Dumawali rock Shelters & rock paintings (Raisen ) :
An unexplored Hidden Gem of Raisen (MP ):
डुमावली शैल चित्र और शैलाश्रय (रायसेन) :
शैलचित्र यह शब्द कितना आकर्षक लगता है जैसे कोई बहुत जाना पहिचाना। बचपन से हम लोग इतिहास विषय में शैलचित्रों और शैलाश्रयों के बारे में किताब में पढ़ चुके है। पर यह शब्द अपने आप में ही एक बहुत बड़ा विषय है जो हमें अपने पुरामानव समय का चित्रण दिखाता है। हम लोग इस विषय में पढ़ तो लिए परन्तु इन शैलचित्रो को देखने का मौका कम ही मिलता है। भोपाल के नजदीक भीमबेटका शैलाश्रय यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट होने से हम लोगो को वहां जाने और शैलचित्रों को देखने और समझने का मौका मिलता है। पूर्व में भीमबेटका पर मैं एक ब्लॉग लिख चुका हूँ , यदि आपने नहीं पढ़ा है तो लिंक नीचे दे रहा हूँ आप क्लिक कर इसे पढ़ सकते है।
Bhimbetka Rock Shelter Complex ( An archaeological treasure )
यूँ तो रायसेन जिला मध्य प्रदेश की हृदयस्थली भोपाल के नजदीकी जिलों में शामिल है। लेकिन भोपाल से यह जितना नजदीक है विकास के मामले में यह उतना ही पीछे भी है और मध्य प्रदेश में विकास इंडेक्स में यह पिछले जिलों में शामिल होता है। पर एक क्षेत्र में रायसेन जिला भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व के अग्रणी स्थान में शामिल है और वह क्षेत्र है यहां की प्रागेतिहासिक पुरा संपदा और विश्व विरासत स्थल यथा साँची स्तूप और भीमबेटका।
रायसेन जिले में इतनी अधिक तादात में शैलाश्रय और शैलचित्र पाए जाते हैं कि यदि रायसेन जिले को शैलचित्र और शैलाश्रय में पूरे विश्व का घर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
रायसेन जिले में यूनेस्को विश्व धरोहर भीमबेटका के शैलचित्र तो शामिल है ही इसके अलावा समस्त रायसेन जिले में लगभग 50 से अधिक स्थानों में बहुत अधिक संख्या में शैलचित्र और शैलाश्रय पाए गए हैं और इनमें से अधिकांश अभी अनजान है और उस क्षण का इंतजार कर रहे हैं जब वह दुनिया के सामने आएंगे और अपना इतिहास सबको बताएंगे। यह हम सब का दुर्भाग्य ही है कि रायसेन जिले में इतनी अधिक पुरा सम्पदा और ऐतिहासिक धरोहर होने के बावजूद भी स्थानीय लोगों को भी इनके बारे में जानकारी नहीं है। सिर्फ भीमबेटका को छोड़कर नेट पर भी इनके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है कि यह कहां-कहां है और कितनी मात्रा में है जिससे कि यदि कोई यहां जाना चाहे तो वह पहुंच सके। परंतु दुर्भाग्यवश इतनी अधिक धरोहर होने के बावजूद भी इसके बारे में कोई जानकारी ना होना हम सबके लिए सोचनीय और चिंतनीय बात है। जानकारी के अभाव में और प्राकृतिक कारणों से धीरे-धीरे इनका क्षरण हो रहा है और समय रहते यदि हम लोग सचेत नहीं हुए और उनकी सुरक्षा के लिए कोई आवश्यक कदम नहीं उठा तो धीरे-धीरे यह संपदा विलुप्त हो जाएगी और हम इसके बारे में कभी जान ही नहीं पाएंगे।
हालांकि वर्तमान में रायसेन के युवा सदस्यों की टोली या ग्रुप इन स्थानों को एक्सप्लोर करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है जिससे यह हम सब आपके सामने ला पा रहे हैं और ऐसे ही एक युवा टोली का मैं भी सदस्य होने से इन स्थानों पर जाकर इनको देख कर और उनके फोटो लेकर एक छोटे से ब्लॉग के माध्यम से आप सबके सामने लाने का एक छोटा सा प्रयास कर पा रहा हूं। विगत 3 वर्षों से अधिक समय से मैं रायसेन के कई क्षेत्रों के ऐतिहासिक धरोहरों का फोटो डायरी और ब्लॉग के माध्यम से सहेजने का प्रयास कर रहा हूं।
