी अच्छे से स्पष्ट करता है |

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  3. Adbhut hai aapki lagan or jighasha

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  4. Dhanyawad mahoday Gurgaon evam Nagori gaon etihasik drasti se bahut mehtvpurn hein lekin logo ko unke itihas ke bare me jankari nhi thi aj apke madhyam se in gaon ke etihasik mahtv ujagar kr khoi huyi pahchan mil payi hai...

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  5. Amazing work 👏🏻

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  6. Excellent blog sir........

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