Gyaraspur : A place that kept alive the antiquity with its beautiful ruins
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Gyaraspur Mansarovar View |
साथियों पिछले ब्लॉग में सांची के बौद्ध स्तूप और बौद्ध सर्किट की सीरीज समाप्त हो चुकी है जो कि 5 parts में है। अब हम विदिशा के नजदीक स्तिथ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान ग्यारसपुर और इसके मुख्य ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानेगे। हालांकि पिछले दो ब्लॉग में मैंने ग्यारसपुर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल माला देवी मंदिर और बाजरा मठ मंदिर के बारे में ब्लॉग लिखा है यदि आपने नहीं पढ़ा है तो इसकी लिंक नीचे दे रहा हूं इसको आप क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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बाजरामठ मंदिर ग्यारसपुर |
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मालादेवी मंदिर ग्यारसपुर |
ग्यारसपुर कस्बा प्राकृतिक खजाने से भरपूर है। चारो तरह पहाड़ो हुआ और घने जंगलों से इसकी सुंदरता बारिश अधिक हो जाती है। जंगली जानवर भी यहाँ पाए जाते है। इसके कोने कोने में ऐतिहासिक धरोहरे फैली हुई है। विदिशा में ऐतिहासिक धरोहरों के मामले में ग्यारसपुर बहुत समृद्ध है। इसके पहाड़ो और जंगलो में अभी भी ऐतिहासिक धरोहरे मिलती है।
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ग्यारसपुर क़स्बा |
ग्यारसपुर विदिशा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर सागर रोड पर एक ऐतिहासिक मध्यकालीन प्रमुख कस्बा है। इस कस्बे के मध्य से भोपाल सागर हाईवे निकलता है। As per legend, the village was established by the gods and named after the vow of gyaras, or the 11th day, that was observed by king Rukangada of Vidisha
मान्यताओं के अनुसार ग्यारसपुर का नाम एक प्रमुख त्यौहार ग्यारस के नाम से जो यहाँ प्रमुखता से मनाया माना जाता था और 11वें दिन मनाया जाता था। 10वीं 11वीं शताब्दी के आसपास यह एक प्रमुख ऐतिहासिक कस्बा रहा है और क्योंकि यहां पर अनेक ऐतिहासिक मंदिर जो बौद्ध,जैन, हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं पाये गए हैं। इससे यह भी पता चलता है कि यहां सभी धर्म के लोगों का विशेष सहयोग रहा।
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ढेकीनाथ स्तूप ग्यारसपुर |
यहां की antiquity को सबसे पहले J D Beglar के द्वारा सबके सामने लाया गया जिन्होंने 1871-72 के दौरान ग्यारसपुर को explored किया था। उसके अनुसार यहां पर गए सभी स्तूपो को अंग्रेजों द्वारा पहले ही खोला जा चुका था। Alexander Cunningham द्वारा यहां 1874-75 के दौरान visit की गयी थी। उनके अनुसार यहां कोई ऐतिहासिक रीति रिवाज नहीं पाया गया पर उन्होंने यहां चार प्रमुख स्मारक के बारे में बताया ath khamba, Bajramatha, Hindola toran and Maladevi temple. जबकि डी आर भंडारकर द्वारा 1914 में यहां visit किया गया था और यहां के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में और traditions and legends के बारे में उन्होंने बताया था। यहां के ऐतिहासिक स्थलों का conservation M B Garde द्वारा किया गया था जो कि ग्वालियर स्टेट के archaeological department के अधीक्षक थे।
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हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
ग्यारसपुर के ऐतिहासिक स्थलों को विशेष देखरेख और यहां पर एक विस्तृत सर्वे की आवश्यकता है क्योंकि अभी भी कई ऐतिहासिक स्थल सामने आना शेष हो सकते हैं।
Monuments : ग्यारसपुर में 09वीं से 10वीं शताब्दी के मध्य के कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद है। जिनमे प्रमुख है :
1 . माला देवी मंदिर
2 . बाजरा मठ मंदिर
3 . हिंडोला तोरण
4 . आठ खम्बा
5 . ढेकिनाथ स्तूप
6 . मानसरोवर और इसके मंदिर
उपरोक्त सूची में मालदेवी मंदिर और बाजरा मैथ मंदिर पर ब्लॉग लिख चुका हूँ। आज के ब्लॉग में आठ खम्बा , हिंडोला तोरण और ढेकिनाथ स्तूप को कवर करेंगे और अगले पार्ट में मानसरोवर और इसका इतिहास , ग्यारसपुर किला और अन्य छोटे परन्तु महत्वपूर्ण स्मारक को कवर करेंगे।
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ग्यारसपुर हिंडोला तोरण स्मारक |