रायसेन जिले में pengawan और kharbai के शैलचित्रो और शैलाश्रयों के बारे में भी ब्लॉग लिख चुका हूँ। लिंक नीचे दे रहा हूँ आप क्लिक पढ़ सकते है।
kharbai : prehistoric rock shelters and rock paintings ( An archaeological treasure )
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Pengawan Rock Painting : Raisen |
Pengwan rock shelters and rock paintings ( Raisen )
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हम सब का दायित्व है कि रायसेन जिला जो पुरातत्व धरोहरों के मामले में अनमोल खजाना होने के बावजूद भी यह खजाना अभी छुपा हुआ है और अभी तक दुनिया के सामने नहीं आ पाया है को दुनिया के सामने लाया जाए जिससे उनके संरक्षण का गंभीर प्रयास प्रारंभ हो सके और हम सब जो इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं वह आसानी से इन स्थानों को देख सके और अपने आने वाले भविष्य के लिए भी इसको सहज सके जिससे आने वाली पीढ़ी भी इन स्थानों को देखकर हमारे प्राचीन इतिहास को जान सके।
आज के ब्लॉग में ऐसे ही रायसेन जिले के एक अनजान प्रागैतिहासिक स्थान को कवर किया है।
1. डुमावली शैलचित्र और शैलाश्रय : Dumawali Rock Shelters (रायसेन)
डुमावली ग्राम एक साधारण ग्राम है जो रायसेन जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन चिकलोद रोड पर मुख्य सड़क से कुछ अंदर की ओर स्थित है। हालांकि ग्राम तक सड़क पक्की तो नहीं है पर वहां के माध्यम से ग्राम तक पहुंचा जा सकता है। डुमावली ग्राम में लगभग 10 से अधिक संख्या में शैलाश्रेय स्थित है। यह शैलाश्रय हालांकि आकार में छोटे हैं पर बहुत ही आकर्षक तरीके से बने हुए हैं जिसको देखकर आपको एक बार यह भ्रम हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर स्थित है। इन पहाड़ियों में बहुत छोटी-छोटी मात्रा में शैल चित्र बने हुए हैं और आपके यहां तक पैदल ही आना पड़ेगा क्योंकि यह पहाड़ी के कुछ ऊंचाई पर स्थित है और एक जंगल के अंदर की ओर है। इनका कोई सीरियल नहीं होने से यह लगभग 10 की संख्या में होंगे और लगभग पांच से अधिक rock Shelters में शैलचित्र बने हुए हैं। शैलाश्रयों के पीछे जाने पर एक नदी का रास्ता बना हुआ है जो मानसून में प्रवाहित होती है और इसके किनारे एक पहाड़ी में बहुत लम्बी गुफा है जो बहुत ही दुर्गम्य है। अंदर का रास्ता बहुत मुश्किल होने से भीतर नहीं गया परन्तु स्थानीय लोगो ने बताया की यह बहुत भीतर तक जाती है।
हालांकि यह शैल चित्र प्राकृतिक कारणों से क्षरण हो रहे हैं और उतने स्पष्ट नहीं दिखते हैं जितने की भीमबेटका या pengawan और urden के चलचित्र है। रायसेन जिले के अन्य शैल चित्रों में राम छज्जा, pengawan, urden, पुतली करार, जावरा, चिकलोद, आदि मुख्य है। और इन सभी स्थानों के बारे में कहीं ना कहानी किताबों में पढ़ने को आता है परंतु नेट पर इन स्थानों के बारे में जानकारी का बहुत अभाव है। रायसेन जिले में अभी भी कई महत्वपूर्ण स्थल गुमनाम है और अधिक जानकारी अभी भी उपलब्ध नहीं है। अगले ब्लॉग में राम छज्जा , Urden ,सीता तलाई पर भी एक ब्लॉग लिखूंगा।