Ath Khamba Gyaraspur : अठ खम्बा ग्यारसपुर
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Ath Khamba Gyaraspur |
आठ खम्बा स्मारक एक प्रमुख मंदिर के बचे हुए अवशेष है। स्थानीय लोग इसे अठ खम्बा कहते हैं क्योंकि मंदिर के केवल आठ खंभे ही शेष बचे हैं, जो एक प्लेटफार्म के ऊपर। यह मंदिर east facing है, इसमें मंडप, अंतराल और गर्भगृह है। मंडप स्तम्भ को घट पल्लव motifs से अलंकृत किया गया है। Pillar के ऊपर चौखटों को अंदर और बाहर दोनों ओर से संगीतकार, नर्तको आदि से सजाया गया है। मंडप के ऊपर celing अभी भी बची हुई है।
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Ath Khamba |
The antarala doorway is decorated with an exquisite makara-torana forming a garland in the front as a trefoil arch with three drooping lotus pendants. The makaras, from the mouth of which emerges this torana, are placed over the abacus portion of the pillars. Over the makaras are placed bhara-vahakas supporting the lintel block above. The lintel is decorated with images of musicians, dancers, and amorous couples. In the central niche on the front of the lintel is a scene of Shivalinga worship suggesting the Shaiva association of the temple.
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Ath Khamba Gyaraspur |
An inscription engraved on a pillar makes obeisance to Krishesvara and dates to samvat 1039, corresponding to 982 CE. Krishnesvara might be the god to whom the temple was dedicated.The construction of the temple may be placed in the first half of the ninth century CE.
Hindola Toran Gyaraspur : हिंडोला तोरण ग्यारसपुर
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Hindola Toran Gyaraspur |
The ornamental entrance gateway is known as Hindola Torana by the locals as it is believed to serve as a stand for a swing (hindola).At the base of the pillar shafts, on its four faces, ten incarnations of Vishnu are carved with Matsya and Kurma carved together on one face, Kalki and Buddha together on another, and the rest sides having one incarnation each, Vamana, Varaha, Narasimha, Rama, Parashurama, and Balarama.
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हिंडोला तोरण दशावतार |
यह भगवान विष्णु को समर्पित किसी विशाल मंदिर का एक बहुत ही अलंकृत तोरण है। हालांकि मंदिर तो अब पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। इसके अवशेष और प्लेटफार्म ही शेष है। पर इसका यह अलंकृत तोरण जो हिंडोले के सामान लगता है, अभी भी बचा हुआ है। इस तोरण की विशेषता यह है कि इसके दोनों खम्बो के चारों तरफ भगवान विष्णु के सभी 10 अवतारों का चित्रण किया गया है। यह मंदिर संभवत: ग्यारसपुर का सबसे विशाल मंदिर रहा होगा। दो horizontal Beam दो आयताकार खम्बो पर टिके हुए है। इन दोनों बीम के बीच एक मकर तोरण बना हुआ है जो दोनों तरफ मुड़ा हुआ है। तोरण दोनों तरफ से मकर के मुख से निकर रहे है इसलिए इसे मकर तोरण कहा जाता है।
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हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
इन दोनों स्तंभों पर भगवान विष्णु के दशावतार बने हुए हैं। एक हिस्से पर मत्स्य और कच्छप बने है, दूसरे पर कल्कि और बुद्ध भगवान बने है, अन्य तरफ वामन, वराह, नरसिम्हा, श्री राम, परशुराम और बलराम बने है। तोरण से आगे लगभग 40 फ़ीट जाने पर चार pillar खड़े हुए है, जो वर्गकार प्लेटफॉर्म के ऊपर बने हुए है। मंदिर में पाए गए अवशेषों और हिंडोला तोरण से पता चलता है कि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित रहा होगा।
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हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
Inscriptions:
Fragmentary record of Hindola Torana – This stone slab was discovered by Cunningham during his visit and is now deposited in the Gwalior Museum. It records the grant of a permanent endowment in favor of a temple by a community of merchants. It is dated in Vikrama Samvat 936, corresponding to 878 CE.
ढेकीनाथ स्तूप ग्यारसपुर : Dhekinath Stupa Gyaraspur
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ढेकीनाथ बौद्ध स्तूप |
ग्यारसपुर क्षेत्र में पाए गए बौद्ध स्तूप मालवा क्षेत्र में बौद्ध धर्म के अंतिम अवशेषों में से एक है। इस स्तूप को बड़े पैमाने पर पुनर्निमित किया गया है और अधिकांश origianl materials स्थानीय लोगों या ट्रेजर हंटर द्वारा निकाल ली गई है। इस स्तूप को पहाड़ के थोड़ी सी नीचे पर एक बड़े प्लेटफार्म के ऊपर बनाया गया है। प्लेटफार्म को बड़े पत्थरों से बहुत ही सलीके से आकर दिया गया है। स्तूप तक पहुंचाने के लिए नीचे से ऊपर तक सीढ़ियां भी बनी हुई है। इस स्तूप को चारों तरफ से चार niches से सजाया गया था अब केवल एक पूर्व मुखी बची है। चारों तरफ भगवान बुद्ध की चार मूर्तियां थी जो अब नहीं है।
An inscription on the pedestal reads “Ye dharma hetu-prabhavah” in the script of the 9 th -10 th century CE.
स्तूप के चारो तरफ प्रदक्षिणा पथ बना और रेलिंग भी बानी हुई थी जिसके अवशेष यहाँ चारो तरफ फैले हुए है। स्तूप से ग्यारसपुर कस्बे का विहंगम दृश्य दिखता है।
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स्तूप की रेलिंग के अवशेष |
ग्यारसपुर तक पहुंचे कैसे : How to reach Gyaraspur
ग्यारसपुर भोपाल सागर हाईवे पर स्तिथ है और बस सर्विस से अच्छे से जुड़ा हुआ है। नजदीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है। विदिशा यहाँ से 40 km की दूरी पर स्तिथ है। नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल है जो लगभग 100 km की दूरी पर है।
आज का ब्लॉग आपको कैसा लगा कमेंट कर जरूर बताये। अगले ब्लॉग में ग्यारसपुर सीरीज में मानसरोवर , ग्यारसपुर किला और अन्य स्मारक शामिल करूँगा।
ग्यारसपुर चित्र दीर्घा : Gyaraspur Photo Gallery :
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हिंडोला तोरण |
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अठखंबा ग्यारसपुर |
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हिंडोला तोरण |
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ढेकीनाथ स्तूप |
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ढेकीनाथ स्तूप ग्यारसपुर |
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स्तूप की रेलिंग अवशेष |
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ढेकीनाथ स्तूप |
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ढेकीनाथ स्तूप |
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athkhamba gyaraspur |
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हिंडोला तोरण परिसर |
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हिंडोला तोरण चौखम्बा |
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हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
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हिंडोला तोरण ग्यारसपुर |
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चौखम्बा हिंडोला तोरण |
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हिंडोला तोरण के अवशेष |
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हिंडोला तोरण |
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कच्छप और मत्स्य अवतार |
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नरसिम्हा अवतार चित्रण हिंडोला तोरण |
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वराह अवतार चित्रण |
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भगवान् विष्णु के बुद्ध और कल्कि अवतार |
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भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार |
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भगवान विष्णु के परशुराम अवतार |
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हिंडोला तोरण पर गणेश भगवान |
19 Comments
Bahut shandar h sir
ReplyDeleteThanks a lot
DeletePhotos collection is very nice that makes vlog very attractive and interesting
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद 🙏
DeleteReal information and new information
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteVery nice
ReplyDeleteThanks dheeraj
DeleteMARVELOUS
ReplyDeleteThanks 🙏
DeleteNice
ReplyDeleteThanks 🙏
Deleteबहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी मिली सर जी
ReplyDeleteThanks a lot
Delete🙏
ReplyDeleteThanks
DeleteBilupat ho rhi historically dharoharon ko khoj kar ujagar karne me aapka koi mukabla nhi hai sir.... Excellent blog on gyaraspur thanks sir👍👍🙏🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Delete🙏🙏
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