डूमवाली ग्राम के बारे में तो कहीं भी किताब में भी पढ़ने को नहीं आया है और इस स्थान के बारे में जानकारी मात्रा स्थानीय चर्चाओं के माध्यम से ही ज्ञात हुई यहां के स्थानीय लोग इन चित्रों को वर्षों से देखते आ रहे हैं और उन्हीं के द्वारा इस स्थान का पता चला. यहां पर शैल चित्र गेरुआ रंग,कुछ पीले और कुछ सफेद रंग का प्रयोग किए हैं। और संभवतः यह Mesolithic समय के प्रतीत होते हैं. स्पष्ट रेखाओं के माध्यम से जंगली जानवर ,शिकार आदि के मानवीय जीवन का चित्रण इन शैलचित्रों में किया गया है। यह शैलचित्र शुरुआती समय के प्रतीत होते है। देख रेख के अभाव और अन्य कारणों से यह धीरे-धीरे क्षरण हो रहे हैं और यदि शीघ्र ही इनको सहेजने और सुरक्षित करने का कार्य नहीं हुआ तो संभवत यह धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएंगे।
हम सबका यह नैतिक दायित्व है कि हमारे प्राचीन पूर्वजों ने जो ऐतिहासिक धरोहर हम सबके लिए छोड़ी है और यह धरोहर पूरे विश्व में अन्य बहुत ही कम स्थान पर पाई जाती है। यह हमारा सौभाग्य है कि आज हम इनको देखकर हजारों साल पुराने मानव जीवन किस प्रकार होता था इसकी कल्पना कर सकते हैं। अगले ब्लॉग में अन्य शैलाश्रय Urden , रामछज्जा पर एक ब्लॉग लिखूंगा और अन्य ऐसे स्थानों को कवर करने का प्रयास करूँगा।
आपको यह ब्लॉग कैसा लगा कमेंट कर अवश्य बताएं और यदि आपके आसपास कोई ऐसा स्थान है जो अभी भी unexplored है उसके बारे में अवश्य बताएं यदि संभव हुआ तो हम अपने सदस्यों के साथ उसे स्थान को भी कवर करने का पूर्ण प्रयास करेंगे।
डुमावली ग्राम रायसेन तक कैसे पहुंचे : How to reach dumwali Village Raisen
डुमावली ग्राम रायसेन जिले मुख्यालय से लगभग 10 km की दूरी पर रायसेन चिकलोद रोड पर स्तिथ है और पैमत ग्राम के पहले पड़ता है। रायसेन सड़क मार्ग से भोपाल और अन्य शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। नजदीकी रेलवे स्टेशन भोपाल और विदिशा है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल एयरपोर्ट है। रायसेन से निजी टेक्सी या ऑटो आसानी से यहाँ के लिए मिल जाते है। यहाँ पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
5 Comments
Very fascinating to witness the unexplored archeological Gem. Thank You
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत छाया चित्रण.... 🌹🌹🌹Bharatvarsh ki Amulya dharohar ko khojne usko Jan samanya ke samne laane ke liye बहुत-बहुत dhanyvad AVN sadhuvaad.
ReplyDeleteआपके इस प्रयास से बहुत सारे लोगों को इस अमूल्य धरोहर को इंटरनेट के माध्यम से देखने का मौका मिला और बहुत संभव है कि इस बारे में लोग जागरूक होंगे और इसको प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए रायसेन जिला पधारेंगे ।आपका यह कार्य सतत आगे बढ़ता ,रहे बहुत-बहुत शुभकामनाएं 🌹🌹🌷🌷🌷🌷धन्यवाद।
आपके इस प्रयास से बहुत सारे लोगों को इस अमूल्य धरोहर को इंटरनेट के माध्यम से देखने का मौका मिला और बहुत संभव है कि इस बारे में लोग जागरूक होंगे और इसको प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए रायसेन जिला पधारेंगे ।आपका यह कार्य सतत आगे बढ़ता ,रहे बहुत-बहुत शुभकामनाएं 🌹🌹🌷🌷🌷🌷धन्यवाद
ReplyDeleteआपका अपना बिट्टू चढ़ार
Very nice sir....
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